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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कश्य ४३० कसनी वि. कश्मीरी ( काश्मीर ---ई-प्रत्य० ) कसाव का संक्षिप्त रूप, सार, तत्व । *कि. कश्मीर का । संज्ञा, स्त्री० कश्मीर की भाषा | वि० कैसे, क्यों। " कस न राम तुम कहहु संज्ञा, पु. कश्मीर-निवासी, कश्मीर का | अस " - रामा०। घोड़ा । स्त्री० कश्मीरिन । कसक-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० कषक) हलका कश्य-वि० (सं० ) कशाह । संज्ञा, पु० ___ दर्द, टीस, पुराना द्वेष, बैर, सहानुभूति, घोड़े का तङ्ग, रकाब।। हौसला। कश्यप-संज्ञा, पु. ( सं०) एक वैदिक मुहा०-कसक निकालना---पुराने बैर कालीन ऋषि, एक प्रजापति, ( महर्षि का बदला लेना। मरीचि के पुत्र ) सृष्टि के पिता इनकी दो कसकना-अ. कि० दे० ( हि० कसक) स्त्रियाँ थीं, दिति, अदिति । कछुआ, सप्तर्षि- दर्द करना, टीसना, सालना। " चतुरन के मण्डल का एक तारा । यौ० कश्यपमेरु कसकत रहै.... 'रही। - एक पर्वत, कश्मीर । कसकुट-संज्ञा, पु० दे० (हि० काँस + कष-संज्ञा, पु. (सं० कष--अल् ) सान, कुट-टुकड़ा ) ताँबे और जस्ते के सम मेल कसौटी (पत्थर), परीक्षा, जाँच, कषण- से बनी एक धातु, काँसा। संज्ञा, पु. ( सं० ) परीक्षा। कसकसा–वि० (दे०) कसकने वाला, कषाय-वि० (सं० ) कसैला, बाकठ। किरमिरा । कसाव (दे०) सुगन्धित, गेरू के रंग का, कसन-संज्ञा, स्त्री० (हि. कसना) कसने रँगा हुआ । गैरिक । संज्ञा,पु. कसैली वस्तु, की क्रिया, रस्सी । संज्ञा, स्त्री० (सं० कप ) छः रसों में से एक रस, गोंद, गाढ़ा रस, क्लेश, पीड़ा, कसनि (ब्र.) लपेट । क्रोध, लोभ, श्रादि विकार, कलियुग, कसना-स० कि० दे० (सं०कर्षण ) बन्धन काढा, क्वाथ । दृढ़ करने की डोरी को खींचना, बन्धन कष्ट-संज्ञा, पु. (सं० कप + क्त) पीड़ा, खींच कर बँधी वस्तु को दबाना, बाँधना, क्लेश, संकट, आपत्ति, कृच्छ्र । वि० कष्टकर परखना, जाँचना। (कष्टप्रद ) आदि। मुहा० --कसकर-ज़ोर से, पूरा पूरा, कष्टकल्पना-संज्ञा, स्त्री० यो० (सं० ) अधिक । कसा-पूरा पूरा जकड़ना, घोड़े खींच-खाँच और कठिनता से ठीक घटने पर साज लगाना । मुहा०-कसावाली युक्ति, दुःख की कल्पना । कसाया-- चलने को बिलकुल तैयार, लूंस कष्टसाध्य - वि० यौ० (सं० ) जिसका कर भरना । अ. क्रि० जकड़ जाना, करना कठिन हो। किसी पहिनने की चीज़ का तङ्ग होना, कष्टित—वि० (सं० कष्ट + इत् ) कष्टयुक्त। बँधना, साज रख सवारी तैयार होना, वि० कष्टी-प्रसव पीड़ा युक्ता । ( स्त्री) भरजाना । क्रि० स० (सं. कषण ) सोने आदि का कसौटी पर घिसना, परखना, कस-संज्ञा, पु० दे० (सं० कष) परीक्षा, तलवार चलाकर जाँचना, खोया बनाना, कसौटी, तलवार की लचक । संज्ञा, पु० क्लेश देना। बल, वश, काबू । कसनी---संज्ञा स्त्री० (हि० कसना ) बाँधने मुहा०-कसका-अपना इख्तियारी, । की रस्सी, बेठन, गिलाफ, कंचुकी, अंगिया, कस में रखना (करना) प्राधीन रखना। कसौटी, परख । " कह 'कबीर' कसनी सहै, संज्ञा, पु. रोक, अवरोध, (सं० कषाय ) । के हीरा के हेम"। दुःखी। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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