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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir RamRamNDImammarnamasuomaram सेजरिया, सेज्या १८१६ सेना शायनागार का रक्षक, राजादि की सेज का सेतुबंध-संज्ञा,पु० यौ० (सं०) पुल की बधाई, पहरेदार। लंका पर आक्रमणार्थ समुद्र पर रामचन्द्र सेजरिया, सेज्या*---संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० का बंधाया पुल । " सेतुबंध इतिख्यातः " शय्या) सेज, शय्या पलँग, सेनिया (दे०) .. वाल्मी । यौ० सेतुबंध-रामेश्वर । सेझदादि संज्ञा, पु० दे० (सं० सह्यादि) सेतुवा --- संज्ञा, पु० दे० (सं० शक्तु ) सत्तू, सहयाद्रि, पर्वत (दक्षिण)। | सित्त, सितुपा, भुने हुए जवों और धनों सेझना--० क्रि० दे० (सं० सेधन) हटना, | का आटा, सेतुश्रा (ग्रा०) । संज्ञा, पु० अलग या दूर होना, सीझना । (प्रान्ती०) सूस जन्तु । सेटना-संटना*-अ. क्रि० दे० (सं० श्रत) सेथिया--संज्ञा, पु० दे० तेलगू चेटि) आँखों ख़्याल करना, मानना, समभाना, महत्व की दवा करने वाला, नेत्र-चिकित्सक । स्वीकार करना, कुछ समझना सेद* -- संज्ञा, पु० दे० (सं० स्वेद) पसीना । सेठ-संज्ञा, पु० द० (सं० श्रेष्ठ, बड़ा महाजन “सेद-कन मारत, सँभारत उसाँसह न"या साहूकार, कोठीवाल, बड़ा धनी, थोक | | रखा। व्यापारी, सुनार, सराफ़ | स्त्री०--सेठानी। सेदज*--वि० दे० (सं० स्वेदज) स्वेदज, सेढा--संज्ञा, पु० (दे०) नाक का मैल । पसीने से उत्पन्न कीड़े चीलर, जूं । सेत*-वि० दे० (सं० श्वेत) सफेद, श्वेत. सेन--संज्ञा, पु. (सं०) देह, जीवन, एक भक्त उजला । "सेत लेत सब एक से करर कपास नाई, बंगालियों की एक जाति · संज्ञा, पु. कपूर" - नीतिः । संज्ञा, दे० । सं० सेतु ) द० सं० श्यन) बाज पदी ! संज्ञा, स्त्री० दे० पुल, बांध, धुस्स, मेंड़, सीमा, मर्यादा, (सं० सेना) सेना, फौज, सैन, आँख का नियम, व्यवस्था । " धर्म-सेत-पालक तुम इशारा । “समधि सेन चतुरंग सुहाई".-- ताता"- रामा० । “सेत सेत सबही भले रामा०। सेतो भलो न केश''-स्फु०। सेनजित--वि० यौ० (सं०) सेना को जीतने सेतकुली-संज्ञा, पु० द० यौ० (सं० श्वेत वाला । संज्ञा, पु. श्रीकृष्ण जी का एक कुलीय) सफ़ेद जाति के नाग । लड़का। सेतदुति-संज्ञा, पु० दे० (सं० श्वेत द्युति) सेनए-सेन-पति*-संज्ञा, पु० दे० (सं० चन्द्रमा। सेनापति) सेनापति । "मंत्री, सेनप, सचिव सेतवाह-सेतवाहन* --संज्ञा, पु० दे० यौ० । शुभ " .... रामा। (सं० श्वेत वाहन) अर्जुन, चन्द्रमा (डि०)। सेन-वंश-- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) बंगाल का सेतिका-संज्ञा, स्त्री० दे० (० साकेत ) एक राज-वंश जिसने ३०० वर्ष ( ११ हवीं अयोध्यानगरी, साकेत। से १४ हवीं शताब्दी) तक राज्य किया सेतु, सेत (दे०)--संज्ञा, पु० (०) बाँध, धुस्स, बंधाव, मेंड़, नदी आदि का पुल, सेना-संज्ञा, स्त्री० (सं०) कटक, दल, फौज, डांड, मार्ग, हद, सीमा, नियम या व्यवस्था, पलटन, युद्ध-शिक्षा-प्राप्त शस्त्रास्त्र सज्जित मर्यादा, व्याख्या, ओंकार, प्रणव । “वैदेहि मनुष्य-दल, इन्द्र का बज्र, भाला, इन्द्राणी, पश्या मलयात् विभक्तम् मत्सेतुना फेनि शची। स० कि० दे० (सं० सेवन ) सेवालमम्बुराशिम्"-रघु०। सुश्रूषा या टहल करना । यौ० मुहा०सेतुक-प्रव्य (दे०) सौतुक, सामने । संज्ञा, । चरण-सेना-नीच नौकरी करना या पु० (सं०) छोटा पुल । बजाना । पूजना, माराधना करना, नियम For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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