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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कूटतुला कूटतुला ( स्त्री०) पासंग युक्त तुला, तोलने के कांटे एवं नापने के साधनों को हीन या अधिक रखना। कूटतुलामानं (नपुं०) कूट तुलामान, अचौर्यव्रत का अतिचार । कूटतुला कूटमाने तुला प्रतीता, मानं कुड्यादि कूटत्वं न्यूनाधिकत्वं न्यूनया ददाति अधिकया गृह्णाति' (श्रावक प्रज्ञप्ति टी० २६८ ) कूटधर्म (वि०) मिध्याधर्म, झूठ युक्त धर्म। कूटपालकः (पुं०) १. हस्तिवात ज्वर, पित्तदोष युक्त ज्वर। २. कुम्हार, कुम्हार का अबा। कूटपाशः (पुं०) फंदा, जाल कूटपुरुषः (पुं०) कृत्रिम पुरुष, पुतला। (जयो० २ / ३१) कूटबन्ध (पुं०) फंदा, जाल । कूटमानं (नपुं०) झूठा माप झूठा तोल । कूटयन्त्रं (नपुं०) पक्षिजाल कूटयुद्धं (नपुं०) कपट युक्त लड़ाई । अन्याभिमुखं प्रमाणकमुपक्रम्योपघातकरणं कूट युद्धम्। (जैन०ल०३६३) कूटलेख (पुं०) बनावटी लेख, झूठा लेख कूटलेखकरणं (नपुं०) मिथ्या लेख लिखना, झूठा लेखन कार्य करना । कूटलेखक्रिया (स्त्री० ) सत्याणुव्रत का अतिप्यार, असद्भूतपदार्थ का मुद्रण करना, पंचनार्थ लिपि लिखना 'वंचनानिमित्तं लेखन कूटलेखक्रिया (त०सू०७/२६) कूटश: (अव्य० ) [ कूट-शस्] समूह में कूटशाल्मलि (पुं०) सेमल वृक्ष की जाति । कूटशासनं (नपुं० ) मिथ्यापत्र, झूठापत्र, फर्जी दस्तावेज | कूटसाक्षिन् (पुं०) झूठी गवाह | कूटसाक्षिक (नपुं०) झूठी गवाह मात्सर्यभाव से असत्य भाषण, द्रोह से युक्त झूठ कथन । सत्याणुव्रत का अतिचार । कूटसाक्षिकं उत्कोच मत्सराभिभूत प्रमाणीकृतः सन् कूट वक्तीति' (श्रा०पु०टी० २६० ) कूटसाक्ष्यं (नपुं०) असत्य भाषण । कूटस्थ (वि०) शिखर पर स्थित उच्च भाग पर खड़ा हुआ। (जयो० २४/३८) कुटे प्राकृपर्वतस्य शिखरे तिष्ठतीति' (जयो० २८/६०) कूटस्थता (वि०) मायाचार, छलकपटता कूटैः मायाचार सह तिष्ठतीति (जयो० वृ० २४/३८) कूटस्थानं (नपुं०) उच्चस्थान, ऊँचा भाग, शिखर कूटस्वर्ण (नपुं०) खोटा सोना कूण् ( सक०) बोलना, कहना, वार्तालाप करना। ३०७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कूणिका (स्त्री०) सींग । [ कूणित (वि०) (कूण्+क्त] आच्छादित आवृत, मंद हुआ। कूद्दालः (पुं० ) [ कु+ दल+अण्] पर्वतीय आवनूस । कूप: (पुं० ) [ कुर्वन्ति मण्डूका अस्मिन् कु+ एक्] १. कूप, कुंआ । (दयो० ४७) 'कूपे निपत्य तेनात्मविनाश: ' 'नितान्तमानन्दसुधैककूपान्' (भक्ति०२) १. अन्धकार (जयो० ७ / १०१) कूपोऽन्धुगर्तमृण्मान कुपते' इति वि १. छिद्र, रन्ध, छेद, गर्त, २. कुप्पी । कूर्मोन्नतः कूपकः (पुं०) [कूप्+कन्] कुंआ, छिद्र। * नलकूप । कूप कच्छप: (पुं०) १. कुएं का मेंढक २. अनुभवहीन, विचारशून्य | कूपयन्त्रं (नपुं०) रहट, पानी निकालने का साधन ! कूपयन्त्रघटी (स्त्री०) रहट की घटिया कूपा (स्त्री०) छोटा कुंआ । कूपार: (पुं०) सागर, समुद्र, उदधि कूपी (स्त्री० ) [ कूप + ङीष् ] कुइया, छोटा कुंआ । कूवर (वि०) १. सुन्दर, रुचिकर, २. कुबड़ी । कूवर: (पुं०) गाड़ी का धुआं । कूवरी (स्त्री०) १. कम्बल, २. कूबड़ी । कूर: (पुं० ) [ कौ भूमौ उवं वयनं लाति-ला-क] भोजन । कूर्च : (पुं० ) [ कुर्+चट्] गुच्छा, समूह, गट्ठर, घास का पूरा मोरपंख । कूर्चनं (नपुं०) खुरचना, क्षोदनत। (जयो० २ / १५६) कूर्चिका ( स्त्री० ) [ कूर्चक+टाप्] कूंची, चित्र बनाने की कूची, पेंसिल, बुश, कली, फूल। कूर्द ( सक०) कूदना, उछलना, छलांग लगाना, खेलना। (सुद० ४ / २६ ) कूर्दनं (नपुं० ) [ कूर्द + ल्युट्] उछलना, कूदना, खेलना, क्रीड़ा करना । कूर्दित (वि०) क्रीड़ा करने वाला (सुद० ४/२६) कूर्प: (पुं०) भौंह के बीच का हिस्सा । कूर्पर: (पुं०) १. कच्छप, कूर्म। २. कुहनी, कोहिनी । ३. ककोणिदेश (जयो० १५/८३) For Private and Personal Use Only कुर्मः (पुं०) [ को जल ऊर्मिः वेगोऽस्य ] कच्छप, कछुवा । कूर्मपुराण: (पुं०) अष्टादश पुराण में एक पुराण में एक पुराण (दयो० ३१) कूर्मिक (वि०) कच्छपा, कर्मठा (जयो० २४ / १६ ) कूर्मावतार (पुं०) विष्णु अवतार। कूर्मोन्नतः (पुं०) त्रिषष्टि शलाक । पुरुष समान उन्नत । योनि । कछुए के
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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