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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ARRIOR जाहिल ७२६ जिच-जिच्च जाहिल-वि० (प्र.) मूर्ख, अज्ञान, ना- जिउकिया-संज्ञा, पु. (हि. जीविका ) समझ । संज्ञा, स्त्री. जहालत, जाहिली। जीविका करने वाला, रोजगारी, जङ्गलों जाही--संज्ञा, स्त्री० (सं० जाति ) चमेली सा | की वस्तुयें बेंचने वाले लोग। एक सुगंधित फूल । सर्व० (दे०) जिसको। जिउतिया संज्ञा, स्त्री० (दे०) जिताष्टमी। जान्हवी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) जन्तु ऋषि से ज़िक्र-संज्ञा, पु. ( अ०) चर्चा. प्रसंग। उत्पन्न, गङ्गा। जिगजिगिया-वि० (दे०) चापलूस । जिगनो-जिगिनी- संज्ञा, स्री० (सं०) जिगिन | जिगजिगी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) चिरौरी का पेड़ । खुशामद, अनुनय, चापलूसी. मिथ्या जिंद-संज्ञा, पु. ( अ० ) भूत, प्रेत, जिन । प्रशंसा। जिंदगी जिंदगानी--- संज्ञा, स्त्री. ( फा०) जिगमिष--संज्ञा, स्त्री. (सं०) गमनेच्छा, जीवन, जीवन-काल, आयु । मुहा० --- जाने की अभिलाषा। जिंदगी के दिन पूरे करना (भरना)- जिगमिषु-- संज्ञा, पु० (सं०) गमनेच्छु, जाने दिन काटना, जीवन बिताना, मरने को | की इच्छा वाला। होना। जिगर-संज्ञा, पु. (फा०) (मि० सं० यकृत) जिंदा-वि० ( फा० ) जीवित, जीता हुआ। कलेजा, चित्त मन, जीव, साहस, हिम्मत, जिंदादिल-वि० (फा० ) साहसी, खुश- | गूदा, सत्त, सार । वि. जिगरी-दिलो। मिज़ाज, हँसोड़: (संज्ञा, स्त्री० जिंदादिली), जिगरा-संज्ञा, पु. ( हि० जिगर ) साहस, "जिंदगी जिंदादिली का नाम है।" | हिम्मत, जीवट। जिंघाना-स० क्रि० (दे०) जिमाना, जिगरी-वि. (फा० ) दिली, भीतरी, ज्योंवाना। अत्यन्त घनिष्ट, अभिन्न हृदय । जिंस-संज्ञा, स्त्री० ( फा०) प्रकार, भाँति, जिगीषा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) जयेच्छा, जीतने चीज़, वस्तु । की इच्छा, विजय लालसा। जिंसवार-संज्ञा, पु. ( फा० ) खेतों में जिगीष-वि० (सं०) जयेच्छु, जीतने की बोये हुये अन्नों की सूची (पटवारी)। इच्छा वाला। " होते हैं युधिष्ठिर जिगीषू जिअत-क्रि० वि० (हि० जीना ) जीते हुये, | महाभारत के ''---अनू० । जीते जी । " जित न करब सौति सेव- जिघत्सा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) भोजनेच्छा। काई" -रामा०। | जिघत्सु-वि० (सं०) चुधित भूखा, भोजन जिग्राउ-जियाव-स० क्रि० (हि. जिलाना) की इच्छा वाला। जिलावे, जीने दे। “ ऐसेहु दुख जिग्राउ जिघांसु- वि० (सं०) बध की इच्छा वाला, बिधि मोही'-- रामा०। घातक, हिंसक, नृशंस, क्रूर, वधोद्यत । ज़ियान-संज्ञा, पु० (दे०) हानि, क्षति। संज्ञा, पु० (सं०) जिघांसा। जियाना-स० क्रि० (दे०) जिलाना. जिघासा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) क्षुधा, भूख, जिवाना, जेंवाना। भोजन की इच्छा। जियाये-वि० (दे०) पालित, पाला-पोषा, जिन-जिच्च-संज्ञा, स्त्री० (१) बेवसी, जिलाये हुये। | तंगी, मजबूरी शतरंज के खेल में वह जिउ- संज्ञा, पु० (दे०) जीव । अवस्था जिसमें किसी पक्ष को मोहरा जिउका-संज्ञा, स्त्री०:(दे०) जीविका। चलने की जगह न हो। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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