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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेली तेजवन्त तेजवन्त-वि० (सं० ) प्रतापी, तेजवान ।। रूप । स्त्री० तेरी (व्र०)। संज्ञा, पु० (दे०) " तेजवन्त लधु गनिय न रानी"-रामा। तेरह । मुहा०-तेरीसी-तेरे अनुकूल | तेजवान-वि. ( सं० तेजोवान् ) प्रतापी, तेरुस - संज्ञा, पु० दे० (हि. त्योरुस ) तेजस्वी। पिछला या अगिला, तीसरा वर्ष । तेजस्-संज्ञा, पु. ( सं० ) प्रताप, प्रभाव, तेरे-अव्य (हि. ते ) से । सर्व० (हि.) एक तत्व । । तुम्हारे, तिहारे (व.)। तेजसी-वि० दे० (हि. तेजस्वी) प्रतापवान्। तेरा-सर्व० ७० (हि० तेरा) तेरा, तिहारो। तेजस्विता- संज्ञा, स्त्री० ( सं०) प्रतापी होने तेल- संज्ञा, पु० दे० (सं० तैल ) तैल, रोगन, का भाव । विवाह की एक रीति । यौ० तेलफुलेल । तेजस्विनी-संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) प्रतापिनी! मुहा०-तेल चढ़ना-वर वधू के तेल तेजस्वी- वि० ( सं० तेजस्विन् ) प्रतापी। लगाया जाना । “तिरिया-तेल, हमीर हठ, तेज़ाब-संज्ञा, पु० ( फा० ) तेज़पानी, एक चहै न दूजी वार। औषधि । वि० तेजाबी। ते गू-सज्ञा, पु० दे० (सं० लंग) तैलंग तेज़ी-संज्ञा, स्त्री० ( फ़ा० ) तेज़ होने का देश की बोलो या भाषा। भाव, तीवता, मँहगी, फुरती। तेगहन --- सज्ञा, पु० (हि. तेल ) सरसों तेजोमंडल-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) प्रभा- आदि बीज जिनसे तेल निकलता है, तिलमंडल, प्रताप कागोला. देवताओं, सूयादि हन (दे०)। के चारों ओर कांति का गोला। तेलहा- वि० पु० दे० (हि. तेल ) तेल से तेजोमय- वि० ( सं० ) अति प्रकाश, प्रताप सम्बन्ध रखने वाला, तेल-युक्त। और ज्योति वाला। तेजा- संज्ञा, पु. (दे०) तीन दिन-रात तेतना-वि. पु. दे० (हि. तितना) उतना, का व्रत । तितना, तेत्ता (ग्रा०)। सी० तेतनी, तेती। तेलिन-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. तेली ) तेली तेता ---वि० पु० दे० (सं० तावत् ) तितना, की या तेली जाति की स्त्री, एक बर्साती उतना, तेता (व.)।" तेते पाँव पसा- कीड़ा। रिये" - ०। ( बिलो. जेतो), व० तेलिया-वि० (हि. तेल) तेल सा चिकना, व० तेते। चमकीला या तेल के रंग का। संज्ञा, पु. तेतिक -वि० (हि० तेता) उतना, तितने। काला चिकना तथा चमकीला रंग, तेल तित्ते (दे०)। जैसे रंग का घोड़ा, एक बँबूल, सींगिया तेते-सर्व० दे० (हि. वेवे) वेवे, उतने, जितने। विष, तेली। तेतो-वि० दे० (हि० तेता) तितना, तेलिया-कंद-संज्ञा, पु० यौ० (सं० तैल कंद) उतना तित्ता (ग्रा० ) । विलो. जेती। एक कंद जिसके पास की भूमि तेल से तर तेमन- वि० (दे०) श्रोदा, गीला, एक भोजन। सी दीखती है। तेरम-त्यारस-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० त्रयो- | तेलिया कुमैत--संज्ञा, पु. यो० (हि.) दशी ) त्रयोदशी। घोड़े का एक रंग। तेरही-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० तेरह ) मृतक तेलिया-सुरंग-संज्ञा, पु. यौ० (हि.) के मरने के तेरहवें दिन पर शांति कर्म । घोड़े का एक रंग। तेरा-सर्व० दे० (सं० तब ) तुम्हारा, तेरो, तेली-संज्ञा, पु० दे० (हि. तेल) तेल बनाने तिहारो (व०) । तू का सम्बन्ध कारक में या बेंचने वाला । स्त्री० तेलिन । मुहा०भा० श० को०-१०७ For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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