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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुति ६३८ द्वारका द्रुति-संज्ञा, स्त्री. (सं०) द्रव, गति, शीघ्रता। द्रोही- संज्ञा, पु. (सं० द्रोहिन् ) द्रोह करने द्रपद-संज्ञा, पु० (सं०) पंजाब देश के राजा या बुराई चाहने वाला, बैरी । स्त्री० द्राहिणी। द्रौपदी या कृष्णा के पिता। "सिव-द्रोही मम दास कहावै"-रामा० । द्रुम-संज्ञा, पु. (सं०) पेड़, वृक्ष । द्रौपदी- संज्ञा, स्त्री. (सं०) कृष्णा, राजा दुमालिक- संज्ञा, पु० (सं०) एक राक्षस । द्रुपद की पुत्री, पांडवों की स्त्री। द्रमारि-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) वृक्षों का बैरी, द्वंद-संज्ञा, पु. (सं०) दो, जोड़ा, मिथुन, हाथी, करी। वि० (सं०) कुठार. कुल्हाड़ी, युग्म, प्रतिद्वन्दी, मल्ल या इंद्व युद्ध, झगड़ा, आँधी, प्रभंजन । दो विरोधी वस्तुयें, जैसे-सुख दुख, जंजाल, द्रुमाश्रय - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) गिरगट, उलझन, दुःख, कष्ट, संशय, दुंद (दे०)। कृकलास, शरट । संज्ञा, स्त्री० (सं० दुदुभी ) दुंदुभी, नगाड़ा। द्रमिला-दुरमिल-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं०) द्वंदर --वि० दे० (सं० द्वंद्वालु ) झगड़ालूएक छंद, दुर्मिल सवैया (पि०)। बखेड़िया, लड़ाका। द्रुमेश्वर-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पीपल या | द्वंद्व - संज्ञा, पु० (सं०) जोड़ा, युग्म, दो, दो ताड़ का वृक्ष, चन्द्रमा, निशाकर, द्रुमेश । विरोधी पदार्थों का जोड़ा, गुप्त बात या द्रहिण-संज्ञा, पु. (सं०) ब्रह्मा, विधाता। रहस्य, दो पुरुषों का युद्ध, झगड़ा, एक द्रुह्य-संज्ञा, पु० (सं०) राजा ययाति के पुत्र । समास जिसमें और शब्द का लोप हो द्रोण - - संज्ञा, पु० (सं०) काष्ट-पात्र, पत्तों का (व्या० )। कटोरा, दोना, १६ सेर की तौल, नाव, द्वंद्वयुद्ध -संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दो मनुष्यों डोंगा, अरणी लकड़ी, एक प्रकार का रथ, की लड़ाई, कुश्ती, मल्लयुद्ध । काला कौश्रा, द्रोणगिरि, द्रोणाचार्य । द्वय- वि० (सं०) दो, द्वै, दुइ (दे०)। द्रोणकाक-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) काला द्वादश-वि० (सं०) बारह । कौमा। द्वादशाक्षर-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) १२ वर्णी द्रोणगिरि - संज्ञा, पु. यो० (सं०) एक पर्वत । का छंद, बारह अक्षर का विष्णु का मंत्रद्रोणाचार्य-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) अर्जुन “ओ३म् नमो भगवते वासुदेवाय ।" के धनुर्विद्या के अद्वितीय ज्ञाता गुरु, द्वादशाह-संज्ञा, पु० यौ० (२०) बारह दिनों अश्वत्थामा के पिता। का समूह, मृतक के बारहवें दिन का कर्म द्रोणायन-संज्ञा, पु० (सं०) द्रोणाचार्य के या श्राद्ध, द्वादशान्हिक। पुत्र अश्वत्थामा, द्रोणी। द्वादशी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) दुश्रादसी (दे०), द्रोणी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) डोंगी, छोटा दोना, तिथि, दुबास ( ग्रा.)। काठ का प्याला, दून या दर्रा, द्रोण की स्त्री द्वादसबानी -वि० यो० दे०( हि० बारहकृपी, १२८ सेर की तौल. द्रोनी (दे०)। ___ बानी ) सूर्य सा प्रभावान, खरा, निर्दोष, दोन* -संज्ञा, पु० दे० (सं० द्रोण ) दोना, सच्चा, पक्का, पूरा, सेना के हेतु । द्रोणाचार्य, द्रोनाचारज (दे०)। द्वापर - संज्ञा, पु. (सं०) तीसरा युग, जो द्रोह-संज्ञा, पु. (सं०) द्वैष, बैर, शत्रुता, ८६४००० वर्ष का होता है। दूसरे का अहित-चिंतन । " करहिं मोह- | द्वार-संज्ञा, पु. (सं०) दरवाजा, मुहारा, वस द्रोह परावा"-रामा० । मुहार, दुवार, दुआर (प्रा.), इन्द्रियों द्रोहिया- वि० (दे०) द्रोही द्वैषी, बैरी, के छेद। विरोधी। द्वारका--संज्ञा, स्त्री० सं०) गुजरात का एक For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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