SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 41
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ४१ ) स्थान, मंगल हो तो जला हुआ स्थान (रसोई घर आदि) तथा शनि और राहु हो तो बाहरी भूमि (खेत, जंगल, बाटिका आदि) कहा गया है । चतुर्थ स्थान में इन (ग्रहों की स्थिति) के द्वारा नष्ट (चोरी किया या गुम गया) पदार्थ की (किस) भूमि में स्थिति है उसका विचार करना चाहिए। __ भाष्य : घर से भागा हुआ या अपहृत व्यक्ति और चोरी की गई या खो गयी वस्तु इस समय कहाँ स्थित है ? इस प्रश्न में प्रश्न लग्न से चतुर्थ स्थान में ग्रहों की स्थिति अथवा सम्बन्ध का विचार कर ग्रह के अनुसार उस स्थान का निश्चय करना चाहिए। उदाहरणार्थ यदि प्रश्नकुण्डली में चतुर्थ स्थान में शुक्र या चन्द्रमा हो अथवा चतुर्थ से शुक्र या चन्द्रमा का सम्बन्ध हो तो नष्ट वस्तु या व्यक्ति जलाशय (तालाब, नदी, सरोवर कुआँ. बावड़ी, नलकूप या पानी की टंकी आदि) के निकट हैऐसा जानना चाहिए। ____ इसी प्रकार यदि सूर्य चतुर्थ स्थान में स्थित हो या उसका उक्त स्थान से सम्बन्ध हो तो नष्ट पदार्थ गौशाला, अश्वशाला (घुड़शाला), या अन्य पशुओं को रखने के स्थान में होता है। यदि बुध उक्त स्थान में स्थित हो तो वह वस्तु ईंट, चूना, पत्थर आदि से बने पक्के मकान कोठी, बंगला अथवा ईंट पत्थर की दुकान में होती है। यदि मंगल वहाँ बैठा हो तो वह वस्तु रसोईघर, होटल, हलवाई की दुकान, भाड़, बेकरी या कारखाने की भट्टी के आसपास होती है। यदि गुरु की उस स्थान में स्थिति या सम्बन्ध हो तो वस्तु मन्दिर, मठ, मस्जिद, गिरजा घर या गुरुद्वारे आदि में होती है। शनि एवं राहु की स्थिति वश वस्तु बस्ती के बाहर खेत, जंगल, खण्डहर या पर्वत आदि For Private and Personal Use Only
SR No.020128
Book TitleBhuvan Dipak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaprabhusuri, Shukdev Chaturvedi
PublisherRanjan Publications
Publication Year1976
Total Pages180
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy