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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ( १५६ ) चारों का गम्भीरतापूर्वक चिन्तन किया जाता है । चारों में भी कार्यसिद्धि का बीज होने के कारण चन्द्रमा अपना विशेष प्रभाव एवं महत्वपूर्ण स्थान रखता है । सम्भवतः इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए दिनचर्या जैसे तात्कालिक प्रश्न में केवल चन्द्रमा के आधार पर शुभाशुभ फल का निश्चय किया है । म प्रश्नकाल में चन्द्रमा शुभ स्थान में शुभ ग्रहों से युत यादृष्ट हो तो शुभफलदायक, नेष्ट स्थान में पापग्रहों से युत दृष्ट हो तो पापफलप्रद एवं शुभ और पाप दोनों प्रभाव के स्थान और ग्रह के प्रभाववश मिश्रित फल देता है । दिनचर्या के प्रश्न में उदय काल और अस्तकाल में शुभ चन्द्रमा होने पर पूरा दिन शुभ कहना चाहिए । यदि चन्द्रमा पाप या मिश्रित हो तो वैसा फलादेश करना चाहिए। उदाहरणार्थं निम्नलिखित कुण्डली देखिये : ८रा १० 99 १२व ७ सू१ वु www.kobatirth.org ६ ४ 3 श Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५ के ६ 2 For Private and Personal Use Only 。 oc १ १२ बु १० म ११ of a कै २ दिनचर्या के प्रश्न में सूर्योदय एवं सूर्यास्त काल की दोनों उक्त कुण्डलियों में चन्द्रमा स्वराशि केन्द्र स्थान में स्थित और गुरु से दृष्ट हैं । अतः पूरा दिन शुभ रहने का योग है । परस्मिन्नपि खेचरे । राहो वाथ कुजे क्रूरे अष्टमे स्वगृहे चैव दिने अर्थात् यदि राहु, मंगल या अन्य पापग्रह स्वराशि में चन्द्रऽसिना वधः ॥ १६१ ॥
SR No.020128
Book TitleBhuvan Dipak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaprabhusuri, Shukdev Chaturvedi
PublisherRanjan Publications
Publication Year1976
Total Pages180
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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