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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - जूताखोर ७३९ जेठौत-जेठौता लेना या बात करना-पनही से मारना। समूह, जूथ । “राम-प्रताप प्रबल कपि जूता खाना-जूते की मार सहना अप- जहा"- रामा० । मानित होना । जूतों दाल बटना- | जूहर* --संज्ञा, पु० दे० ( अ० जौहर ) लड़ाई-झगड़ा होना। जवाहिर, रन । जूताखार-वि० (हि. जूता + फा० खोर ) जूही-संज्ञा, खो० दे० (सं० यूथी ) एक जूता खाने वाला, बेशर्म निर्लज। फूल, जुही (दे०)। जूती--संज्ञा, स्त्री० (हि० जूता) छोटा जूता। जभ, जभण--संज्ञा, पु० (सं०) अँभुभाई । जूती पैजार-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( हि० जूती वि० जभक । ( स्त्री० ज भा)। +पैजार फ़ा० ) जुता चलने वाली लड़ाई। 'भिका--वि० (सं०) जेंभुभाई लेने वाला, जूथ*-~संज्ञा, पु. ( सं० यूथ ) झंड, जुन्थ। एक बाण । (दे०) । “ जूथ जंबुकनते कहूँ'-वृ०। जभा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) जमुआई, जम्हाई जूथका-जूथिका-संज्ञा, स्त्री० (हि. जूथ ।- (दे०)। इका-प्रत्य ) एक फूल | "हे मालति हे जाति जेवन-संज्ञा, पु० दे० (हि. जेवना) भोजन जूथिके सुन चित दै टुक मेरी"। करना । "पंचकौर करि जेवन लागे" जूना - संज्ञा, पु० दे० ( सं० धुवन् ) वक्त, -रामा० । समय । संज्ञा, पु० (सं० जर्ण) घास, फूस । जैवना-स. क्रि० दे० (सं० जेमन) खाना । (अं०) एक मास । जवाना-स० कि० दे० (हि. जेवना का जूप--संज्ञा, पु० दे० ( सं० द्यूत ) जुया, प्रे० रूप ) खिलाना, भोजन करना। पाँसे का खेल । जे*--सर्व० दे० (सं० ये ) वे, जो । “जे जूमना*-म० कि० दे० (भ० जमा ) गंगाजल श्रानि चढ़े हैं'- रामा० । मिलना, भिड़ना, झूमना, जुटना । जेड, जेई, जेउ, जेऊ*-सर्व० दे० (सं० जूर-संज्ञा, पु० दे० ( हि० जुरना ) योग, ये ) जो भी, जे । “जेउ कहावत हितू जोड़। हमारे"-रामा० । जरना*-स० क्रि० दे. (हि. जोड़ना) जेठ-संज्ञा, पु. दे. (सं० ज्येष्ठ ) एक योग, मेल करना। महीना, ज्येष्ठ, पति का बड़ा भाई, बड़ा जूरा-संज्ञा, पु० दे० (सं० जूट ) बालों भाई । स्त्री०--जेठी। का जूड़ा । "खुलि जूरेकी गाँठ तरेसरकी"। जेठरा-वि० दे० (सं० ज्येष्ठ) जेठा. बड़ा। जूरी-संज्ञा, स्त्री० ( हि• जुरना) घास श्रादि ! जेठा-वि० दे० (सं० ज्येष्ठ ) बड़ा भाई, का पूरा, पकवान, (अं० ) न्यायालय का पति का बड़ा भाई । (स्त्री० जेठी)"जेठी पंच, मुखिया। पठाई गई दुलही"-मति। जस-संज्ञा, पु० दे० (सं० जूठा) पकी दाल जेठाई -- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० जेठ) बड़ाई। या चावल आदि का छाना हुआ पानी। जेठानी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० जेठ ) जेठ (फ़ा० जुल्फ़ ) दो पर बटने वाली संख्या। की पत्नी, जिठानी (दे०)। जूस ताक-संज्ञा, पु० यौ० (हि० जूस -- ताक | जेठीमधु-संज्ञा, स्त्री० यो० (सं० यष्टिमधु ) फ़ा० ) जोड़ा या अकेला, ऊना पूरा। । मौरेठी, मुलहटी ( औष०)। जूसी-~-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० जूस ) शकर | जेठौत-जेठौता -संज्ञा, पु० दे० (सं० का तलछट । वि० रसदार । __ ज्येष्ठ + पुत्र ) जेठ का लड़का। (स्त्री० जूह जूहा-संज्ञा, पु. (सं० यूध ) झंड, जेठौती। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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