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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४६६ कोछना एक उपनिषद कैदखाना कैदखाना---संज्ञा, पु० ( फा० ) कारागार, ललाई लिये श्वेत, सोकना, वि. कैरे या बन्दीगृह, जेलखाना। भूरे रंग का, कंजा, भूरी आँख का । कैदतनहाई-संज्ञा, स्त्री० यौ० (अ० फा०) कैलास-संज्ञा. पु. ( सं० ) तिब्बत में कैदी को तंग कोठरी में अकेले रखना, काल- रावणहद झील से उत्तर हिमालय की एक कोठरी की सजा। चोटी, (शिव का निवास स्थान), शिव-लोक कैदमहज-संज्ञा, स्त्री० (प्र.) सादी कैद, यौ कैलाशनाथ. कैलाशपति, कैलाश जिसमें कैदी को काम न पड़े। निकेतन- महादेवजी, कैलासवास--- कैदसख्त - संज्ञा, स्त्री० (अ० फा० ) कड़ी कैद जिसमें कैदी को कठिन श्रम पड़े। संज्ञा. प. ( सं केवट. मलाह। कदी-संज्ञा, पु० (अ.) कैद की सज़ा कैवर्त-मुस्तक संज्ञा, पु. यौ० (सं.) पाया हुश्रा, बंदी, बँधुवा (दे०)। केवटी मोथा। कैधौं*- अव्य० (हि० कै+धौं ) या, वा, | कैवल्य- संज्ञा, पु. ( सं० ) शुद्धता, अथवा, किधौं, कै धौं, कैतौ ( 40 )। निर्लिप्तता, एकता, मुक्ति परित्राण, मोक्ष, कैक- संज्ञा, पु० (म० ) नशा, मद । वि० कैकी--मतवाला नशेबाज़ । कैशिक ---संज्ञा, स्त्री० (सं.) बालों की कैफ़ियत-संज्ञा, स्त्री. (अ.) समाचार, लट । वि. कड़े केशों वाला। हाल, वर्णन, विवरण, व्यौरा। कैशिकी--- संज्ञा, स्त्री० (सं० ) नाटकी मुख्य मुहा०-कैफियत तलब करना-नियमा ४ वृत्तियों में से एक जिसमें नृत्य, गीत, नुसार विवरण या कारण पूछना, आश्चर्य भोग विलास होते हैं। या हर्षोत्पाद घटना। कैसर -- संज्ञा, पु. (लै सीज़र ) सम्राट, कैबर--संज्ञा, स्त्री० ( दे.) तीर का फल । । बादशाह । कैबा-संज्ञा, स्त्री०, अव्यवत् (हि० के+बार) कितने या बहुत बार कैसा--वि० दे० (सं० कीदृश ) किस प्रकार कैतिक न्याय-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) का, किस रूप या गुण का, ( निषेधार्थक ) किसी प्रकार का नहीं, सदृश, ऐसा (दे० एक प्रकार का न्याय या उक्ति जिससे यह दिखलाया जाता है कि जब यह बड़ा काम ब्र०) कैलो, स्त्री० कैसी, ब, व० कैसे । (क्रि. वि० ) कैसे। हो गया तब यह (छोटा) क्या है। एक की सिद्धि से दूसरे की अनायास सिद्धि कैसे-क्रि० वि० (हि. कैसा) किस प्रकार सूचक उक्ति। से, क्यों, किस लिये वि० किस प्रकार के । कैयट--संज्ञा, पु० (सं० ) ११ वीं शताब्दी कोई*-संज्ञा, स्त्री० (दे०) कुई, कुमुद। के व्याकरण महाभाष्य के टीकाकार प्रसिद्ध कोंकण-संज्ञा, पु० (सं०) दक्षिण भारत संस्कृत-विद्वान, काश्मीर-वासी। का एक प्रदेश, वहाँ का निवासी। कैर-संज्ञा, पु. ( दे० ) करील। कोंचना-स० क्रि० दे० (सं० कुच ) चुभना, कैरव-संज्ञा, पु० (सं०) कुमुद, श्वेत | । गोदना, गड़ाना। कमल, शत्रु, कुई। कोंचा-संज्ञा, पु० (दे०) क्रोंच । संज्ञा, पु. कैरवि-संज्ञा, पु. ( सं० ) चंद्रमा । (हि. कोंचना ) बहेलियों की चिड़िया कैरवी-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) चन्द्र मैत्री। फँसाने की लासा लगी हुई लम्बी छड़ । कैरा--संज्ञा, पु. ( सं० कैरव ) भूरा (रंग) | कोंकना - स० क्रि० (दे० ) कोंछियाना, For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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