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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खामखाह खामखाही ५३२ ख़ाली खामखाह खामखाही - क्रि० वि० (दे० ) खारिक- संज्ञा, पु० दे० (सं० तारक ) छोहारा । खारिज - वि० ( ० ) बाहर किया ( निकाला ) हुआ, थलग बहिष्कृत, जिस (अभियोग ) की सुनाई न हो । खारिश - संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) खुजली । खारी - संज्ञा, स्त्री० ( हि० खारा ) एक क्षार लवण | वि० क्षारयुक्त, जिसमें खार हो । ख़्वाहमख़्वाह । खामना – स० क्रि० दे० (सं० स्कंभन ) किसी पात्र के मुँह को गीली मिट्टी या आटे से बंद करना, लिफ़ाफ़ में रखना । ख़ामी – संज्ञा, नो० ( दे० ) कमी, त्रुटि, बाधा, कच्चाई, " कविन के कामन मैं करें जौन खामी " .."" - कर० । संज्ञा, पु० खम्भा । वि० घटने वाला । 1 ख़ामोश - वि० ( फा० ) चुप, मौन | संज्ञा, स्त्री० खामोशी -- मौनता । मुहा० - खामोशी - नीमरजा - " मौनं स्वीकृति लक्षणम् । " मौनता स्वीकृतिलक्षण है । खार - संज्ञा, पु० दे० (सं० क्षार ) सज्जी, लोना, कल्लर, रेह, राख, धूल, एक खार निकालने का पौधा, छोटा तालाब, डबरा, " दई न जात खार उतराई "- - " श्रघ - सिंधु बढ़त है 'सूर' खार किन पाटत | संज्ञा, पु० ( प्रान्ती० ) क्रोध । "" मुहा०- -'खार उतारना'- क्रोध उतारना ( करना ), उबटन श्रादि से मैल छुड़ाना, विवाह में कन्या को सिन्दूर दान देना । खार - संज्ञा, पु० ( फा० ) काँटा, फाँस, खाँग ( दे० ) डाह । “गुलों से ख़ार अच्छे हैं जो दामन थाम लेते हैं " । मुहा०—खार खाना- डाह करना, जलना, क्रोध करना । यो ० आदि --- खारका - संज्ञा, पु० (दे० ) छुहारा । खरका-1 - चिरौंजी - छुहारे चिरौंजी की खीर | खारिक (दे० ) । खारा - वि० ० पु० दे० (सं० क्षार ) क्षार या नमक के स्वाद का, कडुआ अरुचि कर, श्राम तोड़ने का थैला । संज्ञा, पु० खाँचा, घास आदि बाँधने की जाली, झीना कपड़ा, खारो ( ० ) होता जो न खारो अनिखारो..." ० व० । 46 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खारुमा खारुवा-संज्ञा, पु० दे० (सं० क्षारक ) थाल से बना एक लाल रंग, इससे रँगा कपड़ा ( मोटा ) । बाल-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० चाल ) शरीर के ऊपर का चमड़ा, त्वचा, श्रावरण । मुहा० ० खाल उधेड़ना ( खींचना ) - बहुत मारना या कड़ा दंड देना । आधा चरसा, धौंकनी, भाथी, मृत शरीर | संज्ञा, स्त्री० (सं० खात ) नीची भूमि, ख़ाली जगह, खाड़ी । मानुस की खाल कछू काम नहि आई है ख़ालसा - वि० ( राज्य का, सरकारी, जिस पर एक का अधिकार हो । संज्ञा, पु० ( पं० ) सिक्ख - मंडली विशेष | मुहा० - खालसा करना - ज़ब्त या नष्ट करना, स्वायत्त करना । (. ० खालिस - शुद्ध ) खाला - वि० ( हि० खाल ) नीचा, निम्न । स्त्री० ख़ाली । खाला संज्ञा, स्त्री० ( ० ) माता की बहिन, मौसी । در 16 मुहा० - खाला (जी) का घर -- सहज काम, अपना घर । खाला केरी बेटी व्या हैं " – कबी० । ख़ालिस - वि० ( ० ) शुद्ध, बेमेल, (दे०) निखालिस । For Private and Personal Use Only खाली - वि० ( ० ) रीता, रिक्त, अन्तर, शून्य रहित, विहीन, बिना काम के, जो व्यवहार में ( काम में ) न हो, व्यर्थ, निष्फल । क्रि० वि० केवल, सिर्फ ।
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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