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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ऊर्ध्वद्वार ARCAROTADTO ऊर्ध्वद्वार - संज्ञा, पु० (सं० ) ब्रह्मरंध | ऊर्ध्वपाद संज्ञा, पु० (सं० ) एक प्रकार का श्रासन, एक कीड़ा, शरभ । ऊर्ध्व पुंड्र – संज्ञा, पु० ( सं० ) वैष्णवी खड़ा तिलक । ३५७ ऊर्ध्ववाह - संज्ञा, पु० (सं० ) अपनी एक बाहु ऊपर उठाकर तपस्या करने वाले तपस्वी । ऊर्ध्व रेखा - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) हाथ में भाग्य रेखा, पैर के तलवे पर खड़ी रेखा, ये दोनों सौभाग्य-सूचक मानी गई हैं। ( सामु० ) । ऊर्ध्वरेता - वि० (सं० ) जो अपने वीर्य को न गिरने दे, ब्रह्मचारी संज्ञा, पु० भीष्म, महादेव, हनुमान, सनकादि, सन्यासी । ऊर्ध्वलोक-संज्ञा, पु० (सं०) श्राकाश, वैकुण्ठ, स्वर्ग । ऊर्ध्वश्वास- संज्ञा, पु० (सं० ) ऊपर को चढ़ती स्वास, साँस की कमी या तंगी, दमा, उच्च श्वास । ऊर्मि (ऊर्मी ) संज्ञा, स्त्री० (सं० ) लहर, तरंग, पीड़ा, दुःख, छः की संख्या, शिकन, कपड़े की सलवट । यौ० संज्ञा, पु० (सं० ) ऊर्मिमाली - सागर, सिंधु । "" ऋ - हिन्दी और संस्कृत की वर्णमाला का सातवाँ वर्ण, इसका उच्चारण मूर्धा से होता है - " ऋटुरषाणाम् मूर्धा | संज्ञा, स्त्री० (सं०) देव-माता, अदिति, निन्दा, बुराई । संज्ञा, पु० (सं० ) सूर्य, गणेश । ऋक्संज्ञा, स्त्री० (सं० ) ऋषी, वेदमंत्र | संज्ञा, पु० ऋग्वेद | ऋक्थ संज्ञा, पु० (सं० ) धन, सम्पत्ति, सुवर्ण, पितृधन । ऋग्वेद ARTISE ATGANGEN/STROKE ऊलजलूल - वि० (दे० ) संवद्ध, अंडबंड, नासमझ, बेअदब, अशिष्ठ, अनारी । ऊलना - प्र० क्रि० दे० ) उछलना, कूदना । ऊपण - संज्ञा, पु० (दे० ) काली मिर्च | ऊषा - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) सवेरा, श्ररुणोदय, उषा । यो० ऊषाकाल संज्ञा, पु० (सं० ) सबेरा । ऊष्म (ऊमा ) संज्ञा, पु० स्त्री० ) (सं० ) गरमी, भाप, तपन, उमस, ग्रीष्म ऋतु । वि० गरम, तप्त । यौ० ऊष्मवर्ण -संज्ञा, पु० (सं० ) श, ष, स, ह ये अक्षर । ऊसन - संज्ञा, पु० ( दे० ) सरसों का सा एक तेल देने वाला पौधा । ऋक्ष संज्ञा, पु० (सं० ) री, भालू, तारा, नक्षत्र, मेष, वृष यदि राशियाँ ऋच्छ ऊसर - संज्ञा, पु० (दे० ) ऊपर ( सं० ) अनुपजाऊ भूमि, रेतीली और लोनी भूमि । ऊसर बरसै तिन नहि जामा 'रामा० । ऊसढ़ - वि० (दे०) फीका, मीठा । ऊह - अव्य० (सं० ) क्लेश या कष्ट सूचक शब्द, श्रोह, विस्मय- सूचक शब्द | संज्ञा, पु० (सं० ) अनुमान, विचार, तर्क, दलील, किंवदंती, अफवाह | संज्ञा, स्त्री० ऊहाकल्पना, अनुमान । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 66 ऋ ऊहापोह - संज्ञा, पु० ( सं० ऊह + अपोह ) तर्क-वितर्क, सोच-विचार | ܕܙ (रिन्छ ) (दे० ) भिलावाँ रैवतक पर्वत, शौनक वृक्ष । यौ० ऋक्ष जिह्वा -संज्ञा, पु० ( सं० ) एक प्रकार का कुष्ट । ऋक्षपति -संज्ञा, पु० (सं० ) जाम्बवान, चन्द्रमा । नक्षत्रेश | ऋतवानसंज्ञा, पु० (सं० ) नर्मदा से गुजरात तक फैला हुआ एक पर्वत । For Private and Personal Use Only ऋग्वेद -संज्ञा, पु० (सं० ) चार वेदों में से प्रथम, वेदाग्रणी । वि० ॠग्वेदी ऋग्वेद का जानने वाला । वि० ॠग्वेदीय ।
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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