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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नोकरी २११ अखि श्रॉकरी-संज्ञा, स्रो० (दे०) बाण का | स्वस्थ होना, तबियत ठिकाने आना, होश कण या नोक, अंकुश । श्राना, श्राश्चर्य होना। कुस -संज्ञा, पु० ( दे० ) (सं० अंकुश) | अखि न खुतना (खोलना )-अर्भक अंकुश । दशा का न त्यागना, शैशव में ही रहना, मु०-याकुम न मनाना-दाब न अप्रवुद्ध दशा में होना, सचेत न होना। मानना, उदंड या उच्छल होना। (चिड़िये के बच्चे के लिये )। बे प्राकुम होना-स्वच्छंद होना, मन- | श्राव खोलना-पलक उठाना, ताकना, मानी करना। चैतन्य होना या करना, होश में आना या आँकुवे-संज्ञा, पु० (दे० ) अंकुरित हुए, लाना, स्वस्थ होना, ज्ञान पाना या कराना, जन्मे, उगे हुए पौदे। बोध करना या कराना। प्राकू-संज्ञा, पु० दे० (हि० आँक + ऊ = आँख का खिलना (खिल उठना )प्रत्य० ) आँकने या कूतने वाला। प्रसन्नता आना, मुदित हो उठना । अंकैया (दे०)। अाँख का खोना (खोजाना.खो बैठना, खो देना)--आँख की दृष्टि या नज़र प्राख -संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० अक्षि ) का चला जाना, आँख का फूट जाना, ख़राब प्राणियों के शरीर में रूप, वर्ण, विस्तार, श्राकारादि को देखने या अनुभव करके हो जाना, रोशिनी का न रहना, अंधा हो ज्ञान कराने वाली इन्द्रिय विशेष, नेत्र, जाना। नयन, लोचन, विलोचन, दृष्टि, नज़र, आँख गड़ना-(किसी वस्तु या व्यक्ति पर) ध्यान, परख, मोर-पंख, चतु, अम्बक । ताक लगना, ध्यान लगना, लेने, पाने या (व० ब०) आँख, अखियाँ, अखियान ।। अपनाने की इच्छा (प्रबल इच्छा ) या मु०-आँख पाना या उठना-आँख लालसा होना, प्रेम या अनुराग होना, में लाली, पीड़ा और सूजन होना। आँख का दुखना या किरकिराना, दृष्टि प्रांख उठाना-ताकना, देखना, क्रोध जमना, टकटकी लगना, । करना, ध्यान हटना, हानि पहुँचाना, नुक्र आँख में आंख गड़ना-प्रेम-पाश में सान या अनिष्ट करने की चेष्टा करना, बँधना, प्रेमी-प्रेमिका का परस्पर देखकर अहित करने का विचार करना । मुग्ध या प्रेमासक्त या वशीभूत होना। प्रांख से उठाना-सादर स्वीकार करना । आँख गाड़ना (गड़ाना)-दृष्टि जमाना, प्रांख उलटना ( उलट जाना) पुतलियों टकटकी बाँधना या लगाना, ध्यान पूर्वक का ऊपर चढ़ जाना (जैसे मरते समय )। देखना, ताकना, ताक लगाना, लेने की अाँख करकना-प्राँख दुखना या पीड़ा | प्रबल इच्छा करना। करना। आँख में गड़ना (खटकना)-मन में प्रांख में करकना-बुरा लगना, अाँख | बसना, पसंद आना, बुरा लगना, किरमें गड़ना। किराना, अप्रिय होना। खि खुलना (खोलना)-पलक खुलना | आँख दुखना, आँख में चुभना-दुःख या खोलना, नींद टूटना, जागना, ज्ञान पहुँचाना, देना, पीड़ा करना या पीड़ा होना, प्रबुद्ध या सचेत होना, सावधान या । पहुँचाना। सतर्क होना, भ्रम का दूर होना, चित्त श्राख गिरना-( मृत्यु के समय ) आँखों For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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