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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अधिरथ ७० अधुना अधिरथ-संज्ञा, पु. (सं०) रथ हाँकने अधिष्ठिन-वि० (सं० ) ठहरा हुआ, वाला, सारथी, रथवान, गाड़ीवान, बड़ा स्थापित, निर्वाचित, नियुक्त ।। रथ, कर्ण का पिता, सूत अधिरथ-सुत- अधोत -वि० (सं० ) पढ़ा हुआ, पठित, संज्ञा, यौ० पु० (सं० ) कर्ण । शिक्षित। अधिराज-संज्ञा, पु० (सं० ) राजा, बाद- | अधोति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) अध्ययन, शाह, महाराज। पठन । अधीती-वि० (सं० ) कृताध्ययन अध्ययन अधिराज्य---- संज्ञा, पु० (सं० ) राज्य, विशिष्ठ, संज्ञा, पु० - छात्र, विद्यार्थी । साम्राज्य । अधिरोहण----संज्ञा, पु० (सं०) चढ़ना, अधीन- वि० (सं० ) आश्रित, मातहत, वशीभूत, सेवक, आज्ञाकारी, ताबेदार, सवार होना, ऊपर उठना। वशतापन्न, लाचार, विवश. अवलंवित, अधिवास-संज्ञा, पु. (सं० ) रहने का मुनहसर, संज्ञा पु० दान, सेवक । स्थान, निवास-स्थल शुभ की प्रथम क्रिया, प्रधानता-संज्ञा, भा० स्त्री० (सं०) परवनित्यता, सुगंधि, खुशबू, विवाह से पूर्व तेल. शता परतंत्रता, मातहती लाचारी, बेबसी, हलदी चढ़ाने की रस्म उबटन, प्रतिवासी, दीनता, ग़रीबी, दासत्व। विलम्ब तक ठहरना। अधीनत्ता-- अ. क्रि० (हि. अधीन+ अधिवामी- संज्ञा, पु० (सं० अधिवासिन ) | ता-प्रत्यय ) अधीन होना, बश में होना । निवासी, रहने वाला, बसने वाला अधीर-वि. पु. (सं० ) धैर्य-रहित, प्रतिवासी, परोसी। घबराया हुश्रा, उद्विग्न, बेचैन, व्याकुल, अधिवेदन- संज्ञा, पु० (सं० ) संस्कार चंचल, विह्वल, उतावला, बिकल, आतुर, विशेष, विवाह । कातर, असंतोषी । संज्ञा, पु. अपंडित, अधिवेशन-संज्ञा, पु० (सं० ) बैठक सन्ध, | उतावला, मोह को प्राप्त । जलसा, विचारार्थ कहीं पर सभा या जमाव । अधीग-संज्ञा, स्त्री० (सं०) नायक में अन्य अधिष्ठाता- संज्ञा पु० (सं०) अध्यक्ष, नारी-विलास सूचक चिन्ह देख कर अधीर मुखिया, प्रधान, जिसके हाथ में कार्य-भार हो प्रत्यक्ष कोप करने वाली नायिका, धैर्यहो, ईश्वर, रक्षक, पालने वाला, स्त्री. ... रहित स्त्री, चंचला, विद्युत । अधिष्ठात्री। अधीरता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) धैर्य-विहीअधिष्ठान-संज्ञा, पु० (सं० अधि+स्था-- नता, घबराहट, उतावली, आतुरता, बेकली। अनट ) वासस्थान, नगर, शहर, स्थिति, | अधीरज-संज्ञा, पु० दे० (सं० अधैर्य ) क़याम, पड़ाव, आधार, सहारा, प्रभाव अधीरता, घबराहट, अधैर्य । चक्र, व्यवहार चक्र, अध्यशन, अवस्थान, अधीश-संज्ञा, पु० (सं० ) अधीस ( दे० ) स्थायी वह वस्तु जिसमें भ्रम का आरोप स्वामी, मालिक, अध्यक्ष, भूपति, राजा, हो जैसे रज्जु में सर्प का, भोक्ता और भोग अधीश्वर- चक्रवर्ती, मंडलेश्वर । का संयोग ( सांख्य) अधिकार. शासन, अधीश्वर-संज्ञा, पु. (सं०) अधिपति, राज-सत्ता। राजा, स्वामी, पति, अध्यक्ष, ईश्वर, अधीसुर अधिष्ठान शरीर-संज्ञा, पु० (सं० यो०) अधना-कि० वि० (सं० ) अब, संप्रति, मरणोपरान्त पितृ लोक में आत्मा के निवास आज कल. इदानीम्, अभी, (वि.का सूक्ष्म शरीर। माधुनिक )। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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