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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डागा ७६० डाघरा डागा-संज्ञा, पु० दे० (सं० दंडक ) नगाड़ा डामल-संज्ञा, स्त्री० दे० (अ० दायमुल हव्स) बजाने की चोब या छड़ी। जन्म कैद, देश निकाला। डागुर-संज्ञा, पु० (दे०) जाटों की एक जाति। डामाडोल- वि० (दे०) चञ्चल, अस्थिर । डाट-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दान्ति ) टेक, डायँ डाय-क्रि० वि० ( अनु० ) व्यर्थ मारे चाँड़, छेद बंद करने की वस्तु, काँच की मारे फिरना, व्यर्थ घूमना। शीशी या बोतल आदि के मुख को बंद डायन--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० डाकिनी) करने वाला काग, गट्टा, ठेठी, मेहराबदार राक्षसी, पिशाचिनी, चुडैल, कुरूपा स्त्री। दरवाजे या छत को रोकने के ईंट आदि की डार -- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दारु ) पेड़ की भरती । संज्ञा, पु. (सं० दांति शासन, . शाखा डालो, डाल. तलवार का फल, फानूस दबाव, डपट, फटकार, घुड़की। के लिये दीवाल में लगी खूटी । “ठाढ़े हैं डाटना-स० क्रि० दे० (हि० डाट ) किसी नवद्रुम डार गहे "-कवि० । चीज़ को कस कर दूसरी पर दबाना, दो डारना--स० कि० दे० ( सं० तलन ) फेंकना, वस्तुओं को मिला कर ठेलना, टेकना ठेक | नीचे गिराना, छोड़ना, डालना । या चाँड़ लगाना, छेद बंद करना, हँस कर डारिया-संज्ञा, पु० दे० (हि. डार + इया भरना, पेट भर कर खाना, गहने और कपड़े ----प्रत्य०) अनार ( वृत्त, फल ) दाडिम । आदि भली भाँति पहनना, मिलाना। डाल-संज्ञा, स्त्री० (सं० दारु ) वृक्ष की डाढ़-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दंष्ट्रा ) चौड़े शाखा, डार, डाली। वि० स० क्रि० (हि. दांत, दाढ़। डालना ) डालो। डादना*-स० क्रि० (सं० दग्ध) जलाना । "जैसे डाढयो दूध को"-वृ०। डालना-स० क्रि० दे० (सं० तलन ) किसी डाढ़ा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दग्ध ) वस्तु को नीचे गिराना, फेंकना, छोड़ना, दावानल, श्राग, दाह, जलन, छौंक । उडेलना । मुहा०-डाल रखना--रख छोड़ना, देर लगाना, रोक रखना । एक डाढ़ी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. डाड़ ) ठोड़ी, पदार्थ को दूसरे पर गिराना, छोड़ना, टुड्डी, चिबुक, दाढ़ी। रखना, मिलाना, घुसेड़ना, प्रवेश करना, डाब-संज्ञा, पु० (दे०) कच्चा नारियल, तलवार पता या खोज-खबर न लेना, भुला देना, लटकाने का परतला, डाभ, दर्भ, कुश ।। चिन्ह बनाना, फैला कर रखना, पहनना, डाबर, डबरा-संज्ञा, पु० दे० (सं० दभ्र०) किसी के जिम्मे करना या भार देना, गर्भ गड़ही, पोखरा, पोखरी, गड़हा, तलैया, गिराना, उलटी या न करना, पर स्त्री को मैलापानी । “डावर जोग कि हंस कुमारी"। पत्नी बनाना, काम में लाना, लगाना। " भूमिपरत भा डाबर पानी"- रामा० । | डालिय-संज्ञा, पु० दे० (हि. डाल + डाबा-संज्ञा, पु० दे० (सं० डिव ) डब्बा, इय-प्रत्य० ) दाडिम, अनार । संपुट, रेल गाड़ी का एक कमरा, डिब्बा । डाली-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० डाला) टोकरी, डाभ-संज्ञा, पु० दे० ( सं० दर्भ) कुश, कच्चा डलिया, भेंट करने के फल, फूल, मेवे आदि नारियल, आँबिया, बौर। रखने की डालिया । संज्ञा, स्त्री. हि० डाल) डामर-संज्ञा, पु० दे० (सं०) एक तंत्र, धूम, । पेड़ की शाखा, डारी (द०)। हलचल, ठाठ-बाट, आडम्बर, चमत्कार, डावरा-- संज्ञा, पु० प्रान्ती ( सं० डिव) लड़का, तारकोल जैसा एक पदार्थ । बच्चा, बालक, बेटा । ( स्त्री. डावरी)। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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