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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ८१४ तप्त तमग़ा तप्त - वि० (सं०) उष्ण, तपाया हुआ, दुखी, कंगाल, दग्ध, संतप्त । तप्तकुंड – संज्ञा, पु० यौ० (सं०) गरम पानी तबलिया – संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) तबला बजाने तबलची - संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) तबला बजाने चाला, तबलिया । वाला, तबलची । तबाशीर - संज्ञा, पु० दे० (सं० तवक्षीर ) वंशलोचन ( श्रौष ० ) । तबाह - वि० ( फ़ा० ) नष्ट-भ्रष्ट, बरबाद । संज्ञा, स्त्री० तबाही । तबीयत - संज्ञा, खो० ( ० ) मन, चित्त दिल, जी । मुहा० - किसी पर तबीअत आना - प्रेम या स्नेह या श्रासक्ति होना । तबीयत फड़क उठना-मन का उत्सा हित या प्रसन्न हो जाना । तबीअत लगना - मन में प्रेम होना, ध्यान लगा रहना । समझ, ज्ञान । तबीअतदार - वि० ( ० तबीअत + फा०दार) उत्साही, रसिया (दे०) रसिक, प्रेमी, समझदार | कुंड तप्तकृच्छ्र - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पाप नाशक एक व्रत (पु० ) | तप्तमाष-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) सत्यता दिखाने को एक शपथ । तप्तमुद्रा - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) चक्र, शंख यादि के गर्म छापे जो वैष्णव लोग अपने शरीर में छपवाते हैं तप्प - संज्ञा, पु० दे० (सं० तप ) तपस्या, ब्रह्मा तप्पै तप्य सदासिव करै तप्प नित " - स्फुट | 1 66 तप्पा - संज्ञा, पु० (दे०) पुरवा. छोटा गाँव । तफ़रीह - संज्ञा, स्त्री० ( अ० ) प्रसन्नता, हँसी, दिल्लगी, सैर, घूमना, वायु सेवन । क्रि० वि० ० तफ़रीहन - विनोदार्थ । तफ़पील—– संज्ञा, स्त्री० ( अ०) व्यौरा, टीका, विस्तृत वर्णन | तफावत -संज्ञा, पु० ( ० ) अन्तर, दूरी । तब - अव्य० दे० ( सं० तदा ) उस समय, इस कारण । क्रि० वि० (दे०) तबै तभी । तबक - संज्ञा, पु० ( ० ) परत, लोक, वरन । तबक़गर -- संज्ञा, पु० यौ० ( प्र० तबक + फ़ा० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - गर ) सोने, चाँदी के वरक बनाने या बेचने वाला । तबीब-संज्ञा, पु० ( श्र० ) हकीम, डाक्टर, वैद्य । तभी- - भव्य० दे० ( हि० तब + ही ) उसी वक्त या समय, इसी कारण । तमंचा - संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) पिस्तौल, छोटी बंदूक | तम-संज्ञा, पु० (सं० तमस् ) अँधेरा, अंधकार, राहु, बाराह, पाप, क्रोध, अज्ञान, कलंक, मोह-नरक, एक गुण, तमोगुण । तमक संज्ञा, पु० दे० ( हिं० तमकना ) जोश, तेज़ी, उद्वेग, क्रोध । पू० का० क्रि० तमकि । " तमकि ताकि तकि सिव-धनु धरहीं " - रामा० । तबका - संज्ञा, पु० दे० ( ० तबक ) खंड, भाग, परत, लोक, जन-समूह | तब किया - संज्ञा, पु० ( फा० ) चाँदी, सोने के वरक़ बनाने या बेचने वाला । तबदील - वि० ( ० ) जो बदला गया तमकना - भ० क्रि० दे० (अनु० ) कोध दिखाना, श्योरी चढ़ाना, चिढ़ना । हो, परिवर्तित | संज्ञा, स्त्री० तबदीली । तमका - संज्ञा, पु० दे० ( हि० तमकना ) तबर - संज्ञा, पु० ( फा० ) परसा, कुठार, बहुत गरमी या उष्णता । सा० भू० अ० क्रि० तब्बर ( ग्रा० ) । तेगो तबर तमंचा क्रोधित हुआ । सुनतहि तमक उठी पाबंद ला के हैं सब " – अ० । कैकेयी "तबल - तबला -संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) छोटा तमगा -- संज्ञा, पु० ( तु० ) पदक, तकमा नगाड़ा, डंका, एक बाजा । 66 " -रामा० । तगमा (दे० ) । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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