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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SIROHIDANANDANARTH I RUNAL ODAMBRPANJAY MUNDIANRAILE औत्तमि और औत्तमि--संज्ञा, पु० (सं.) ५४ मनुषों में | (दे० ) अवध, अयोध्या । संज्ञा, स्त्री. से तीसरे । (दे० ) अवधि, सीमा, निर्धारित समय । औत्तानपादी-संज्ञा, पु० (सं०) उत्तानपाद | "ौध तजो मग जात ज्यौं रूख"-तु०। नृप के पुत्र ध्रुव । औधारना—स० कि० ( दे० ) अवधारना। औत्कर्ण्य संज्ञा, पु० (सं०) उत्कर्षता, औनि*-संज्ञा, स्त्री. ( दे० ) अवनि, उत्तमता, वृद्धि। भूमि । संज्ञा, पु० औनिप- राजा। औत्सुक्य-संज्ञा, पु० (सं०) उत्सुकता। औना-पौना --- वि० ( हिं० ऊन = कम + औथरा* -- वि० (दे० ) उथला, छिछला, पौना = भाग ) श्राधा-तिहाई, थोड़ा" अति अगाध अति औथरो..."-वि० । बहुत, न्यूनाधिक । क्रि० वि०-कमतीऔदनिक---वि० (सं०) सूपकार, रसोइया । बढ़ती पर। औदरिक-वि० (सं० ) उदर-सम्बन्धी, मु०--औने-पौने करना—जितना ही बहुत खाने वाला, पेटू, पेटार्थी, स्वार्थी । दाम मिले उतने ही पर बेच डालना। औदसा*--संज्ञा, स्त्री० (दे०) अवदशा, औपचारिक--वि० (सं० ) उपचार (सं०) दुर्दशा। सम्बन्धी, अवास्तविक, जो केवल कहनेऔदात-वि० दे० (सं० अवदात ) श्वेत, सुनने के लिये हो। गौर। औपनिवेशिक-वि० (सं० ) उपनिवेशऔदान-संज्ञा, पु. ( दे० ) सेंत-मेंत का, सम्बन्धी। मुफ़्त, घेलुवा । | औपनिषदिक--वि० । सं० ) उपनिषद् औदार्य-संज्ञा, पु. ( सं० ) उदारता, सम्बन्धी। सात्विक नायक का एक गुण।। औपनी--संज्ञा, स्त्री० (दे० ) अोपनी। औदास्य-संज्ञा, पु० (सं० ) उदासीनता, | औपन्यासिक -- वि० (सं० ) उपन्यासवैराग्य, अनिच्छ । यौ० औदास्यभाव--- सम्बन्धी (विषयक), उपन्यास में वर्णनीय, वैराग्य, उपेक्षा भाव। अद्भुत । संज्ञा, पु० उपन्यास लेखक । औदीच्य संज्ञा, पु. ( सं० ) गुजराती औपपत्तिक (शरीर)-संज्ञा, पु० (सं०) ब्राह्मणों की एक जाति । उपपत्ति-सम्बन्धी, लिंग-शरीर, देव-लोक या औदुम्बर-वि० (सं० ) गूलर का या नरक के जीवों की सहज देह । ताँबे का बना हुधा। संज्ञा, पु. ( सं० ) औपयिक-वि० (सं० ) न्याय्य, उपयुक्त । गूलर का यज्ञ-पात्र, एक प्रकार के मुनि। औपसर्गिक--वि० (सं०) उपसर्ग सम्बन्धी। यौहालिक-संज्ञा, पु० (सं०) दीमक | औपश्लेषिक { आधार )- संज्ञा, पु० आदि के बिलों का चेप, या मधु, एक | (सं० ) अधिकरण कारक के अन्तर्गत वह तीर्थ । आधार जिसके किसी अंश ही से दूसरे का औद्धत्य-संज्ञा, पु० (सं० ) अक्खड़पन, | लगाव हो (व्याक०)। उजडता, धृष्टता, दौरात्म्य, ढिठाई, उग्रता। औबट-वि० (सं० ) बुरा मार्ग, औघट, प्रौद्योगिक-वि० (सं०) उद्योग सम्बन्धी।। दुर्गम । दुगम। औद्वाहिक-वि० (सं०) विवाह-सम्बन्धी औम*—संज्ञा, स्त्री. (सं० अवम ) अवधन । मतिथि, क्षय प्राप्त तिथि। औध (औधि )*----संज्ञा, स्त्री० (पु.) और–प्रव्य० दे० (सं० अपर ) संयोजक For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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