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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org क्रोधन ५१० क्षणद (सं०) क्रोध - पूर्ण । क्रोधान्य - वि० (सं० ) | क्लेश - संज्ञा, पु० (सं० ) दुख, कष्ट, वेदना, क्रोध से जिसकी बुद्धि ठिकाने न हो । क्रोधन- संज्ञा, पु० ( सं० ) क्रोधयुक्त, कौशिक-पुत्र, श्रयुत-पुत्र या देवातिथि के पिता, एक संवत्सर । पीड़ा, झगड़ा, भय, श्रायास । वि० क्लेशित दुखित | वि० यौ० शाह - क्लेशनाशक । क्लैव्य -- संज्ञा, पु० (सं० ) क्लीवता । क्लोम - संज्ञा, पु० (सं० ) दाहिनी ओर का फेफड़ा | क्रोधित - वि० (हि० क्रोध + इत) कुपित, क्रुद्ध, रोषयुक्त । क्रोधी - वि० वाला । स्त्री० क्रोधिनी । सं० क्रोधिन् ) क्रोध करने क्रोश - संज्ञा, पु० (सं० ) कोस, २ मील । क्रौंच - संज्ञा, पु० (सं०) करांकुल पक्षी, वक, एक पर्वत, ७ द्वीपों में से एक ( पुराण० ) एक स्त्र, एक वर्ण-वृत्त । यत्क्रौंच मिथुनादेकमवधी काममोहितम् -वा० । "" क्रौर्य - संश, पु० (सं० ) क्रूरता । क्लांत - वि० (सं० ) थका हुआ, श्रान्त | क्लांति - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) श्रम, थकावट । वि० क्लांतिकर क्लांतिकारी । क्रांतिच्छिद - वि० (सं० ) विश्राम, स्वास्थ्य | क्लिन्न - वि० (सं० ) आई, भीगा, गीला, क्लेदयुक्त, मैला । क्लिशित - वि० (दे० ) केशित दुखी । क्लिश्यमान - वि० (सं०) संतापित, पीड़ित । क्लिष्ट - वि० (सं०) क्लेशयुक्त, बेमेल, (बात ) पूर्वापर विरुद्ध (वाक्य) कठिन कष्ट साध्य | संज्ञा स्त्री० क्लिष्टता, पु० क्लिष्टत्व - कठिनता, काव्य में दुर्बोध-भाव जन्य दोष । क्लीव - वि० पु० (सं०) षंढ, नपुंसक, कायर, डरपोक | संज्ञा, स्त्री० क्लीवता - संज्ञा, पु० ( सं० ) क्लीवत्व | कुद – संज्ञा, पु० (सं० ) आर्द्रता, पसीना, गीलापन | कुंदक- संज्ञा, पु० (सं० ) पसीना लाने वाला, एक प्रकार का स्वेदोत्पादक कफ, देह की १० प्रकार की अग्नियों में से एक । संज्ञा, पु० (सं० ) कुंदन - स्वेद लाने की क्रिया । वि० केदित -- श्रार्द्र, गीला, स्वेदयुक्त | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्व - क्रि० वि० (सं०) कहाँ । " व सूर्य प्रभवो वंशः " - रघु० । कत्रित -- क्रि० वि० (सं०) कोई ही, शायद " क्वचित्कंथाधारी... ० । ही कोई बहुत कम | भर्तृο करण - संज्ञा, पु० (सं० ) शब्द, ध्वनि, ( वीणादि की ) । वि० कणित- शब्द करता हुआ । " वणित था करता कल नाद से " - प्रि० प्र० । काथ - संज्ञा, पु० (सं० ) पानी में उबाल कर औषधियों का निकाला हुआ गाढ़ा रस, कादा, जोशाँदा । कार - संज्ञा पु० (दे० ) श्राश्विनमास, कुवार र, कुर (दे० ) । कारपन - कारापन -संज्ञा, पु० ( हि० क्वारा + पन ) कुमारपन, कौमार्य (सं० ) । कारा - संज्ञा, पु० दे० (सं० कुमार ) बिना व्याहा, कुआँ । स्त्री० क्वारी - कुचरी । वासि - वाक्य ( सं० क्वा + असि है ) कहाँ है। कान - संज्ञा, पु० (दे० ) 46 For Private and Personal Use Only कण, झनकार Taarifaat are कैला - संज्ञा, पु० (दे०) 46 जरै काम कैला मनो तंतव्य - वि० (सं० ) पल । वि० क्षणिक | योग्य | क्षण-क्षणक-संज्ञा, पु० (सं० ) समय का सब से छोटा भाग, मुहा०—तरण मात्र थोड़ी देर काल, अवसर, उत्सव, पर्व का दिन, छन, छिन ( ० ) लमहा । क्षणद-संज्ञा, पु० (सं० ) जल, ज्योतिषी, -- .. ' - ग० भट्ट । कोयला, कोइला - ". के० ६० । क्षम्य, क्षमा करने
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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