SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 613
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गोमय गोपालक ६०२ गोपालय-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) गोपगृह, | गोफा-संज्ञा, पु० (दे०) (सं० गुंफ) ग्वालों या अहीरों का घर। नया निकला हुआ मुँह बँधा पत्ता, मुँह गोपाष्टमी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) कार्तिक बँधा कमल । शुक्ला अष्टमी, जब गो पूजा होती है। फिया--संज्ञा पु० (दे० ' गोफन, गोफना, गोपिका-संज्ञा, स्त्री. (सं०) गोप की स्त्री, ढेलवाँस । गोपी, ग्वालिन, अहीरी। गोवर--संज्ञा, पु० दे० (सं० गामय ) गाय गोपित-वि. (सं०) रक्षित, पालित, का मैला। गुप्त, अप्रकाशित । गोवरगणेश-वि० यौ० (हि. गोबर-+ गोपी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) गोप की स्त्री, गणेश ) भद्दा, बदसूरत, भोंड़ा, मूर्ख, ग्वालिनी। बेवकूफ गोपीचन्द-संज्ञा, पु० यौ० (सं० गोपीचन्द्र) गोवरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० गावर + एक प्राचीन राजा। ई-~-प्रत्य० ) गोबर की लिपाई, गोबर गोपीचंदन-संज्ञा, पु. या० सं०) एक का लेप, कंडा। प्रकार की पीली मिट्टी, पीला चन्दन । गोबरीला-संज्ञा, पु० दे० (हि० गोबर + गोपीत-संज्ञा पु० (दे०) खंजन पक्षी का ईला---प्रत्य० ) गुबरैला, गोबर का कीड़ा। एक भेद, "अछरी छपी छपी गोपीता।" गोबरेता, गोबरौदा।। गोम-गाभा--संज्ञा, स्त्री० (प्रान्ती० ) लहर, गोपीनाथ-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) श्री पानी की तरंग, पौधों का एक रोग। कृष्ण, गोपीश । "गोकुल बूरत है बहुरि, "रसिकन हिये बढ़ावती नवल प्रेम की राखो गोपीनाथ ।" कुं० वि०। गोभ " -चाचाहित० । " जेहि देखत गोपुच्छ-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) गौ की उठति सखि श्रानन्द की गोभा"--. गदा०। पूँछ, एक प्रकार का गावदुम हार। गामित--संज्ञा, पु. ( सं० ) सामवेदीय गोपुर-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) नगर-द्वार. गृह्यसूत्र के रचयिता एक प्रसिद्ध ऋषि ।। शहर या किले का फाटक, दरवाज़ा, स्वर्ग। गांभी- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० गाजिह्वा गोपेंद्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं.) श्रीकृष्ण, पण, या गुंफ = गुच्छा ) एक प्रकार की घास, गोपों में श्रेष्ठ, नन्द जी । “इन्द्र बिनासत | गोजिया (दे० ) वनगोभी, एक शाक। है ब्रजै कृपा करौ गोपेंद्र" । स्। गोम--संज्ञा, स्त्री० (दे०) घोड़ों की एक गोप्ता-संज्ञा, पु. ( सं० ) रक्षक, पालक । भंवरी । संज्ञा, पु० स्थान । “गहन में गोहन रक्षाकर्ता-प्रप्रकाशका ।......"गोप्ता गृहणी गरूर गहे गोम है "--भू० । सहायः"-रघु । गोप्य-वि० (सं०) रक्षणीय, गोपनीय. गोलका-संज्ञा, पु० (दे० ) कुम्हड़ा, छिपने योग्य । कोहँडा, कोहका ( प्रान्ती० )। गोप्रकांड-संज्ञा, पु० या० (सं० ) श्रेष्ठ या | गोमती-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) एक नदी, · उत्तम गौ। वाशिष्ठी, एक देवी, ग्यारह मात्राओं का गोफन-गोफना-संज्ञा, पु० दे० ( सं० । एक छंद ।। गोफण ) छींके जैसा एक जाल जिससे | गोमन्त---संज्ञा, पु० (सं० ) एक पहाड़। ढेले श्रादि फेंकते हैं, ढेलवाँस, फन्नी | गोमय-संज्ञा, पु० (सं० ) गाय का मल, (प्रान्ती०)। गोबर । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy