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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ACI उत्तरपक्ष उत्तेजक उत्तरपक्ष-संज्ञा, पु० (सं.) पूर्व पक्ष या उत्तरीय-संज्ञा, पु० (सं.) उपरना, दुपट्टा, प्रथम किये हुए निरूपण या प्रश्न का खंडन चद्दर, श्रोदन । वि० ऊपर का, ऊपरवाला, अथवा समाधान करने वाला सिद्धान्त उत्तर दिशा का, उत्तर दिशा सम्बन्धी। (न्याय०) जवाब की दलील। उत्तरोत्तर-क्रि० वि यौ० (सं०) एक के उत्तरपथ-संज्ञा, पु० (सं०) देवयान। .. बाद एक, क्रमश: लगातार, बराबर, एक उत्तरपद-संज्ञा, पु. ( सं० ) किसी यौगिक के पश्चात् दूसरे का क्रम । श्रागे भागे । शब्द का अंतिम शब्द । उत्ता-वि० (दे० ) उतना, उत्तो (दे०) । उत्तर-प्रत्युत्तर-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) स्त्री० उती। वादानुवाद, तर्क, वाद-विवाद। उत्तान-वि० (सं० ) (ऊत् तिन् +घञ् ) उत्तरफाल्गुनी-संज्ञा स्त्री० (सं०) बारहवाँ उतान (दे० ) ऊर्ध्वमुख, चित्त, पीठ के नक्षत्र, उत्तरा फाल्गुनी । बल, सीधा। उत्तरभाद्रपद-संज्ञा, पु० (सं० ) छब्बी | उत्तानपात्र--संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) तवा, सर्वां नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद । रोटी सेंकने का बरतन । उत्तरमीमांसा-संज्ञा स्त्री० (सं० ) वेदान्त | उत्तानपाद-संज्ञा, पु० (सं०) एक राजा जो दर्शन, (शास्त्र)। स्वयम्भुव मनु के पुत्र और प्रसिद्ध भक्त ध्रुव के पिता थे। उत्तरा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) अभिमन्यु उत्तानशय-वि० (सं०) चित्त सोने वाला, की स्त्री, विराट की कन्या और परीक्षित | की माता । (दे०) एक नक्षत्र ।। बहुत छोटा, शिशु। उत्ताप --संज्ञा, पु. (सं.) गर्मी, तपन, कष्ट, उत्तराखंड-संज्ञा पु० (सं०) भारत के उत्तर वेदना, दुःख, शोक, क्षोभ, संताप, उष्णता । हिमालय के समीप का भाग या प्रान्त ।। उत्ताल-वि० (दे० ) उत्कट, महत्, भयाउत्तराधिकार-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) नक, श्रेष्ठ, त्वरित । किसी के मरने पर उसकी धन-सम्पत्ति का उत्तिष्ठमान-वि० ( सं० ) उठा हुआ, वर्ध. स्वत्व, वरासत । मान, उत्थानशील। उत्तराधिकारी-वि० यौ०, संज्ञा, पु० (सं०) उत्तीर्ण-वि० (सं० उत् - तृ । हि ) पार किसी के मरने पर उसकी सम्पत्ति का गया हुआ, पारंगत, मुक्त, परीक्षा में कृतकार्य मालिक, वारिस । स्त्री० उत्तराधिकारिणी। या सफल, पासशुदः, उपनीत, पार-प्राप्त । उत्तराभास-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) झूठा उत्तंग-वि० (सं०) बहुत ऊँचा, उच्च, जवाब, अंड-बंड जवाब (स्मृति)। उन्नत। उत्तरायण-संज्ञा, पु० (सं०) सूर्य की उत्त--संज्ञा, पु. (फा० ) एक प्रकार का मकर रेखा से उत्तर कर्क रेखा की ओर गति, औज़ार या यंत्र जिसे गरम करके कपड़ों पर छः मास का ऐसा समय जिसमें सूर्य मकर बेलबूटों या चुन्नट के निशान डालते हैं, इस रेखा से चल कर बराबर उत्तर की ओर औज़ार से किया गया बेल-बूटों का काम । बढ़ता रहता है, देवताओं का दिन । मु०-उत्त करना - बहुत मारना, तह उत्तराधे-संज्ञा, पु० (सं.)पिछला प्राधा, जमाना, शिथिल करना । वि. बदहवास, पीछे का प्राधा भाग। बेहोश, नशे में चूर। उत्तराषाढ़ा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) इक्कीसवाँ उत्तेजक-वि० (सं० ) उभाड़ने, बढ़ाने, नक्षत्र । या उकसाने वाला, प्रेरक, वेगों को तीव्र उत्तराहा-वि० (दे० ) उत्तर दिशा का।। करने वाला। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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