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नित्यमुक्तः
५५३
निदिग्ध
नित्यमुक्तः (पुं०) परमात्मा।
• चिह्न, पहचान, सूचक। नित्यमेव (अव्य०) नित्य ही, प्रतिदिन ही।
० योजना, पद्धति विधि नित्ययौवना (स्त्री०) सदा युवती रहने वाली, द्रोपदी।
० प्रकाशन, आशीर्वाद विरुद्धवृत्तौ रुपमे ति नित्यवादः (पुं०) नित्यवाद का कथन, कपिल/सांख्य को | लोकश्छन्दोऽनुवोतर्ष निदर्शनौकः। रोषो न तोषा जगदेकपोष नित्यवाद की पद्धति। (जयोवृ० १८/६४)
ऋषेर्भवत्येव भवेऽपदोषः।। (जयो० २७/२१) नित्यशस् (अव्य०) [नित्य+शस्] निरन्तर, सदैव, हमेशा, निदर्शना (स्त्री०) एक अलंकार विशेष, जिसमें वस्तु सम्बन्ध
लगातार, प्रतिदिन। (जयो० २/४८) 'किलाधरप्रदेशे रमते उपमा से परिकल्पित होता है। स्म नित्यशः। (जयो० २४/२) इत्थं चिन्तनमस्तु निदा (स्त्री०) तीव्र वेदना। 'नितरां निश्चितं वा सम्यक् दीयते योगिहृदयानन्दप्रदं नित्यशः। (मुनि० २३)
चित्तमस्यां इति निदा' (जैन०ल० पृ०६०९) नित्य-शंकित (वि०) सदा ही शंका युक्त रहने वाला, सदैव निदाघः (पुं०) [नितरां दह्यते अत्र+नि+द+घञ्] ० ताप, गर्मी तत्पर, कार्य के प्रति सजगता।
तपन, उष्णता। (वीरो० २/१५) ० ग्रीष्मऋतु, गर्मी का नित्यहोतन् (पुं०) वैदिक ब्राह्मण। (जयो०७० ३/१४)
समय। (वीरो० १२/२) नित्यातपत्रं (नपुं०) छत्रत्रय। (जयो० १०/९९)
निदाघकरः (पुं०) सूर्य, दिनकर, रवि। नित्यात्यः (पुं०) उदधि, समुद्र।
निदाघकाल: (पुं०) ग्रीष्म समय, गर्मी का समय। (जयो० नित्यात्यं (अव्य०) प्रतिदिन, सदैव, निरंतर, लगातार।
२२/११) 'निदाघकालेऽप्यतिकूलमेव प्रसन्नरूपा वहतीह नित्यानध्यायः (पुं०) नित्य अध्ययन का त्याग।
देव। (वीरो० २/१५) नित्यानन्दपदं (नपुं०) ०शुद्धात्मपद, परमानन्द पद, उत्तम | निदाघभीति (स्त्री०) ग्रीष्मकाल का भय। 'निदाघस्य ग्रीष्मकालस्य
आनन्द का स्थान, शाश्वत् कल्याण पद। जन्म-मरणादि भीतिर्भयपरिणतिः' (जयो०१० २२/११) से रहित शुद्ध स्वरूप का स्थान। नित्यानन्दपदे निरन्तर-रतो निदानं (नपुं०) [निश्चयं दीयतेऽनेननि+दा+ल्युट] ० निरादर, भूयाः स्वयं सर्वदा। (मुनि० १४)
अपमान (जयो० ४/२७) नित्यानित्यामकः (पुं०) नित्य और अनित्य रूप, नित्यदन्यरूप। ० भोगा कांक्षा, भोगाभिलाषा। 'निदानं विषयं। भोगाकांक्षा'
'प्रत्यभिज्ञानतो नित्यतदन्यरूपः' (जयो०वृ० २६/८९) (स०सि० ७/१८) 'भोगाकांक्षया नियतं दीयते चित्तं तस्मितेनेति नित्यानुभूतः (पुं०) बार-बार अनुभव में आई हुई। वा निदानम्' (स०सि० ७/३७)
नित्यानुभूतनिजलाभनिवृत्ततृष्ण श्रेयस्मतद्वचनया ० अध्वसाय विशेष-'निदायते सूयतेऽनेनेति निदानं अध्यवसाय चिरसुप्तवुद्धः। (दयो० ३०)
विशेषः'। नित्यैकता (वि०) नित्य एकत्व। 'नित्यमेवैकं नानित्यमिति ० मन का विचार। (सम्य० १५२) विचारो नित्यैकता' (जयो० २६/८९)
० शल्य, पीड़ा, कष्ट। निदः (पुं०) [निदात् विषात् द्राति पलायते निन्द्रा कु] ० रोग का कारण जनना, चिकित्सा विज्ञान का कारण। मनुष्य, नर।
रोग प्रतिपादन। निदर्शक (वि०) [नि+दृश्+ण्वुल] निदर्शक, प्रदर्शक।
० बन्धन, पट्टा, रस्सी, डोरी। ० देखने वाला, प्रत्यक्ष करने वाला।
० आर्तध्यान का एक भेद। (मुनि० २१) ० संकेत करने वाला, इंगित करने वाला।
० अन्त, समाप्ति। ० प्रकथन वाला।
० पवित्रता, शुद्धता, निर्मलता। निदर्शनं (नपुं०) [नि+दृश्+ ल्युट्]
निदानभावः (पुं०) सुखाभिलाषा का भाव। ० दर्शनशक्ति, अन्तर्दृष्टि, दृश्य।
निदानमरणं (नपुं०) निदान पूर्वक मरण, ऋद्धि और भोगों की ० इंगित करना, संकेत करना, बतलाना।
अभिलाषा पूर्वक मरण। • प्रमाण, साक्ष्या
निदानहेतु (स्त्री०) निदान का कारण। (समु०८/३५) ० दृष्टान्त, उदाहरण।
निदिग्ध (भू०क०कृ०) [नि+दिह्+क्त] संलेपित, चुपड़ा हुआ।
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