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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org तले ८२३ - एक तले - क्रि० वि० दे० (सं० तल ) नीचे, तरे (दे० ) । मुहा० - तले ऊपर - एक दूसरे के ऊपर, उलट-पलट | तले ऊपर के - एक साथ होने वाले दो लड़के, जुड़वाँ, दूसरे के बाद उत्पन्न | तलेटी- संज्ञा, त्रो० दे० तलहटी (दे०), पहाड़ के तलैंचा - संज्ञा, पु० (दे० ) ( सं० तल ) पेंदी, नीचे की भूमि । मेहराब के ऊपर तल्ला - संज्ञा, पु० दे० ( सं० तल ) भितल्ला, अस्तर, पास नज़दीक, मुहल्ला, जूते का तला, साथ तल्तिका - संज्ञा, पु० (दे०) कुंजी, ताली, तालिका | तारा -- संज्ञा पु० दे० (सं० ताप हि० ताव ) ताप, गरमी, जलन, दाह । तवारीख - संज्ञा, स्त्री० ( ० ) इतिहास, पुराण, तारीख (दे० ) । वि० – तवारीखी तारीखी इतिहास सम्बन्धी | तवालत - संज्ञा, स्रो० (०) लम्बाई, अधिकता, भट, बखेड़ा, बढ़ावा । का भाग । तलैया - संज्ञा, स्त्री० ( हि० ताल ) छोटा तशखीस - संज्ञा, स्त्री० (अ० ) ठीक, निश्चय, ताल, गढ़या । मुकर्रर, निदान । तलौंछ - संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० तल = नीचे ) तशरीफ़ - संज्ञा, स्त्री० (प्र०) महत्व बड़प्पन | तलछट, मैल 1 तल्ख - वि० ( ० ) कडुआ । ( संज्ञा, तलछी) कडवाहट । मुहा० - तशरीफ़ रखना-बैठना विराजना । तशरीफ़ लाना-थाना । तशरीफ़ ले जाना - चला जाना । तल्प - संज्ञा, पु० (सं०) पलंग, चारपाई, तश्तरी संज्ञा, खो० ( फ़ा० ) रकाबी, अटारी । सनकी, तस्तरी (दे० ) ! तपना - स० क्रि० (दे०) बाँटना, भाग देना । तपरी - संज्ञा, खो० (दे०) वर्धा | तष्ट - वि० (सं०) दला या पिसा हुआ, कटा या छिला हुआ । 6 तब - सर्व ० (सं०) तुम्हारा तिहारी ( ० ) । 'तव भुजबल महिमा उद्घाटी" - तवतीर - संज्ञा, पु० (सं० भि० [फा० तवाशीर) -रामा० । तीखुर, तवाशीर । तवजह - संज्ञा, त्रो० (अ०) ध्यान, दया । तधना - अ० क्रि० दे० (सं० तपन ) गरम होना, तपना दुखी, तेज या प्रताप फैलाना, क्रोध से लाल हो जाना । - सुदा० । तवा - संज्ञा, पु० दे० (सं० तप तपना ) रोटी सेकने का लोहे का बरतन । " पिय टूटा तवा अरु फूटी कठौती ". मुहा० - तवा की बंद - तत्काल नाश होने वाला। उलटा नवा-बहुत काला तवाज़ा संज्ञा स्त्री० (प्र०) मेहमानी, दावत, भोजन का निमंत्रण । यौ० - ख़ातिर तवाज़ा । d ---- तसला तवायफ़ - संज्ञा, स्त्री० (प्र०) वेश्या, पतुरिया, रंडी, मंगलामुखी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तया - संज्ञा, पु० (सं०) बदई, विश्वकर्मा | संज्ञा, पु० ( फा० तरत ) छोटी रकाबी । तस - वि० दे० (सं० तादृश ) वैसा, तैसा, तइस (प्रा० ) । " तस मति फिरी रही जस भावी - रामा० । तसकीन -- संज्ञा, स्त्री० 35 ०) धैर्य देना, ढाढ़स, तसल्ली । तसदीक संज्ञा, त्रो० ( ० ) सत्यता, सचाई, सचाई की परीक्षा या जाँच या निश्चय, प्रमाणित, समर्थन, गवाही । तमदीह+ - संज्ञा, स्त्री० दे० ( प्र० तसीदी ) सिर पीड़ा, दुख तसबीह - संज्ञा, स्त्री० ( ० ) सुमिरनी, जप की माला । -- तसमा - संज्ञा, पु० ( फा० ) चमड़े का कसना । तसला - संज्ञा, पु० दे० ( फा० तश्त ) पीतल आदि का गहरा बरतन । (स्त्री० तसली) । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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