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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सौम्या १८३३ सौहृद सौम्या- संज्ञा, स्त्री० (सं०) अच्छे स्वभाव सौराष्ट्रिक-वि० (सं०) सोरठ देश-सम्बन्धी, की स्त्री, सुन्दर और सुशीला स्त्री, प्रार्या सौराष्ट्र देश का । छंद का एक भेद । पिं०)। सौरास्त्र--संज्ञा, पु० यौ० (सं०)एक दिव्यास्त्र, सौर-वि० (२०) सूर्य से उत्पन्न, सूर्य का, सूर्यास्त्र । सूर्य-सम्बन्धी। संज्ञा, पु० (सं०) सूर्योपासक, सौरि-संज्ञा, पु० दे० ( शौरि ) श्रीकृष्ण, शनिश्चर । *संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. सोड़)। वसुदेव | संज्ञा, स्त्री० (दे०) सोवर, सौरी, प्रोदना, रजाई, लिहाफ़, चादर । "तेते प्रसूता-गृह । संज्ञा, पु. (सं०) शनि ।। पाँव पसारिये, जेती लांबी सौर"--नीति। सोरी-संज्ञा, स्त्री० (सं० सूतिका ) सूतिकासोरज* --- संज्ञा, पु० दे० (सं० सौर्य) गृह, सूतिकागार, जच्चाखाना, स्त्री के बच्चा सूर्य से उत्पन्न, सूर्य का, सूर्य-सम्बन्धो। जनने क कमरा । संज्ञा, स्त्रो० दे० (सं० संज्ञा, पु. सूर्य का उपासक, सुर्य-सुत, शफरी ) एक प्रकार की मछली। संज्ञा, स्त्री. शनिश्चर । संज्ञा, पु. (दे०) शौर्य (सं०) (दे०) सुअरिया, शूकरी (सं०) सोरी (दे०)। शूरता। सौरीय-सौर्य-वि० (सं०) सूर्य-सम्बन्धी, सौर-दिवस- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) एक | । सूर्य का । संज्ञा, पु. (दे०) शौर्य (सं०) सूर्योदय से दूसरे तक साठ घड़ी का समय । | सोज (दे०)। सोरभ-संज्ञा, पु. (सं०) सुगंध, सुवास, सोवचल-संज्ञा, पु. (सं०) सोंचर नमक । अच्छी महक, सुरभि, केसर, पाम । सौवर्ण- संज्ञा, पु० (सं०) सुवर्ण या सोने सौरभक-- संज्ञा, पु० (सं०)एक वर्णिक छन्द | का, सोगा। (पि.)। सौवीर - संज्ञा, पु. (सं०) सिंधु नदी के सौरभित–वि० (सं० सौरभ ) सुरभित, समीप का प्रदेश (प्राचीन), उस देश का सुगंधित, महकने वाला, सुवासित । निवासी या राजा। सौर मास-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) एक सौवीरांजन-संज्ञा, पु० (सं०) सुरमा । संक्रान्ति से दूसरी तक का समय, सूर्य के | | सौरव-संज्ञा, पु० (सं० सुष्ठु ) सुडौलपन, एक राशि के पार करने का समय। सौंदर्य, सुन्दरता, उपयुक्तता, नाटक का सौर घर्प-संज्ञा, पु० यो० (सं०) एक मेष एक अंग ( नाट्य०)। की संक्रान्ति से दूसरी तक का समय, एक | सौसन-संज्ञा, पु० दे० (फा० सोसन ) एक फूल । पक्का वर्ष। सौसनी--वि० संज्ञा, पु० दे० (फा० सोसनी) सौरसेन--संज्ञा, पृ० दे० (सं० शौरसेन ) । सोसन फूल के रंग का। शूरसेन का पुत्र, बसुदेव जी। सोह-रज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शपथ ) शपथ, सौरसेनी-संज्ञा, मो० (दे०) शौरसेनी क़सम, सौगंद, सौगंध । क्रि० वि० दे० (सं० (सं०) शूरसेन प्रान्त की प्राकृत भाषा । सम्मुख) समक्ष, सामने, भागे, सम्मुख । सौराष्ट्र-संज्ञा, पु० (सं०) काठियावाड़ और | | सौहाद-सौहार्य-संज्ञा, पु. ( सं० ) मैत्री, गुजरात का देश (प्राचीन ), सोरठदेश मित्रता, सुहृद का भाव । (दे०), सोरठ-वासी, एक वर्णिक छन्द सौही-सौं हैं-क्रि० वि० दे० ( हि० सौंह) (पि०)। सामने, सम्मुख, भागे। सौराष्ट्र-मृत्तिका-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) सौहृद - ज्ञा, पु० (सं०) मित्रता, मैत्री, गोपी चन्दन। दोस्ती, मित्र, साथी। संज्ञा, पु०-सौहृद्य । भा० श. को०-२३० For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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