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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उठवैय्या उठाना उछलना विस्तर छोड़ना, जानना निकलना, +गीर-फा० ) आँख बचा कर चीजों का उत्पन्न होना पैदा होना, जैसे विचार उठना, चुराने वाला, उचक्का, चाई, बदमाश, लुच्चा, भाव उठना, सहसा आरंम्भ होना, जैसे - ठग, चोर । संज्ञा, स्त्री० उठाईगीरीदर्द उठना. उन्नति करना। तैयार होना, आँख बचाकर चीज़ उठाने का काम । उद्यत होना, किसी अंक या चिन्ह का स्पष्ट उठान--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० उत्थान ) होना, उभड़ना, उपटना, पांस बनना, उठना, उठने की क्रिया, बाद, बढ़ने का खमीर श्राना, सड़ कर उफनाना, किसी दंग, वृद्धि-क्रम, गति की प्रारंभिक दशा, दूकान या कार्यालय का कार्य-समय पूरा आरंभ, खर्च, व्यय, खपत । होना, या उसका बंद होना, टूट जाना, उठाना-स० कि० (हि० उठना का स० रूप) चल पड़ना, प्रस्थान करना, किवी प्रथा खड़ा करना, बेड़ी स्थिति से खड़ी स्थिति में का दूर होना; ख़च होना काम में आना करना नोचे से ऊपर करना, धारण करना, (जैसे रुपया उठ गया) बिकना या भाड़े जगाना, सचेत करना, सावधान करना, पर जाना, याद आना, ध्यान पर चढ़ना, कुछ समय तक ऊपर ताने या लिये रहना, किसी वस्तु ( घर आदि) का क्रमशः जुड़- निकालना, उत्पन्न करना, बढ़ाना, चढ़ाना, जुड़ कर पूरी ऊँचाई तक पहुँचना, बनना उन्नत कर आगे बढाना, आरंभ करना, ( इमारत), गाय, भैंप या घोड़ी आदि का शुरू करना, छेड़ना, जैसे बात उठाना, मस्ताना या अलँग पर आना, ख़तम या तैय्यार करना, उग्रत करना, बनाना ( घर समाप्त होना, चलन या प्रयोग बंद होना। या मकान उठाना) उत्तजित या उत्साहित मु०-उठ जाना-(दुनिया से - करना, नियमित समय पर किती दूकान मर गना. संपार से चला जाना । उठना या कार्यालय का बंद करना, समाप्त बैठना-बाना जाना, संग-पाथ, मेल जोल, करना, ख़तम करना, बंद करना, दूर रहन-सहन । उठन बैठते-प्रत्येक अवस्था करना (किसी प्रथा या रीति आदि का में, हर एक समय, प्रति जण, हर घड़ी । उठाना) खर्च करना. लगाना, भाड़े या उठती जवानी युवावस्था का प्रारम्भ । किराये पर देना, भोग करना, अनुभव उठा-बैठा-लड़कों का एक खेल । उठा. करना, शिरोधार्य करना, मानना, किसी बैठी लगाना-चिलबिली करना. चंचलता वस्तु ( जैसे गंगा-जल, पुस्तक आदि ) करना, शांत न रहना, विकल होना, को हाथ में लेकर शपथ करना, उधार देना, बेचैन रहना । ध्यान से उठना-भूलना। लगान पर देना ( खेत श्रादि) ज़िम्मेदारी उठवैय्या-संज्ञा, पु०(दे०) उठाने वाला, लेना, अपने ऊपर उतरदायित्व लेना सहना, हटाने वाला। बरदारत करना, स्वीकार करना (किसी कार्य उठल्लू -वि० (हि. उठना+लू -- प्रत्य० ) का उठाना ) प्रात करना । एक स्थान पर न रहने वाला, आसन कोपी, मु०-उठा रखना-बाकी रखना, कसर आवारा, बेठौर-ठिकाने का। छोड़ना । (पृथ्वी) श्राममान सर पर म..-उठस्नु चला (उठानू काचन्ह) उठाना-उपद्रव करना, अत्याचार करना, बेकाम इधर उधर फिरने वाला, निकम्मा। ज्यादती करना । सिर उठाना-धमंड उठवाना-स० कि० (हि. उटना क्रिया का करना, अत्याचार करना, शरारत करना। प्रे० रूप) किपी से उठाने का काम कराना। हाथ उठाना-मारना, हानि पहुँचाना । उठाईगीर-उठाईगीरा - वि० (हि० उठाना उँगली उठाना- इशारा करना, ऐब For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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