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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गगन गगन - संज्ञा, पु० (सं० ) श्राकाश, आसमान, शून्य स्थान, छप्पय छन्द का एक भेद । यौ० – गगन-गिरा आकाशवाणी । " गगन गिरा गंभीर भै " - रामा० गगनचर - संज्ञा, पु० (सं०) चिड़िया, पक्षी, बादल, ग्रह, वायु, विमान । वि० गगनचारी । गगनधूल-संज्ञा, स्त्री० (सं० गगन + धूलहि० ) एक प्रकार का कुकुरमुत्ता, केतकी के फूल की धूल, खुमी का एक भेद । गगन बाटिका - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) आकाश की फुलवाड़ी ( असंभव बात गगन भेड़-संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० ( हि० गगन + भेड़ ) कराकुल या कंज नाम की चिड़िया, गीध । । 1 ५५० गगन भेदी, गगनस्पर्शी - वि० यौ० (सं० ) आकाश तक पहुँचने वाला, बहुत ऊँचा । खूब ज़ोर का गूँजने वाला ( शब्द ) 1 गगनानंग-संज्ञा, पु० (सं० ) एक मात्रिक छन्द जो २५ मात्राओं का होता है । गगरा – संज्ञा, पु० दे० ( सं० गर्गर ) ( स्त्री० अल्पा० गगरी ) धातु या मिट्टी का बड़ा घड़ा, कलसा, गागरि ( ब० ) गागरी । गच - संज्ञा, पु० (अनु० पक्का फ़र्श, चूने से पिटी हुई भूमि, किसी कड़ी वस्तु में पैनी वस्तु के घुसने का शब्द | गचकारी संज्ञा स्त्री० ( हि० गच + कारी फा० ) गच का काम चुने- सुर्खी का काम । गचना* स० क्रि० ( अनु० गच ) बहुत, अधिक, या कप कर मारना (दे० ) गाँसना | गहना - अ० क्रि० (सं० गच्छ-जाना ) जाना, चलना । स० क्रि० चलाना, निबा हना, अपने ज़िम्मे लेना, अपने ऊपर लेना । गज -संज्ञा, पु० ( सं० ) ( स्त्रो० गजी ) हाथी, एक राक्षस, कपड़े आदि की एक नाप का नाम ( दो हाथ ), राम-सेना का एक बन्दर आठ की संख्या । गज धौ ग्राह लरै जल भीतर.. 16 ..."" गजपुट गज़ - संज्ञा पु० ( फा० ) तीन फीट या दो हाथ की लम्बाई की नाप, बन्दूक के साफ़ करने की लोहे या लकड़ी की छड़ी, एक तरह का बाण | गज़इलाही – संज्ञा, पु० (का० गज़ + इलाही) अकबरी गज़ जो ४१ अंगुल का होता है । गज़क - संज्ञा, पु० ( फा० कज़क ) वे पदार्थ जो शराब पीने के पीछे मुँह का स्वाद बदलने के लिए खाये जाते हैं, क़बाब, पापड़ नाश्ता, जल-पान, एक प्रकार की मिठाई ( भाग ) | गज गति--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) हाथी की सी चाल, एक वर्ण वृत्त या छंद । गज-गमन संज्ञा पु० यौ० (सं० ) हाथी की सी धीमी चाल मंद गति या मंद Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गमन । गजगामिनी - वि० स्त्री० (सं० ) हाथी के समान धीमी चाल से चलने वाली स्त्री । गजगाह - संज्ञा, पु० दे० (सं० गज + ग्रास) हाथी की भूल । "जगौन - संज्ञा, पु० दे० यो० ( सं० गज + गमन) हाथी की चाल । गजदन्त - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) हाथी का दाँत, दाँत के ऊपर निकला हुआ दाँत, वह घोड़ा जिसके दाँत निकले हों, दीवार गड़ो खूँटी । 16 .." गज- दान - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) हाथी का दान । हयदान, गजदान, भूमिदान, धन्नदान.." बेनी० । गज-नाल - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) बड़ी तोप जिसे हाथी खींचते हैं । गजपिप्पली -संज्ञा, स्त्री० (सं० ) एक पौधा जिसकी मंजरी श्रौषधि के काम में श्राती है। गजपीपल संज्ञा स्त्री० ( दे० ) गज पिप्पली (सं० ) गजपीर (दे० ) | गजपुट - संज्ञा, पु० (सं० ) गड्ढे में धातुत्रों के फूकने की एक रीति, ( वैद्य० ) । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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