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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ठकठेला ठकठे ता-संज्ञा, पु० (दे० ) धक्काधक्की टंटा - बखेड़ा | झगड़ा, ठकठौ ठकठोवा-संज्ञा, स्त्री० ( दे० ) डोंगी, पनसुइया ( प्रा० ) करताल, भिखारी का एक बाजा । ठकुरई -संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० ठाकुर) प्रभुत्व, बड़प्पन, अधिकार, ठकुरी, राज्य, ठकुराईक्षत्रियत्व, श्रातंक | ७७५ ܙܙ ठकुर - सुहाती - संज्ञा, स्त्री० द० यौ० ( हि० ठाकुर + सुहाना ) स्वामी को प्रसन्न करने वाली मुँह देखी बात, लल्लोचप्पो ( ग्रा० ) । कहहिं सचिव सत्र ठकुरसुहाती (6 रामा० । 44 13 -राम० । 66 ठकुराइत, ठकुरायत—संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि० ठाकुर + श्राइत - प्रत्य० ) प्रभुत्व, राज्य, श्राधिपत्य | ठकुराइस ( ग्रा० ) जेहिकी ठकुita aataraf ठकुराइन. ठकुरानी--संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० ठाकुर + आइन प्रत्य० ) ठाकुर की पत्नी, स्त्री, स्वामिनी, रानी, नाइन । राधा ठकुराइन के पायन पलोटही " - देव । ठकुराई- संज्ञा, स्त्री० ( हि० ठाकुर + भाईप्रत्य० ) प्रभुत्व. राज्य, अधिकार, महत्व | ་ सब गाँव 'छ सातक की ठकुराई" - राम० ठकुराय - संज्ञा, पु० दे० ( हि० ठाकुर ) ठाकुरों की एक जाति । स्त्री० ठकुरायति । ठकुरी - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) क्षत्रियत्व, प्रभुत्व, थातंक | ठगी ठगने का काम या भाव, धूर्तता, चालाकी । ठगी - छल. धोखे बाज़ी । ठगण - संज्ञा, पु० (सं०) पाँच मात्राओं का एक गण (पिं० ) । ठगना - स० क्रि० दे० ( हि० ठग ) छल या चालाकी से लूटना, धोखा देना, छल करना । मुद्दा० - ठगासा - चकित, भौचक्कासा । माल बेचने में बेईमानी करना । भि० कि० (दे०) धोखा खाना, दंग होना, चक्कर में पड़ना । ठगनी - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० ठग ) ठगने वाली, ठग की पत्नी, कुटनी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठगपना -संज्ञा, पु० दे० ( हि० ठग + पन ) ठगने का काम या भाव, चालाकी, धूर्तता । स्त्री० ठगी । ठगमूरी-संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० ( हि० ठग + मूरि) एक नशेदार जड़ जिसे ठग लोगों को खिला कर लूटते हैं। मुहा० - ठगमूरी खाना मस्त होना । ठगमोदक- संज्ञा, पु० यौ० ( हि० ठग + सं० मोदक == लड्ड ू) ठगों के नशीले लड्डू । ठगलाडू (दे० ) । मुहा० - ठगलाडू खाना - मस्त या बे होश होना । ठगवाना - स० क्रि० दे० ( हि० ठगना का प्रे० रूप) दूसरे से किसी को धोखा दिलवाना, ठगाना । ठगविद्या - संज्ञा, स्त्री० यौ० ( हि० ठग + सं० विद्या ) धूर्त्तता, छल-प्रपंच | ठगाई - उगाही | 1 ठकोरी – संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० टेकना + भौरी) सहारा देने वाली लकड़ी, जोगिनी ठक्कर - संज्ञा, स्त्री० दे० (अनु० ठक) टक्कर | ठकुर - संज्ञा, पु० दे० ( हि० ठाकुर ) ठाकुर, पूज्य मूर्ति, ठाकुर जी । संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० ठग + भाई - प्रत्य० ) धूर्त्तता, छल. धोखा । ठगाना - - अ० क्रि० दे० ( हि० ठगना ) छल या धोखे में पड़ कर ठगा जाना या हानि सहना, ठगवाना । ठांगनि ठगिनी - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० ठग ) लुटेरिन, ठग की पत्नी । ठगिया - सज्ञा, पु० दे० ( हि० ठग + इया) छली, कपटी, धूर्त्त । ठग– सज्ञा, पु० दे० । सं० स्थग ) छल और धोखे से लूटने वाला, छली, धूर्त्त । स्त्री० ठगनो, ठगिन, ठगिनी । यौ० - ठगविद्या छल प्रपंच | ठगई - संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० ठग + ई - प्रत्य० ) | ठगी – संज्ञा, स्त्रो० दे० ( हि० ठग ) छल से प्रत्य० For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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