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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कीर्तिः २९४ कुगत कीर्तिः (स्त्री०) [कृत क्तिन्] यश, प्रसिद्धि, ख्याति, प्रभा, कान्ति। (जयो० वृe १/४५) (जयो० ६/८८) (वीरो० २/२०) नामविशेष (जयो० १/७१) 'कीर्तिः गुणोत्की "निरूपा कीर्तन्ते जीवादयस्तत्त्वार्थी यया सा। कीर्तिगानं (नपुं०) यशोगान। (जयो० २४/८०) कीर्तिजयी (वि०) यशस्वी। कीर्तित (वि०) उच्चारण सकेत। कीर्तिधर (वि०) ख्याति प्राप्त, प्रसिद्धि युक्त। कीर्तिबहुल (वि०) यशोमय। (जयो० वृ० १/५) कीर्तिभाज् (वि०) यशस्वी। कीर्तिमय (वि०) कीर्तियुक्त। (सुद० ८२) कीर्तिलोदत्री (वि०) भ्रकुटी चढ़ी हुई। (जयो० १६/८०) कीर्तिवार्ता (वि०) यशोगान युक्त, संकथा। (जयो० वृ० ३/३५) कीर्तिवृक्षः (पुं०) यशोवृक्षा (जयो० ७० ६/८०) कील (सक) बांधना, बंधन युक्त करना, आधीन करना। कीलः (०) । कोल्+घञ्] कील, लोला, खूटी। २. आयुध, नांक युक्त शस्त्र। कीलकः (पुं० [कील। कन्] खूटी, खंभा, स्तम्भ, खील। २. बाण। (वीरो० १७/४२) कीलनं (नपुं०) बन्धन, बंधना। किमधुना न चरन्त्यसवश्चरा: स्वयमिता: किमु कीलनमित्वराः। (जयो० ९/७) कीलाल: (पुं०) [कील+अल+अण] अमृत तुल्य पेय पदार्थ। किलिकिंचितं (नपुं०) रोष, भयादि का मिश्रण। किल्विषः (पुं०) पाप किल्विषकर्मा (वि०) घृणित कार्य करने वाले, पाप बंध युक्त ___ कार्य करने वाले। किल्विषिकः (पु०) देव जाति का एक नाम। किल्विषं पापं येषामस्ति ते किल्विषिकाः (स०सि०४/४) किल्विषिक-भावना (स्त्री०) दोष युक्त भावना। तित्थयराणं पडिणीओ संघस्स य चेइयस्स सुत्तस्स। अविणीदो णियडिल्लो, किव्विसियेसूदवज्जेइ।।(मूला | ०२:३०) क्रीड् (अक०। खेलना। क्रीडनकः ( पुं०) खिलौना। (जयो० वृ० १/१०) कीलिका (स्त्री०) [कील-कन्-टाप धुरे की कील, कीला। कीलिका संहननं (नपुं०) कीलों सहित होना। (त० वा० ४/११) कीलित (वि०) कीलन, उखाडने वाला। सद्यो विनाशमायाति कीलोत्पाटीव वानरः। (दयो० २/१३) कीश (वि०) नग्न। २. लंगूर, वानर, ३. सूर्य, ४. पक्षी। कीशकुलोद्भव (वि०) कीश/वानर कुल में उत्पन्न होने ____ वाले (वीरो० ९/२) कु (अव्य०) त्रुटिपूर्ण कार्यों के संकेत में इसका प्रयोग होता है। ०पापजन्य, निन्दनीय, अनिष्ट, हानिकारक। ०अभावयुक्तनीय, निम्न, ह्रास युक्त। (सम्य० ९२) कु (अक०) ध्वनि करना, शब्द करना। ' कु (पुं०) कवर्ग क, ख, ग, घ, ङ। (जयो० वृ० १/३९) . कुकर (वि०) पाप करने वाला, नीचता करने वाला। कुकर्मन् (नपुं०) निम्न कार्य, नीच कार्य, अधम प्रवृत्ति। (सम्य० ७५) अक्षाधीनधिया कुकर्म-कलना मा कुर्वतो मूढ! ते। (मुनि० १९) कुकर्म-कथा (स्त्री०) निम्न कार्य सम्बंधी कथा, नीच/पाप जन्य कहानी। (सुद० ९०) छन्नमित्यविपन्नसमया खलु कुकर्मकथा तु। (सुद० ९०) कुकर्मकलना (स्त्री०) खोटे कर्मों का बन्ध। (मुनि० १९) कुकभं (नपु०) [कुकेन आदानेन पानेन भाति कुक+भा+क] मदिरा, मद्य, सुरा! कुकीलः (पु०) पर्वत, पहाड़, गिरि। कुकुदः (पुं०) अलंकार, विभूषण, आभूषण। कुकुंदरः (पुं०) नितम्ब का ऊपरी भाग। कुकुरा (स्त्री०) एक देश, दशाह नामक देश। कुकूलः (पुं०) भूसी, तुष, चोकर। कुकूलं (नपुं०) छिद्र, गर्त, खाई! कुक्कुटः (पुं०) १. मुर्गा। २. चिनगारी, ताम्रचूड। (जयो० १/७८) कुक्कुटवाक् (नपुं०) मुगे की बांग। 'श्रुतकुक्कुटवाक् प्रगेतरां' (जयो० १०.८) कुक्कुटी (स्त्री०) मुर्गी। ताम्रचूड। कुक्कुभः (पुं०) [कुक्कु शब्दं 'भाषते कुक्कु भाष+ड] मुर्गा, कुक्कुट। कुक्कुरः (पुं०) [कोकते आदत्ते-कुक् क्चिय] कुक् किंचिदपि गृह्यतं जनं दृष्ट्वा कुरति शब्दायते-कुक्कु र+क, मुत्ता, श्वान (सुद० ८९) 'श्वा कुक्कुरश्चुकूज शब्दं चकार' (सुद० ४/४२) 'मृत्वा ततः कुक्कुरतामुपेतः' (सुद० ४/१८) कुगत (वि०) कुगति करने वाला। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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