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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवाडा १८४ नषत - नवाड़ा-संज्ञा, पु. (दे०) एक तरह की नाव। नशा-संज्ञा पु० (फा० वा प्र०) मादक दशा। नवाढिया- वि० (दे०) नया, अनुभव-हीन । मुहा०-नशा किर्राकरा हो जानानवाना-स० क्रि० दे० (सं० नवन) झुकाना, नशे का मज़ा मिट जाना। प्राखों में नशा लचाना, प्रणाम करना। छाना-मस्ती चढ़ना। नशा जमनानवान्न-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) फ़सिल का अच्छा नशा होना । नशा हिरन होनानूतन अन, नया अनाज । किसी आपत्ति से नशा बिलकुल उतर जाना। नवाब -- संज्ञा, पु० दे० (अ० नवाब ) बाद- मादक वस्तु । यौo-नशापानी--मादक शाह का स्थानापन, सूबेदार, मुसलमानों वस्तु और उसका सारा सामान, नशे की की पदवी। वि. बड़ी शान शौकत और सामग्री । धन-विद्या अदि का घमंड, मद, अमीरी ठाट-बाट में रहने वाला। गर्व । मुहा०-नशा उतारना (उतरना) नघावी -- संज्ञा, पु० स्त्री० दे० ( हि० नवाब + | -अहंकार मिटाना (मिटना)। ई-प्रत्य० ) नवाब का कार्य पद या दशा, नशाखोर-संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) नशा सेवी, राजत्व काल, नवाबों का सा शासन, बहुत नशेबाज, नसेड़ी (ग्रा०)। अमीरी, अंधेर (व्यंग्य,। नशाना -२० क्रि० दे० (सं० नाश ) नवासा-संज्ञा, पु. (फा०) लड़की का नसाना (दे०) नष्ट करना, बिगाड़ना। लड़का, दौहित्र । स्त्री० नवासी। नशावना-स. क्रि० द० (हि. नसाना नवाह---संज्ञा, पु. ( सं०) किसी पवित्र का प्रे० रूप ) नाश करना। पुस्तक का पाठ जो नौ दिनों में पूरा हो, नशीन-वि० (फा० ) बैठने वाला। नवान्हिक। नशोनी-संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) बैठने की क्रिया नवीन-वि० (सं० ) नया, नूतन, अपूर्व, या भाव, बैठक। जैसे - तख्त-नशीनी । अनोखा । स्त्री० नवीना नौ जवान । | नशीला-- वि० ( फ़ा० नाश :-ईला---प्रत्य०) नवीनता-संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) नयापन, ! मादक, नशोत्पादक । स्त्रो० (दे०) नशीली। नूतनता, नव्यता । मुहा०-नशीली आँखें--मदमस्त पाखें, नवीस-संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) लेखक, लिखने वे श्राखें जिनमें मस्ती हो। वाला, जैसे-नकलनवीस । नवीसी-संज्ञा, स्रो० (फा० ) लिखाई, नशेबाज़-संज्ञा, पु० (फा० ) मद्य या मादक लिखने की क्रिया या भाव । वस्तु सेवी, नसेड़ी (ग्रा०)। नवेद-संज्ञा, पु० दे० (सं० दिवेदन ) निमं- नशोहरी-वि० दे० ( सं० नाश ---योहर त्रण, न्योता, बुलौना, निमंत्रण-पत्र । -प्रत्य० ) नाशक । नवेला- वि० दे० ( सं० नवल ) नया, | नश्तर-संज्ञा, स्त्री० पु. ( फा०) नस्तर नूतन, नवीन, जवान, तरुण । स्त्री० नवेली। (दे०) छोटा और तेज चाकू या छुरी, जिससे नघोढ़ा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) हाल की व्याही फोड़े श्रादि चीरे जाते हैं । मुहा०नववधू, नौजवान, नवयौवना, समान लज्जा | नश्तर लगाना-चीड़ना, टीका लगाना। और शील वाली नायिका। नश्वर---वि० (सं०) नष्ट होने वाला, नाश नव्य-वि० (सं०) नूतन, नवीन, नया। होने योग्य । संज्ञा, स्त्री० (सं०) नवरता । संज्ञा, स्त्री० (सं०) नव्यता । नष-संज्ञा, पु० दे० ( हि० नख) नाखून । नशना--अ० क्रि० दे० (सं० नाश ) नष्ट नषत-संज्ञा, पु० दे० (सं० नक्षत्र ) नक्षत्र, या नाश होना, नसना (दे०) । नछत्र, नखत (ग्रा०)। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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