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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खुटाई खुभराना खुटाई-संज्ञा, स्त्री० (हि० खाटाई ) खोटा- खुदना-अ० क्रि० (हि. खोदना) खोदा पन, दोष। जाना। खुटाना-अ० कि० दे० (सं० खुड -खांडा खुदमुख्तार-वि० (फा०) स्वतंत्र, स्वच्छंद, होना, खोट ) खुटना, ख़तम होना, क्षीण जो किसी के प्राधीन न हो। संज्ञा, स्त्री० या नष्ट होना, तुल्य करना। खुदमुख्तारी- स्वच्छन्दता, स्वतंत्रता । खुटिला-संज्ञा, पु०(दे० ) नाक या कान खुदरा-संज्ञा, पु० (सं० क्षुद्र ) छोटी साधाका एक गहना। रण वस्तु, फुटकर चीज़। अव्य. (फ़ा०) खुट्टो - संज्ञा, स्त्री० ( ? ) खेड़ी (मिठाई ) अपनी, " ..."लो० - खुदरा फ़ज़ीहत, मित्रता-भंग ( बालकों का)। दीगरा नसीहत' ( फा० )। खुट्टी--संज्ञा, स्त्री० ( ? ) घाव की पपड़ी, खुदवाई-संज्ञा, स्त्री. ( हि. खुदवाना ) खुरंड। खुदवाने की क्रिया या भाव, मजूरी । खुडुआ-खुदुघा-संज्ञा, पु. ( दे० ) कम्बल | खुदवाना-स० क्रि० (हि. खोदना का प्रे० से देहावरण, घोघी। रूप ) खोदने का काम कराना। खुड्डी-खुडढी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० गड्ढा) खुदा संज्ञा, पु. ( फा०) स्वयंभू , ईश्वर । पाखाने का पायदान, या ग़ड्ढा ।। संज्ञा, स्त्री० फा०) खुदाई-ईश्वरता, सृष्टि । खुतवा -- संज्ञा, पु. (अ.) प्रशंसा, साम- खुदाई-संज्ञा, स्त्री. ( हि० खादना) खोदने यिक राजा की घोषणा। का भाव, या मजदूरी, खोदाई (दे०)। मुहा०- ( किसी के नाम का ) खुतवा | खुदावंद- संज्ञा, पु० (फ़ा०) ईश्वर, मालिक, पढ़ा जाना-जनता की सूचना के लिये | श्रीमान, हुजूर । राज्यासीनता की घोषणा करना। खुदी- संज्ञा. पु० ( फ़ा० ) अहंकार, शेख़ी, खुत्था-संज्ञा, पु० (दे०) लकड़ी का बाहर घमंड, अहंमन्यता। निकला हुआ भाग । स्त्री० खुत्थी। | खुद्दी -संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० क्षुद्र ) चावलखुत्थी-खुथी—संज्ञा, स्त्री० (हि.खू टी ) दाल आदि के छोटे छोटे टुकड़े। फसल कटने पर पौधों की खूटी, लूँ थी, खुनखुना--संज्ञा, पु. ( अनु० ) घुनघुना, थाती, अमानत, रुपये रख कर कमर में भुनभुना । बाँधने की थैली, बसनी (प्रान्ती०) खुनस-खुनुस-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० हिमयानी, सम्पत्ति। खिन्नमनस् ) क्रोध, रिस, रोष। वि० खुनसी खुद -- अव्य० ( फा० ) स्वयं, श्राप । क्रोधी “खेलत खुनस न कबहूँ देखी"मुहा०—खुदब.खुद-- अपने श्राप, आप रामा० । ही आप, बिना दूसरे की सहायता के। खुनसाना--अ० कि० (दे०) गुस्सा होना, खुदकाश्त-संज्ञा, स्त्री० यो० ( फ़ा० ) रिसाना। वह भूमि जिसे उसका मालिक स्वयं जोते । खुफ़िया-वि० ( फा०) गुप्त, छिपा हुश्रा । बोवे, पर वह सीर न हो। यौ खुफ़िया पुलीस-संज्ञा, स्त्री० (फा. खुदग़रज़-वि० ( फा० ) अपना मतलब | +अं० ) जासूस, भेदिया। साधने वाला, स्वार्थी, " खुदगरज़ जो खुबना-वुभना-स० क्रि० (अनु०) चुभना, दोस्त है वह है अदू"-हाली। धंसना, पैठना, घुसना। खुदग़रज़ी-संज्ञा, स्त्री. ( फा० ) स्वार्थ- खुभराना *---अ० कि० दे० (सं० सुन्ध ) परता स्वार्थ, परायणता। | इतराये फिरना, उपद्रवार्थ घूमना । भा० श० को०-६८ For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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