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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घरिया। कुठाराघात ६७१ कुतनु " न तु यहि काटि कुठार कठोरे।"- | और उतना ही गहरा अन्न नापने का एक रामा०। मान, सेर, सेर का ५ वाँ भाग। कुठाराघात-संज्ञा, पु. यौ० ( सं० ) कुडा-संज्ञा, पु० (सं० कुटज ) इन्द्र-यव कुल्हाड़ी की चोट, गहरी चोट। का वृक्ष । कुठारी-संहा, स्त्री. ( सं० ) कुल्हाड़ी, कुडुक - संज्ञा, स्त्री० दे० (फा० कुरक) टाँगी, नाश करने वाली: वि. कुठार | अंडा न देने वाली मुरगी, व्यर्थ, खाली। धारण करने वाला, कठिला, " जनि कुडौल-वि० (हि• कु+डोल ) बेढंगा, दिन कर कुल होसि कुठारी।"-रामा०।। भद्दा, कुरूप । कुठाली-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० कु+ | कुढङ्ग-संज्ञा, पु० (हि.) बुरा ढङ्ग, कुचाल, स्थाली ) सोना-चाँदी गलाने की मिट्टी की कुरीति । वि० बेढङ्गा, भद्दा, बुरा, बुरी तरह का । वि. कुढङ्गा-बेशकर, उजड्डु, कुठाहर--संज्ञा, पु० ( हि० कु+ठाहर ) | भद्दा । स्त्री० कुढङ्गी कुटंगिनी।। कुठौर, कुठाँव, बेमौक़ा, कुअवसर, बुरा कुढङ्गी-वि० ( हि० कुढङ्ग) कुमार्गी, बदस्थान । " भयउ कुठाहर जेहि बिधि बामू' | चलन, कुचाली। -रामा०। कुढ़न-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० क्रुद्ध ) मन कुठौर-संज्ञा, पु० ( हि० कु+और ) कुठाँव, ही मन में रहने वाला क्रोध या दुःख, बे मौका, बुरा स्थान । चिढ़, ग्लानि, डाह । कुड-संज्ञा, पु० दे० (सं० कुष्ठ, प्रा० कुट्ट) कुढ़ना- अ. क्रि० (सं० क्रुद्ध ) भीतर कुट नामक औषधि, खेत में बोने के लिये ही भीतर क्रोध करना, खीझना, चिढ़ना, बनाई गई क्यारी। डाह करना, जलना, मन ही मन बुरा कुड़कना-अ. क्रि० (दे० ) घूरना, मानना या दुखी होना, मसोसना। गुर्राना, कुड़ कुड़ करना कुढव-वि० (हिं. कु+ डब) बुरे ढङ्ग का, कुडकुड़ाना-अ० क्रि० । अनु०) मन में बेढब, कठिन । संज्ञा, पु. बुरा ढङ्ग, कुरीति । कुढ़ना, बड़बड़ाना । (दे० ) कुढ़ना। कुडकुड़ी—संज्ञा, स्त्री० ( अनु० ) भूख या कुढ़ाना–स० क्रि० ( हि० कुठना ) चिढ़ाना, अजीर्ण से होने वाली पेट की गुड़गुड़ाहट । खिझाना, दुखी करना, कलपाना, जलाना। मुहा०—कुड़कुड़ी होना-किसी बात के | कुणप- संज्ञा, पु० (सं०) शव, लाश, इंगुदी जानने के लिये श्राकुलता होना। वृक्ष, गोंदी, राँगा, बरछा । (दे०) कुनप। कुड़बुड़ाना-अ० कि० ( अनु० ) मन में | कुणाशी-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) मुर्दा खाने कुढ़ना, कुड़कुड़ाना । वाला एक प्रेत, मुर्दा खाने वाला जन्तु । कुडमल-संज्ञा, पु० (सं० कुड्मल ) कली, कुतः---अव्य० (सं० ) कहाँ से, क्यों। कलिका । “ कुलिस कुन्द कुडमल दामिनि कुतका - संज्ञा, पु० (हि० गतका ) गतका, दुति --विन। सेटा, मोटा डंडा, भंग-घोटना, मुट्ठी बंद कुडल-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० कुञ्चन ) करके अँगूठा दिखाने की मुद्रा । रक्त की कमी या उसके ठंढे पड़ने से शरीर | कुतना-अ० कि० (हि. कूतना ) कूतने में होने वाली ऐंठन या एक प्रकार की का कार्य होना, कूता जाना । पीड़ा या दर्द। कुतनु-वि० (सं०) बुरे शरीर वाला। कुड़व-संज्ञा, पु० (सं०) ४ अंगुल चौड़ा संज्ञा, पु० बुरी देह, यक्षराज, कुबेर । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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