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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जातिच्युत ७२४ जान पहले पहल कर्मानुसार किया गया था, ! जादू---संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) वह आश्चर्यजनक निवास-स्थान, वंश-परम्परा के विचार से कृत्य जिसे लोग अलौकिक और अमानुषी मनुष्य-समाज का विभाग, धर्म, प्राकृति । समझते हों, इन्द्रजाल, तिलस्म, वह आदि की समानता के विचार से किया अद्भुत खेल या कृत्य जो दर्शकों की दृष्टि गया विभाग, कोटि, वर्ग, सामान्य, सत्ता, और बुद्धि को धोका देकर किया जाय, वर्ण, कुल, वंश, गोत्र, मात्रिक छंद। टोना टोटका, मोहने की शक्ति, मोहनी। "जाति न जाति बराति के खाये---स्फु०। जादगर -- संज्ञा, पु. ( फा० ) वह जो जादू जातिच्युत-वि० यौ० (सं०) जाति से गिरा करता हो । स्त्री० जागरनी। या निकाला हुआ, जाति-वहिष्कृत । संज्ञा, | जादुगरी-संज्ञा, स्त्री० ( फ़ा०) जादू करने स्त्री० ( यौ० ) जातिच्युति । की क्रिया, जादूगर का काम । जाती-संज्ञा, स्त्री० (सं०) चमेली की जाति जादोराय-संज्ञा, पु. यौ० (सं० यादव का एक फूल, जाही, जाई, जुही, छोटा +राज) श्रीकृष्ण चंद्र, जदुराई (दे०)। आँवला, मालती। “ भवन आपने ले गये विप्रै जादवराय" जाती-वि० (अ० जात) व्यक्तिगत, अपना, जान--संज्ञा, स्त्री० ( सं० ज्ञान ) ज्ञान, जाननिज का, निजी। जातीफल-संज्ञा, पु० (सं०) जायफल । कारी, ख़याल, अनुमान । "लखन कहा जातीय-वि० (सं०) जाति-सम्बन्धी। हँसि हमरे जाना"-- रामा० । यौ०-जानजातीयता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) जाति का पहचान-परिचय । वि०-सुजान, जान कार, चतुर । संज्ञा, पु० (दे०) यान । संज्ञा, भाव, जाति की ममता, जातित्व ।। जातु अव्य० (सं०) कदाचित. कभी, संभा स्त्री० (फा० ) प्राण, जीव, प्राणवायु, दम । वनार्थक, पिपासुता, शान्तिमुपैति. वारिणान यौ-जान का गाहक- प्राणान्तकारी। ४०-जान के लाले पड़ना-प्राण जातु दुग्धान्मधुनोधिकादपि -- नैष । बचना कठिन दिखाई देना, जी पर प्रा बनना। जातुधान - संज्ञा, पु० (सं०) राक्षस । “जातु जान देना- अधिक श्रम करना । जान धान सुनि रावण बचना''---रामा० ।। को जान न समझना-अत्यन्त अधिक जातेष्टि - संज्ञा, पु० (सं०) पुत्र उत्पन्न होने कष्ट या परिश्रम सहना । जान खानाके समय का एक योग, नाँदीमुख-श्राद्ध, तंग करना, बार बार घेर कर दिक करना । जातकर्म का एक अंग। जान छुड़ाना या बचाना-प्राण बचाना, जात्य--वि० (सं०) कुलीन, प्रधान, श्रेष्ठ, किसी झंझट से छुटकारा करना, संकट मनोहर, सुन्दर। टालना। (किसी पर) जान जाना जात्रा--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० यात्रा) यात्रा। (देना)-किसी पर अत्यन्त अधिक प्रेम जादव - संज्ञा, पु. (दे०) यादव, जादौ । होना । जान जाखों- प्राण-हानि की जादवपति -संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० आशंका । जान निकलना--प्राण निक यादवपति ) श्रीकृष्ण, यदुनाथ, जादवराय । लना, मरना, भय के मारे प्राण सूखना। जादमपति -संज्ञा, पु० दे० (सं० यादसां- जान पर खेलना - प्राणों को भय या पति ) जलजन्तुओं का स्वामी, वरुण ।। जोखों में डालना, मरने को तैयार होना। जादा-वि० (दे०) अधिक, ज्यादा, जिप्रादहः, । जान से जाना—प्राण या दम खोना। पुत्र, जैसे शाहजादा। । मरना, बल, शक्ति, बूता, सामर्थ्य, सार, For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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