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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . ८७२ दफ़्तरी दध-संज्ञा, पु० दे० (सं० दधि) दही, दनुजदलनी- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) दुर्गा जी समुद्र, वस्त्र। दनुजराय-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० दनुजराज ) दधसार-संज्ञा, पु० दे० (सं० दघिसार ) दानवों का राजा हिरण्यकशिपु । मक्खन, नवनीत, माखन । दनुजेन्द्र - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) रावण । दधि-संज्ञा, पु० (सं०) दही, कपड़ा। संज्ञा, दन्न-संज्ञा, पु० द० ( अनु० ) तोप बन्दूक पु० दे० (सं० उदधि ) समुद्र । श्रादि के छूटने का शब्द । संज्ञा, पु. दन्नाटा । दधिकाँदो-~-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं०) एक क्रि० वि० दन्नाटे से-बेधड़क, जल्दी से । उत्सव. जब हलदो मिला दही लोगों पर दपट-दपेट-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हिं० दपटना) डालते हैं। दौड़, झपट, डाँट, धमकी, घुड़की। दधिजात-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) मक्खन, दपटना--अ० क्रि० दे० ( अनु०) झपटना, संज्ञा, पु. ( सं० उदधि - जात) चन्द्रमा, दौड़ना, डाँटना, घुड कना, उपटना । दधि-सुत । दपदपाना -- अ. क्रि० (दे०) चमकना, दधिमुख- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) लड़का, शाभित होना, दमकना। बालक, राम की सेना का एक वानर । दपु-द प- संज्ञा, पु. दे. (सं० दर्प ) दर्प, दधिबल-संज्ञा, पु० (सं०) सुग्रीव का पुत्र ।। शेखो. अहँकार, दाप (दे०)। दधिरिपु-संज्ञा, पु० यौ० ( स० उदधिरिषु ) दाचासुदपेटना-- स० कि० द० (हि० दपेट) दौड़ना, अगस्त्य मुनि । झपटना, रपेटना (दे०)। दधिलार--सज्ञा, पु० यौ० (सं०) मक्खन ।। दफ़तर- संज्ञा, पु. द. (अ. दफ्तर) संज्ञा, पु० ( स० उदधिसार ) चन्द्रमा। ग्राफिप, (अ०) कचहरी : संज्ञा, पु. दफ़तरी। दधिसुत-संज्ञा, पु० यौ० (सं० उदधिपुत ) दफती --संज्ञा, स्त्री० (प्र० दफ़्तीन ) गाता, चन्द्रमा, मोती, विष, जालंधर दैत्य । सज्ञा, वसली। पु. (स०) मक्खन, नवनीत । दफन-संज्ञा, पु. ( अ० ) मृतक को ज़मीन दधिसुता-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० उदधिपुता) में गाइना। लघमी, सीप । दनाना-स० कि० (अ० दफ़न+पाना ) दधिस्नेह - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) दही मृतक को जमीन में गाड़ना, दबाना । की मलाई। दफ़ा-संज्ञा, स्त्री० (म० दफ़न) वार, बेर, दधिस्वेद- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) छाँछ, क्लास (अं०) दरजा, कता, श्रेणी, धारा तक्र, मट्टा, मही (ग्रा०)। दधीच-दधोचि-- संज्ञा, पु० (सं०) एक ऋषि | ( कानून की)। मुहा०-दफा लगाना जिनकी हड्डियों से वन आदि बने थे। -- जुर्म लगाना, अपराध स्थिर करना । वि. दनदनाना-अ० क्रि० दे० ( अनु० ) दनदन (अ०) तिरस्कृत, दूर किया या हटाया हुआ । शब्द करना, खुश करना, गमाना । दफादार-सज्ञा, पु. (अ. दफ़न+फा. दनादन-क्रि० वि० दे० (अनु० ) दन दन । दार ) सेना के एक भाग का सरदार या शब्द के साथ, खुशी से, लगातार । अफसर। दनु-सज्ञा, स्त्री. (सं०) करयप की स्त्री दफीना-संज्ञा, पु० (अ०) गड़ा हुश्रा खजाना, जिसके चालीप पुत्र हुए और सब दानव कहा। काप या धन । दनुज-सज्ञा, पु. ( सं० ) दानव, दैत्य । दफ़्तर-संज्ञा, पु. (फा०) आफिस (अं०) "देव, दनुज धरि मनुज-सरोरा'-रामा० । कचहरी, दादर (मा.)। दनुजद्विष-संज्ञा, पु० यो०(स०) देवता, विष्णु। दफ्तरी-सज्ञा, पु. (फा०) जिल्दसाज़ दनुजार-सज्ञा, पु० यौ० (स०, देवता, विष्णु जिन्दबन्द, दस्तर का सिपाही या चौकीदार। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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