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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ३६ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माने जाते हैं । शनि दास या सेवक है । इसलिए विभिन्न विभागों में नौकरी करने वाले, भार ढोने वाले, घरेलू नौकर, दैनिक मजदूर, स्वयं सेवक, वालन्टियर, दूत, संदेशवाहक, ड्राइवर एवं श्रमिक आदि शनि से प्रभावित स्वीकार किये गये हैं । राहु चाण्डाल है । जो व्यक्ति अपराध, समाज विरोधी कार्य एवं हिंसक वृत्ति का हो, उसे चाण्डाल कहा गया है | अतः चोरी, तस्करी, भ्रष्टाचार, जुआ एवं अन्याय अनैतिक कार्य, करने वाले, शिकारी, कसाई; मांसविक्रेता एवं दस्यु आदि राहु के प्रभाव को अभिव्यक्त करते हैं । प्रश्न कुण्डली में लग्न एवं दशम स्थान से सम्बन्ध रखने वाले ग्रह की जो वृत्ति है, व्यक्ति उसी प्रकार की आजिविका में संलग्न होता है । यदि इस प्रकार के ग्रहों की संख्या अधिक हो, तो उनमें से जो बलवान् हो उसके अनुसार आजीविका का निर्णय कर लेना चाहिए । आजिविका कारक ग्रह के निर्बल होने पर व्यवसाय में प्रायः परिवर्तन होता रहता है । शुक्रे चन्द्र े भवेद्रौप्यं बुधे स्वर्ण मुदाहृतम् । गुरौ रत्नयुतं हेम सूर्ये मौक्तिकमुच्यते ॥ ३६॥ भौमे त्रपु शनौ लौहं राहावस्थनि कीर्तयेत् । धातोविनिश्चये जाते विशेषोऽस्मादुदाहृतः ॥ ३७॥ अर्थात् शुक्र और चन्द्रमा हो, तो चाँदी और बुध होने पर सुवर्ण कहा गया है । गुरु हो तो रत्न जटित सोना (आभूषण ) सूर्य हो तो मोती कहा गया है। मंगल हो तो सीसा, शनि हो For Private and Personal Use Only
SR No.020128
Book TitleBhuvan Dipak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaprabhusuri, Shukdev Chaturvedi
PublisherRanjan Publications
Publication Year1976
Total Pages180
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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