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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चक्रकम्बुकः ३७५ चक्रसंज्ञः चक्रकम्बुकः (पुं०) सुदर्शन चक्र एवं पाञ्चजन्य शङ्ख। (जयो० षड्चक्रार-बन्ध-जयो० वृ० २४/१४४) (जयो० वृ० २४/५) २५/८७) चक्रकारकं (नपुं०) १. नख, २. सुगन्धित पदार्थ। चक्रबन्धप्रयोजकः (पुं०) षड्यक्रार बन्ध का कथन। (जयो० चक्रगण्ड (स्त्री०) तकिया, मसनद, गोलाकार तकिया। वृ० ९/९५) चक्रगतिः (स्त्री०) वृत्ताकार परिभ्रमण, गोल घूमना। चक्रवालः (पुं०) चक्रमण्डल। चक्रगुच्छः (पुं०) अशोक तरु। चक्रभर्तृ (पुं०) कुलाल, कुम्हार, १. चक्र का मालिक। स चक्रग्रहणं (नपुं०) दुर्ग प्राचीर, परकोटा। चक्रभर्ता मणिकादिभारकर्तापि देवाऽकथि कुम्भकार:। चक्रचर (वि०) चक्राकार परिभ्रमण करने वाला। (जयो० १२/३७) चक्रचूडामणि (स्त्री०) मुकुट मंडित मणि, गोलमणि। चक्रभृत् (पुं०) चक्रधर। चक्रचेष्टा (स्त्री०) नयचक, न्याय ग्रन्थ, नय पद्धति। चक्रवाक चक्रभेदिनी (स्त्री०) रजनी, रात्रि। चेष्टा, भंवर-संचार (वीरो० वृ०९) चक्रमण्डलः (पुं०) वृत्ताकार। चक्रवीवकः (पुं०) कुम्भकार, कुम्हार। चक्रमण्डलिन् (पुं०) सर्प जाति। चक्रतीर्थ (नपुं०) पवित्र स्थान। चक्रमुखः (पुं०) सूकर। चक्रदष्ट्र (पु०) सूकर। चक्रयानं (नपुं०) गाड़ी, चक्के से चलने वाला वाहन। चक्रधरः (पुं०) १. राजा अर्ककीर्ति, चक्रवर्ती अर्ककीति. चक्रयुगः (पुं०) चक्के में तेल। (जयो० १३/५) (जयो० ९/८२) २. विष्णु। चक्ररदः (पुं०) सूकर। चक्रधारा (स्त्री०) चक्र का घेरा, चक्र परिधि। चक्ररायुधः (पुं०) चक्रशस्त्र। (समु० ६/२४) चक्रधुरी (स्त्री०) चक्रनेमि, पहिए की धुरी। . चक्रवर्तिन् (पुं०) सम्राट, चक्रवर्ती राजा, षट्खण्डाधिपति। चक्रनाभिः (स्त्री०) वृत्ताकार नाभि। आसमुद्रक्षितीशः। (वीरो० २। ) (जयो० ३/५) (जयो० चक्रनामन् (पुं०) चकवा। ७/६०) चक्रवर्तिनः चतुर्दशरत्नाधिपः षट्खण्डभरतेश्वरः चक्रनायकः (पुं०) चक्रवर्ती, नरेन्द्र (भक्ति० ३२) चक्रनेमिः (स्त्री०) चक्रधुरी। चक्रवर्तितनयः (पुं०) चक्रधर का पुत्र। (जयो० ७/७१) चक्रपाणिः (पुं०) विष्णु, चक्रधर, भरत चक्रवती, भरतेश्वर, (जयो० ४/११) अर्ककीर्ति नाम (जयो० ४/११) सृष्टेः पितामहः स्रष्टा 'चक्रपाणिस्तु रक्षकः। संहर्तुमुद्यतः चक्रवर्तिसुतः (पुं०) चक्रवर्ती का पुत्र। सद्यस्तामेनां प्रथमाधिपः।। (जयो० वृ० ७/२३) आदिचक्रवर्ती | चक्रवर्तिसुतत्व (वि०) चक्रवर्ती के सुतपना। चक्रवर्ती के पुत्र भरत (जयो० वृ० २०/१०) के समान। चक्रवर्तिसुतत्वेन मणिकाद्यभिमानतः। (जयो० चक्रपादः (पुं०) गाड़ी, यान। ७/८) श्री भरतसम्राडात्मजत्वेन (जयो० वृ० ७/८) चक्रपालः (पुं०) राज्यपाल, सेनाधिकारी। चक्रवर्तिनी (स्त्री०) साम्राज्ञी, प्रवृत्तिकर्ती। (जयो० ५/९२) चक्रपुरं (नपुं०) भरतक्षेत्र का एक नगर। समस्त्यमुष्मिन् । चक्रवाकः (पुं०) चकवा। ___ भरतेऽथ चक्रपुरं पुनः शक्रपुरातिशयि। (समु० ६/१) चक्रवाकनिधुनः (पुं०) कोकयुग। (जयो० वृ० १५/५१) चक्रपुरेश्वरः (पुं०) चक्रपुर का राजा चक्रायुध। (समु० ७/१) चक्रवाकी (स्त्री०) चकवी। (वीरो० २/४५) भर्तुर्युतिश्चाप्ययुति चक्रबन्धः (पुं०) छन्द विशेष, छन्द की प्रक्रिया वराकी तनोति सम्प्राप्य हि चक्रवाकी। (वीरो० ४/२५) 'एतच्छन्दश्चक्रबन्धे षडरात्मके लिखित्वा अग्राक्षरैः चक्रवाटः (पुं०) सीमा। स्वयंवरपल' इति ध्येयम्। स्वप्रेष्ठ स्मरसोदरं जयनृपं तत्रागतं चक्रवातः (पुं०) तूफान, हवा का गोलाकार प्रवेश। सादरं यत्नाद् गोपुर-मण्डलात् स्वयमथोत्सर्गस्वभावाधिपः। चक्रवृद्धिः (स्त्री०) ब्याज पर ब्याज। वप्ताऽऽनीय सुपुष्कराशयतनोर्धामप्रभृत्युज्ज्वलं रक्त्याऽदात् चक्रव्यूहः (पुं०) सैन्यदल की मंडलाकार स्थापना, चक्राभ। स्वपुरे ऽयमात्तवरदोऽरकृत्यपः श्रीधरः।। (जयो० १/११३) (जयो० वृ० ७/११३) (जयो० ३/११६) सर्गसूची-(जयो० ११/१००) | चक्रसंज्ञः (पुं०) चकवा। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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