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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हड़ गिल्ला, हडगीला हड़गिल्ला - हड़गीला - संज्ञा, पु० दे० (हि० हाड़ + गिलना ) वगुले की जाति का एक पक्षी । १८५६ हड़जोड़ - हरजोर - संज्ञा, पु० दे० ( हि० हाड़ + जोड़ना) एक प्रकार की औषधि - लता, कहते हैं कि इनसे टूटी हुई हड्डी भी जुड़ जाती है । हड़ताल, हरताल - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० हड्ड + ताला ) किसी बात से असंतोष सूचनार्थ, बाज़ार या अन्य कारबार बन्द कर देना । ज्ञा, स्रो० (दे०) हरताल, पीले रंग को एक खनिज वस्तु । हड़ना - प्र० क्रि० दे० ( हि० घड़ा ) तौल में जाँचा जाना । हडप - वि० ( धनु० ) पेट में डाला हुआ, निगला या लीला हुआ, छिपाया या गायत्र किया हुआ । 1 हड़पना1- स० क्रि० ( अनु० हड़प ) खा जाना, निगल या लील जाना, छीन या उड़ा लेना, अनुचित रीति से ले लेना । हड़बड़ - संज्ञा, स्त्रो० ( अनु० ) हरबर, उतावली या जल्दबाज़ी - सूचक, गति-विधि । हड़बड़ाना- - प्र० क्रि० ( अनु० ) उतावली, जल्दी या शीघ्रता करना, श्रातुर होना, हरबराना (दे० ) । स० क्रि० (दे०) किसी को जल्दी करने को कहना | हड़बड़िया - वि० ( हि० हड़बड़ी + इया - प्रत्य० ) धातुर, हड़बड़ी करने वाला, जल्दबाज़, उतावला, हरबरिया । हड़बड़ी - संज्ञा, स्त्रो० ( अनु० ) उतावली, जल्दी जल्दी के मारे घबराहट, आतुरता, हरबरी हड़हड़ाना - स० क्रि० ( अनु० ) उतावली करके या जल्दी मचाकर दूसरे को घबराना हड़ावरि हडावल -संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० हाड़ + प्रवल सं० ) हड्डियों की माला या समूह, हड्डियों का ढाँचा, ठठरी, कंकाल । हतभाग हड्डा--संज्ञा, पु० दे० ( सं० हडाचिका) बरं, भिड़ मधु मक्खी जैसा एक कीड़ा, बड़ी हड्डी । हड्डो --संज्ञा, स्रो० दे० (सं० अस्थि ) हाड़, अस्थि जीवों के देह की मूल कड़ी वस्तु जिसमे देह का ढाँचा बनता है। मुहा०हड्डियाँ गढ़ना या तोड़ना बहुत मारना, पटना । हड्डियाँ निकल आना ( रह जान" ) - शरीर का अति दुबला होना । ( किसी की ) हड्डी चूसना - सर्वस्व लेकर और छीनना । पुरानी हड्डीपुराने मनुष्य का सुहद शरीर । कुटुम्ब, वंश, कुल, ख़ानदान | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -U. हत वि० (सं० ) t मारा या पीटा हुधा, वध किया हुश्रा, ताडित, श्राहत, खोया या गँवाया हुआ, विहीन, रहित, जिस पर या जिसमें ठोकर या धक्का लगा हो. नष्टभ्रष्ट किया या बिगड़ा हुआ, ग्रस्त, पीड़ित, गुणित, गुणा किया हुआ ( गणि० ) । हतक सज्ञा, त्री० ( ० ) बेइज्जती, निरादर, प्रतिष्ठा, हेठी अब पापी दोनों वढ्यो, हतक मनोजहि दाव मति० 15 " ० । हतक इज्ज़ती-संज्ञा स्त्री० यौ० ( ०हतक + इज्जत ) बेइज्जती, मान-हानि, प्रतिधा । For Private and Personal Use Only 86 हतदेव -- वि० (सं० ) अभागा, कमबख़्त, भाग्यहीन, बदकिस्मत, हत-विधि । हतना - स० क्रि० दे० (सं० इत + ना प्रत्य० ) मार डालना, वध करना, मारना पीटना, न मानना, न पालना । तदपि हतौं मोहि राम दुहाई' "रामा० । हतप्रभ - वि० यौ० (सं० छत + प्रभा ) कांति या प्रभाहीन, निष्प्रभ । हतबुद्धि - वि० यौ० (सं०) बुद्धि-रहित, हती. निर्बुद्धि, वे धक्क, मूर्ख । हतभाग - वि० यौ० ( हि० ) हतभाग्य, जिसका भाग हर लिया गया हो ।
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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