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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वाधि स्वेच्छासेवक अपना काम निकालना, अपना लाभ या प्रयुक्त होने वाला एक शब्द विशेष। जैसेहिस साधना । वि० स्वार्थसाधक। 'इन्दाय स्वाहा ” । मुहा०-स्वाहा स्वार्थाध - वि० यौ० (सं०) स्वार्थ के वश | करना (होना)-नष्ट या नाश करना हो कुछ विचार न करने वाला, अपने, । (होना), जला देना, (जल जाना)। संज्ञा, मतलब के लिये अंधे के समान कुछ न देखने । स्त्री०.- अग्निदेव की पत्नी। “ नमः स्वस्ति वाला । संज्ञा, स्त्री. (सं०) स्वार्थांधता। स्वाहा स्वधा वषट् योगाच्च "-कौ० । स्वार्थी-वि० (सं० स्वार्थिन् ) स्वार्थ-परायण, । स्वीकरण-संज्ञा, पु० ( सं० ) स्वीकार या मतलबी, खुदग़रज़, अपने ही प्रयोजन की अंगीकार करना, कुबूल या मंजूर करना, सिद्धि में तत्पर. अपना ही लाभ या हित अपनाना, राज़ी होना, मानना । वि० देखने वाला, स्वारथी (दे०) । " स्वार्थी स्वीकरणीय। दोषान्न पश्यति"। स्वीकर-संज्ञा, पु. (सं०) अंगीकार, स्वाल-वि० दे२ (अ० सवाल ) सवाल, मंजूर, कुबूल, लेना, स्वीकृत । संज्ञा, स्त्री० प्रश्न, माँगना, पूंछना। (सं०) स्वीकारता । स्वावस-रज्ञा, पु० दे० (सं० श्वास) श्वास, स्वीकारोक्ति-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) ऐसा बयान जिसमें अभियुक्त अपना दोषा. प्राणवायु, साँस । स्वास*-संज्ञा, पु० दे० (सं० श्वास) पराध श्राप ही मान ले या स्वीकार कर ले । श्वास, साँस । " स्वास-वस बोलत सो स्वीकार्य-वि० (सं० स्वीकार या अंगीकार याको विसवास कहा"-पद्मा० । करने के योग्य, मानने के योग्य, मान्य । स्वामा --- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० श्वास) श्वास, स्वीकृत --- वि० ( सं०) स्वीकार या अंगीकार साँस । लो०-.." जब तक स्वासा तब किया हुश्रा, कुबूल या माना हुआ, मंजर किया हुआ तक श्रासा"। मुहा०-स्वासा साधना--- स्वीकृति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) मंजूरी, प्राणायाम करना, स्वाप-गति (शुभाशुभार्थ) रजामन्दी सम्मति, स्वीकार का भाव । देखना (स्वरो०)। स्वीय- वि० ( सं० ) अपना, निजका । स्वास्थ्य-संज्ञा, पु. (सं०) आरोग्य, नीरोग, सज्ञा, पु० सम्बन्धी, आत्मीय, स्वजन | स्वस्थ होने की दशा, तंदुरुस्ती, सावधान । स्वे*-वि० दे० (सं० स्व) अपना, निजका। स्वास्थ्यकर, स्वास्थ्यकारक, स्वास्थ्य- स्वेच्छा--संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं० ) अपनी कारी-वि० ( सं० ) आरोग्य-वर्द्धक, इच्छा था अभिलाषा। तंदुरुस्त या नीरोग रखने वाला। स्वेच्छाचार-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) यथेच्छास्वास्थ्य रक्षा -- संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं०) चार, मनमानी करना । संज्ञा, स्त्री० स्वेच्छाश्रारोग्य की रक्षा या तंदुरुस्ती का बचाव । चारिता। संज्ञा, पु० यौ० (सं०) स्वास्थ्य-रक्षण। स्वेच्छाचारी-वि० ( सं० स्वेच्छाचारिन् ) स्वास्थ्यवर्धक - संज्ञा, वि. यौ० (सं०) अवाध्य. मनमानी करने वाला, निरंकुश, धारोग्यता का बढ़ाने पाला। संज्ञा, पु० यौ० स्वच्छन्दाचारी। स्त्री० स्वेच्छाचारिणी। (सं०) स्वास्थ्यवर्धन । संज्ञा, स्त्री० स्वेच्छाचारिता । स्वास्थ्य-सुधार--संज्ञा, पु० यौ० (सं०स्वास्थ्य स्वेच्छानुचर--संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) +सुधार-हि० बिगड़े स्वास्थ्य का बनाना। स्वयं सेवक। स्वाहा----अव्य. ( सं० ) इसका प्रयोग हवन स्वेच्छासेवक-- संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) के समय होता है, देवताओं के हवि देने में स्वयं सेवक । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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