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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org तीर्थराजी तीर्थराजी - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) तीर्थरानी, काशी । तीर्थाटन - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) तीर्थ-यात्रा | तोर्थिक - संज्ञा, पु० (सं०) तीर्थ का ब्राह्मण या पंडा, बौद्ध धर्म का विद्वेषी, ब्राह्मण (बौद्ध) तीर्थकर ( जैन ) । तीली - संज्ञा, स्त्रो० दे० (फा० तीर) सींक, धातु का पतला और कड़ा तार । ८४२ तोवर - संज्ञा, पु० (सं०) समुद्र, सागर, शिकारी । तीव्र - वि० (सं०) बहुत ही तेज़, तीच्ण, गरम, क. डुवा, असा, तीखा (दे० ) ऊँचा स्वर । तीव्रता - संज्ञा, स्त्री० (सं०) तीचणता, तेजी, तीखापन, चोखापन । तीस - वि० दे० (सं० त्रिंशत् ) बीस और दश । यौ० - तीसों दिन या तीस दिन -सदा, सब दिन । तीस मार खां - बड़ा बहादुर (त्र्यंग) | संज्ञा, पु० (दे०) दश की तिगुनी संख्या, ३० । तीसरा, तीसर, तिसरा - वि० द० ( हि० तीन ) गैर, दूसरा, बाहिरी, अपर, प्रति दो के पीछे आने वाला, तृतीय । स्त्री० तीसरी । तीसी - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० अतसी) अलसी, तीस गाहियों का एक मान ( प्रान्ती० ) । तुंग - वि० (सं०) ऊँचा, मुख्य | संज्ञा, पु० (सं०) पुन्नाग पेड़, पहाड़ या श्रृंग, नारियल, कमल- केसर, शिव, एक वर्ण वृत्त (पिं० ) तुंगता - संज्ञा, स्रो० (सं०) ऊँचाई । तुंगनाथ - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक तीर्थ । तुंगवाहु – संज्ञा, पु० यौ० (सं०) तलवार का एक हाथ । तुंगभद्र - संज्ञा, पु० (सं०) मस्त या मतवाला हाथी । तुंगभद्रा - संज्ञा, स्त्रो० (सं०) दक्षिणी भारत की एक नदी । तुंगारण्य - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) बेतवा नदी के तट पर झाँसी के पास का एक वन | तुंगार (दे० ) । तुकबन्दी तुंड -संज्ञा, पु० (सं०) मुँह, चोंच, सूँड़, थूथुन ( ग्रा० ) तलवार का अगला खंड, शिव जी । " करता दीखै कीरतन, ऊँचा करिकै लुंड ” – कबी० । तुंडि - संज्ञा, स्त्री० (सं०) मुख, चोंच, नाभि । तुंडी - वि० संज्ञा (सं०तुंडिन् ) मुख, चोंच, थूथुन सूँड़वाला | संज्ञा, पु० (सं०) गणेश जी | संज्ञा, स्त्री० (सं०) नाभि, ढोंढ़ी (ग्रा० ) | तुंद - संज्ञा, पु० (सं०) उदर, पेट, तोंद (दे०) वि० ( फ़ा० ) घोर, तेज़, प्रचंड । तुंदिया - (संज्ञा, स्त्री० (दे०) नाभि, तोंदी (दे०)। तुंदिल - वि० (सं०) तोंदवाला, जिसके बड़ा पेट हो, तोंदीला - (दे०) । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुंदी - संज्ञा स्त्री० दे० (सं० तुंद) नाभि, तोंदी । तुंदेल - वि० दे० (सं० तुंदिल ) जिसके तोंद बड़ा पेट हो, तँला । बड़ो, तँबड़ी - संज्ञा, स्रो० दे० (हि० तँबा ) तूंमड़ी, तोंबी, तुंबी । तुंबर* – संज्ञा, पु० दे० (सं० तुंबुरु) धनियाँ, गंधर्व, बु 55 तुंबा - संज्ञा, पु० दे० (हि० तूंबा) तूंबा, तोंबा । तुंबी तंवरी - संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० तँबा ) "तोंबी, तूंबी । " ते सिर कटु तुंबी सम तूला - रामा० । लो० - कटुक तँबरी सब तीरथ करि आई " । तुंबुरु - संज्ञा, पु० (सं०) एक गंधर्व, धनियाँ । तुम, तुष - सर्व० दे० (सं० तव ) तुम्हारा । तुमना- - प्र० क्रि० दे० (हि० चूना) टपकना, चूना, गिर पड़ना, गर्भ गिरना । तुर - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) अरहर । तुई | - सर्व० दे० (सं० त्वम्) तू, तुही, तुम्ही । तुक - संज्ञा, स्त्रो० दे० ( हि० टूक ) गीत की कड़ी, पद्य के चरणान्त के वर्णों का मिलान, वर्ण-मैत्री, अन्त का अनुप्रास, काफ़िया ( फ़ा० ) । वि० तुक्कड़ केवल तुक जोड़ने वाला | मुहा० - - तुक जोड़ना - बुरा काव्य करना । तुकबन्दी -संज्ञा, खो० यौ० ( हि० तुक + For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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