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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कमलामुखी २५५ करः कम्प्रकरः (वि०) कांपते हुए हाथा तस्योरसि कम्प्रकरा माला बाला लिलेख नतवदना। (जयो०६/१२३) 'कम्प्रो वेपमानः करो यस्याः सा कम्पितहस्ता' (जयो० वृ०६/१२३) कम्ब् (सक०) जाना, चलना, गमन करना। कम्बरः (पुं०) चित्र-विचित्र रंग, नाना प्रकार के रंग। कम्बल (वि०) [कम्ब्+अरन्] रंग-बिरंगा, विविध वर्ण वाला। कम्बलः (पुं०) [कम्+कल्] ऊनी कम्बल। (जयो० २/१००) "कन्यका-कनककम्बलान्विति' एषाऽधुना झगिति कम्बलमेति तावत्। (जयो० १८/७०) कम्बलः (पुं०) सास्ना, बैल की गर्दन के नीचे लटकने वाला चर्म। कमलामुखी (वि०) लक्ष्मी सदृश। कमलावकीर्ण (वि०) कमलों से व्याप्त, पद्मों से घिरे हुए। (जयो० ८/४१) कमलेक्षणा (वि०) कमलनयना, पद्मनेत्रा। (जयो० १३/८६) 'अधः स्थिताया कमलेक्षणाया' कमलिनी (स्त्री०) [कमल इनिङीप्] सरोजनी, नलिनी। (जयो० १२/९८) सरस: सुत तामृते कुतः श्री कमलिन्यै किल यत्पुन सदस्त्रि (जयो० १२/१८) कमा (स्त्री०) [कम्+णि+अ+टाप्] लावण्य, सौन्दर्य, रमणीयता। कमित (वि०) [कम् तृच] लालची, लम्पट, लोभी। कमोदिनी (स्त्री०) के जले मोदत इत्येव शीला, कैरविणी, 'कुमुदिनी'। कम्प् (अक०) हिलना, कांपना, जाना। (जयो० वृ० ६/२४) (कम्पते, कम्पते) चकम्प। (जयो० १२/१२०) कम्पः (पुं०) [कम्प्+घञ्] चलायमान, हिलना, डुलना, इधर-उधर होना, घबराहट। (जयो० ६/२४) कम्पकारण (नपुं०) बेपथुनिमित्त, कम्पित (जयो०७/२०) कम्पदा (वि०) कांपने वाली, भयाक्रांत होने वाली, घबड़ाने वाली। भवति सम्मिलने बहुसम्पदा विरहिता जगतामपि कम्पदा। (जयो० ९/४७) कम्पन (वि०) (कम्प् मुच्] हिलने वाला, चलायमान होने वाला, घबड़ाने वाला। कम्पनः (पुं०) शिशिर ऋतु, सर्दी का समय। कम्पनोऽयं । जराचीनो भजते दण्डनीयताम्। कम्पनकारिन् (वि०) कांपने वाली। (सुद० १३४) (जयो० ७/१६) कम्यमान कांपता हुआ, थरथराता हुआ. घबड़ाता हुआ। (जयो० । वृ०६/१२३) कम्पमानकरः (वि०) कांपते हुए हाथा (जयो० वृ०६/१२३) कम्पवती (वि०) कापती हुई। (जयो० १७/१०) कम्पाकः (०) [कम्पया चलनेन कायति-कम्पा+के+क] हवा, पवन, वायु। कम्पित (वि०) कांपते हुए, हिलते हुए। (जयो० ६/१२३) कम्पित-हस्तः (पुं०) कम्पितकर, कांपते हुए हाथा (जयो० तृ०६/१२३) कम्प्र (वि०) [कम्पनर] कम्पायमान, हिलने वाला, थरथराने वाला। (जयो०६/१२३) कम्बल: (पुं०) मृग विशेष। कम्बलं (नपुं०) जल, वारि, नीर। कम्बलिका (स्त्री०) [कम्बल+ई+कन्+टाप्] छोटा कम्बल, शाल, ऊपर ओढ़ने का ऊनी वस्त्र। कम्बलिन् (वि०) कम्बल से आच्छादित। कम्बी (स्त्री०) [कम् बिन्+डीप्] चम्मच, कलछी। कम्बु (वि०) विविध रंगों वाला। कम्बुः (पुं०) १. शंख, सीपी। २. हस्ति, ३. ग्रीवा, ४. शिरा, नस, हड्डी । कम्बुकंडी (स्त्री०) ग्रीवा, सुराही सदृश ग्रीवा वाली नारी। कम्बुकः (पुं०) शंख, सीपी। (जयो० १०/४७) 'करद्वयी प्रापित ___ चक्र-कम्बुक:' (जयो० २४/५) कम्बोजः (पुं०) [कम्ब्+ओज] शंख। कम्र (वि०) [कम्र] रमणीय, सुन्दर, मनोरम, २. चाप, धनुकाण्ड (जयो०६/१०४) कम्रता (वि.) सरसता। करः (पुं०) १. हस्त, हाथ। 'करौ समायुज्य तमानमन्त्यम्' (सुद० २/२०) (जयो० १/२१) २. शुल्क, टैक्स चुंगी'करस्य वाधापि पयोधरेषु' (समु०६/६) 'करं परं दास्यति मादृशोऽपि योखिल-लक्ष्मीपतिदर्पलोपी' (जयो० ११/३८) 'क एव रा द्रव्यं ययोस्तौ आत्ममात्रसाधनौ तस्माद्वारौ साधनान्तरहीनतया स्वत एव निर्बलौ स्तः।' (जयो० ११४८५) कर-कल-(सुद० ७९) कर-शान्ति-(सुद० ७९) करकिरण-(सुद० ७९) कर-शाखा-'इत्यत्र कुमुदवत्या:करः' (जयो० ६/१२२) 'कर: शाखारूप:' कर-उपहार, भेंट 'करत्वे-उपहाररूपेण कलितं' (जयो० वृ० ५/७६) कर-नक्षत्र विशेष। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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