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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुटजः २९६ कुण्ठ कुटजः (पुं०) वृक्ष विशेष। (वीरो० ४/१८) 'हृष्टास्ततः श्रीकुटज: श्रयन्तु' कुटपः (पुं०) [कुट+पा+क] कुद्रव, कुडवा, धान्य मापने का साधन। २. वाटिका, बगीची। कुटरः (पुं०) [कुट्+करन्] मथानी की रस्सी। कुटलं (नपुं०) [कुट्+कलच्] छत, छप्पर। कुटिः (स्त्री०) १. कुटिया, झोपड़ी। (जयो० २७/६०) २. | मोड़, ३. देह, शरीर, ४. वृक्ष। कुटिरं (नपुं०) कुटिया, झोपड़ी। (जयो० २७/६०) कुटिलं (वि०) [कुट्+इलच्] टेढ़ा, मुड़ा हुआ, वक्र, घुमावदार। (दयो० ७४) विभिन्न भाव युक्त। (जयो०८/५५) भुज भुङ्गतो भीषण एतदीयद्विषहदे वा कुटिलोऽद्वितीयम्' धुंघराली। । (जयो० हि०११/७०) विषम-विषमान् कुटिलानपि' (जयो० वृ० १२/८२) कुटिलतारहित (वि०) वक्रता रहित, सरल, शुद्ध, सीधी, निष्पाप, अपाप। (जयो० २/१४३) कुटिलत्वसूक्त (वि०) शुद्धता युक्त, सूक्त। (सुद० १/२७) (जयो० वृ० ४/२२) कुटिलिका (स्त्री०) धीरे चलना, दुबक के आना। कुटी (स्त्री०) १. कुटिया, झोपड़ी। 'सेवकस्य कुटीं रमयन्तु' (जयो० ४/१८) कुटीरः (पुं०) कुटिया, झोपड़ी। (जयो० २१/५२) कुटीरकः देखो कुटीरः। कुटीरकोणः (पुं०) कुटिया को कोना। (वीरो० ९/२५) कुटुनी (स्त्री०) दूती, कुट्टिनी। कुटुम्बं (नपुं०) [कुटुम्ब+अच्] परिवार, गृहस्थ, गृहयुक्त। (वीरो० १५/६९) कुटुम्बिकः (पुं०) [कुटुम्ब ठन्] पारिवारिक जन, कुल परिवार के लोग। (जयो० वृ० १२/३३) । कुटुम्बिनी (स्त्री०) गृहिणी, गृहस्वामिनी, पत्नी। कुट्ट (सक०) कूटना, पीसना, बांटना, चूर्ण करना। कुट्टक् प्रभावः (पुं०) कूटने का प्रभाव। (वीरो० ११/२१) कुट्टकः (वि०) कूटने वाला। कूट्टनं (नपुं०) कूटना, पीसना। कुट्टिनी (स्त्री०) [कुट्टयति नाशयति स्त्रीणां कुलम्'-कुट्ट णिच् ल्युट् ङीप्]। दूती। कुट्टमितं (नपुं०) [कुट्ट+घञ्] दिखावटी तिरस्कार। कुट्टाक (वि०) विभक्त किया गया। कुट्टारः (पुं०) [कुट्ट+आरन्] मैथुन, ऊनी कम्बल। कुट्टिमः (पुं०) झोपड़ी, कुटिया। । कुट्टिहारिका (स्त्री०) [कुट्टिा ह+ण्वुल टाप्] सेविका, दासी। कुटि मत्स्यमांसादिकं हरति इति। कुठः (पुं०) वृक्ष, तरु। [कुठ्यते छिद्यते-कुठ+क]। कुठारः (पुं०) कुल्हाड़, परशु, फरसा। कुठारघातः (पुं०) वज्रपात। (दयो० ४३) (भक्ति०) कुठारिकः (वि०) लकड़हारा, लकड़ी काटने वाला। कुठारिका (स्त्री०) [कुठार+ङीप्कन्+टाप्] फरसा, कुल्हाड़ा। कुठारुः (पुं०) १. तरु, वृक्ष। २. वानर। कुठिः (पुं०) १. वृक्ष, तरु। २. पर्वत। कुडङ्गः (पुं०) कुंज, लतागृह। कुडवः (पुं०) धान्य माप विशेष। कुड्मल (वि०) [कुड्क ल, मुट] मुकुल, खिलता हुआ, प्रस्फुटित होता हुआ। (जयो० वृ० ३/७५) कुड्मल: (पुं०) कली, खिलना, विकसित होना। कुड्मलकोमल (वि०) पुष्पकलिकावत्, कोमल। (वीरा० ५/२५) कुड्मलकल्पः (पुं०) मुकुलविधि, पुष्प खिलने की प्रक्रिया। कुड्मलस्य मुकुलपरिणामस्य कल्पो विधि (जयो० ३/८८) कुड्मलता (वि०) विकसित होती हुई। (सुद० २/२५) कुड्-मल-बन्ध लोपी (वि०) १. कमल संकोच, २. पुष्प के बन्ध के लोलुपी कली के इच्छुक, भ्रमर समूह। 'कुड्मलबन्धं कमल-सङ्कोच रूपबन्धनं लोपायतीति।' (जयो० वृ० १/७१) कुड्मललता (स्त्री०) मुकुलित लता, विकास को प्राप्त हुई, लतिका। कुड्मलित (वि०) [कुड्मल इतच्] १. कलियुक्त, २. प्रसन्न, हर्षयुक्त। कुड्यं (नपुं०) भित्ति, दीवार। (जयो० १०/८९) अर्क संस्कृत-- कुड्येषु संक्रांत प्रतिमा नरा। (जयो० १०/८९) 'जिणहरधरायदणाणं ठविअ-ओलित्तीओ कुड्डा णाम' (धव० १४/४०) कुड्यदोषः (पुं०) भित्ति का आश्रय लेकर कायोत्सर्ग करना। कुड्यमाश्रित्य कायोत्सर्गेण यस्तिष्ठति तस्य कुड्यदोषः। (मूला ०७/१७१) कुण्ठ (अक०) कुण्ठित होना, विकलांग होना, सुस्त होना, अपंग होना, मंदबुद्धि होना। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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