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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सौंचाना सोहाइन १८२६ सोहाइन -वि० दे० (दि. सुहावना ) सोहि-सोही-कि० वि० दे० (सं० सम्मुख) सुहावना, सुंदर, मनोरम, सुहावन, शोभन। सम्मुख, सामने, आगे की ओर । " तो सोहाई-स. क्रि० (हि. सोहाना ) शोभा सोही कैसे कहैं, ऊभव कमो न जाय"-स्फु० देना, अच्छा या संदर जान पड़ना । वि० सोहिनी--वि० स्त्री० ( हि० सोहना ) सुहास्त्री० (दे०) रुचिर, संदरी, प्रिय । " कर- वनी। संज्ञा, स्त्री०-करुण रस की एक सरोज जय-माल सुहाई " .. रामा० । स० रागिनी संगी०)। कि० दे० (हि. सोहना) निराने की क्रिया या सोहिल --संज्ञा, पु० दे० (अ. सुहैल ) मजदूरी। अगस्त्य तारा। सोहागी--संज्ञा, पु० दे० ( हि० सुहाग । सोहिला---संज्ञा, पु० दे० (हि. सोदना ) सौभाग्य, सुहाग । सोहर. वे गीत जो बच्चा उत्पन्न होने पर सोहागिन साहाणिनि सोहागिनी--संज्ञा, गाये जाते हैं. मांगलिक गीत ।। स्त्री० दे० (हि० सुहागिनी ) सुहागिनो. सोही-कि०वि० (दे०)मन्मुख (सं०) सामने । सौभाग्यवती, सामागन।। सोहैं-कि० वि० द० (सं० सम्मुख ) सम्मुख, सोहागिल-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. सुहागिनी) सामने, प्रागे । संज्ञा,पु० (दे० सौंह का ब०५०) सुहागिनी, सौभाग्यवती।। __ अ० क्रि० दे. ( हि. सोहना ) शोभा दें, सोहाता-वि० (हि० सोहना ) अच्छा, सदर, अच्छे लगे, सौं हैं । " सोहैं जनु जुग जलज शोभित, सुहावना, अच्छा, रुचिर, सुन्दर, सनाला ''-रामा० । रोचक । स्त्री०-सोहती। यौ०-मोहाना, मो-..संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. सौगंद ) सौंह, सोहाता-इतना गर्म या ज़ोर का कि शपथ, कलम । अध्य० (३०) सों, से, हारा, सहा जा सके, महाना (दे०)। स्त्री० --- करण और अपादान का एक चिन्ह (व्याक०) । सोहाती। यौ० ---ठकुरसाहानी। प्रत्प० (१०) सा, सों। सोहाना-अ० कि० दे० (सं० शोभन ) सौंगी--वि० दे० (सं० सरल ) सीचे, सरल । रुचना, सजना, शोभित, रुचिर होना, प्रिय महा० (दे०) - सोगी न आना-सीधा रोचक या अच्छा लगना, सुन्दर या उचित जान पड़ना, सुदाना (दे०)। "सबहिं सोहाय सौंगियाना-स. क्रि० (दे०) ठीक या सीधा मोहिं सुठि नीका'--रामा०। । करना। साहाया--वि० द. ( हि० सोहाना ) संदर, सौंघा-वि० दे० (हि. मँहगा का उलटा ) सुशोभित, रुचिर ! स्त्री० - सोहाई। उत्तम श्रीष्ट, अच्छा, ठीक, उचित । सोहरद, मोहारदार-संज्ञा, पु० दे० (सं० लोंघाई ---संज्ञा, स्रो० दे० (हि० सौंघा ) मौहार्द ) सुहृद् का भाव, मित्रता, मैत्रो, ज्यादती, अधिस्ता, उत्तमता, उपयुक्तता । साहारद । सोचना ---स० क्रि० दे० ( सं० शौच ) साहारी--संज्ञा, स्त्री. ( हि० सुहाना ) मलत्यागादि कर्म करना, मल-त्याग पर पूड़ी, पूरी, सुहारी (दे०)। गुह्यन्द्रिय को जल से धोना, सउँचना सोहावना--- वि० दे० हि० सुहावना) सुन्दर, (ग्रा.)। सुहावना । अ० वि० दे० (हि० सोहाना) सोंचर-संज्ञा, पु० दे० ( हि• सोचर ) सोहाना, रुचना, मजना । सोचर नमक, सोंचर। सोहासिन --वि० दे० ( हि० सोहना ) सौंचाना-स० क्रि० दे० (हि. सौंचना ) आच्छा या प्रिय लगने वाला, रुचिकर, मल-त्याग कराना, तथा गुदादि को धुलाना, सुहासित, उपहस्पित । शौच कराना। नह For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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