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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org नदीश TGS नब्ज़ नदोश - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) समुद्र, महा- | नन्हियाना -- स० क्रि० (दे०) नन्हा या महीन भारत पु० | "बाँध्यो जलनिधि, तोय-निधि, करना, बारीक बनाना । उदधि, पयोधि, नदीश " रामा० । नदेश - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) समुद्र नदों का स्वामी, सागर । नदोला - संज्ञा, पु० (दे०) मिट्टी की बड़ी नाँद जिसमें पशुओं को खिलाया जाता है । नद्दना* - अ० क्रि० दे० ( सं० नदन) शब्द करना, नाँदना, नदना । नही* -- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० नदी) नदी । नद्र - वि० (सं०) बँधा हुआ, बद्ध । नधना - अ० क्रि० दे० (सं० नद्व + ना प्रत्य० ) जुतना, जुड़ना, बँधना, जुटना, काम में लगना । ननकारना - अ० क्रि० दे० ( हि० न - करना) नाहीं करना, नामंजूर या अस्वीकार करना, नकारना । ननका -- संज्ञा, पु० (३०) छोटा बच्चा । ननँद-ननद-ननँदी - संज्ञा, स्त्रो० दे० (सं० ननंद) स्वामी की बहिन, नंद, ननंदा । ननदोई - संज्ञा, पु० ६० ( हि० ननद + ईप्रत्य० ) ननद का पति, स्वामी का बहनोई, नंदोई (ग्रा० ) | ननसार - ननसाल - संज्ञा, श्री० द० यौ० ( हि० नाना - शाला - सं०) नाना का घर या गाँव, नेनाउर, ननियाउर ननित्र्याउर ( ग्रा० ) । " भरतहि पठ दीन्ह ननिउरे " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नन्हैया)--- वि० दे० ( हि० नन्हा ) छोटा । नपाई - संज्ञा, स्त्रो० दे० ( हि० नाप + ई प्रत्य०) नापने का काम, भाव और मज़दूरी । नपाक - नापाक* -- वि० दे० ( फा० नापाक ) छूत, अपवित्र, अपावन । नपुंसक - संज्ञा, पु० (सं०) हिजड़ा, नामर्द, क्लीव, पंढ (सं० ) । नपुंसकता - संज्ञा स्त्री० (सं०) हिजड़ापन, नामर्दी, क्लीवता, क्लीवत्व | संज्ञा, पु० नपुंसकत्व । नपुत्री- वि० दे० (हि० निपुत्री ) निपूता, नपूता (ग्रा० ), निःसंतान, बेश्रलाद संतान या पुत्रहीन । नशा संज्ञा, पु० (सं० स ) पोता बेटे का बेटा, नाती (दे० ) । स्त्री० नप्ती (सं० ) नातिनि, नतिनी । नफ़र - संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) सेवक, दास, नौकर, व्यक्ति मज़दूर, पुरुष । नफरत -- संज्ञा, खी० (अ०) घृणा, धिन । नफरी - संज्ञा, खो० ( फा० ) एक मजदूर का एक दिन का काम या मज़दूरो, मजदूरी का दिन | - नफ़ा - संज्ञा, पु० (अ० ) लाभ फ़ायदा | नफासत - संज्ञा स्त्री० ( ० ) उम्दापन, वाई, सफाई | नफरी - संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) तुरही, धुतूरा । नफ़ीस - वि० (०) उमदा, साफ, बढ़िया । नबी- संज्ञा, पु० (अ० ) भगवान का दूत, रसूल, पैग़बर, देव-दूत | - रामा० । I ननियाससुर --- संज्ञा पु० दे० यौ० ( हि० नान + ससुर ) पति या स्त्री का नाना जो एक दूसरे के ससुर हैं । त्रो० ननियासास । ननिहाल - -संज्ञा, पु० दे० ( हि० नाना + चालय ) नाना का घर, ननसार । नन्हा - वि० दे० (सं० न्यंच या न्यून) छोटा । स्त्री० नन्ही । मुहा० - नन्हा कातना - बहुत सूधर्माशि में कुछ करना । नन्हाई - संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० नन्हा + ई- नब्ज़ - संज्ञा स्त्री० ( अ० ) नाड़ी, नारी । नबेड़ा सज्ञा, पु० दे० ( हि० नबेड़ना ) न्याय, निपटारा, फैसला, निबेरा ( ० ) । प्रत्य० ) छोटाई, अप्रतिष्टा, हेठी । .6 जुम्बिशे नब्ज़ से औ लौन से कारूरी भा० श० क ० - १२३ नबेड़ना - स० क्रि० दे० (सं० निवारण ) निपटाना, तै करना, चुकाना, समाप्त करना । निबेरना (दे०), निवारना । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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