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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सुषेण सुषेण - संज्ञा, पु० (सं०) विष्णु राजा परीक्षित का एक पुत्र, वरुण -पुत्र एक बानर जो अंगद का नाना और सुग्रीव का राजवैद्य था, सुखेन (दे० ) । -- सुपोपति - संज्ञा स्त्री० दे० (सं० सुषुप्ति ) सुपुप्ति, चित्त की चार अवस्थाओं में से एक व्यवस्था, गहरी निद्रा । सुष्ट – क्रि० वि० (सं०) भली भाँति, मी तरह । वि० - सुंदर, उत्तम, भला, अच्छा । संज्ञा, पु० सौष्ठव । विलो० - दुष्ट | सुष्टुता - संज्ञा स्त्री० (सं०) सुंदरता, सौभाग्य, सौga | १८०४ का साथ संग विलो० – कुसंग | सुसंगति-खज्ञा, स्रो० (सं०) सत्संगति, का संग या साथ, सुसंग, अच्छों की मैत्री, अच्छी संगति । पुस - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० स्वर ) वहिन | सुसकना - अ० क्रि० दे० ( हि० सिसकना ) सिसकना, रोना । सुसजित - वि० (सं०) अलंकृत, भलीभाँति, सजाया हुआ, अति सजा हुआ, श्रत्यंत शोभायमान । सुसताना- [ - ० क्रि० दे० ( फा० सुस्त ) थकावट मिटाना, विश्राम या आराम करना, दम लेना । | सुसती - पंज्ञा, स्री० दे० ( फ़ा० सुस्ती ) सुस्ती, ढीलापन । सुसमय – संज्ञा, पु० (सं०) सुकाल, सुसमै (दे० ) सुभित, अच्छा समय | विलो०कुसमय । सुसमा - संज्ञा, स्रो० दे० (सं० सुषमा ) सुषमा, शोभा, सुन्दरता । सुसमुझि सुसामुझि - वि० दे० (हि० समझ ) बुद्धिमान, अक्कु, अच्छी समझ | - सुसंग–संज्ञा, पु० दे० (सं० सुसंगति) सम्मंग, अच्छा साथ अच्छी मित्रता या संगति, सुष्मना* - संज्ञा स्त्री० दे० (सं० सुषुम्ना ) सुसा#i - संज्ञा, त्रो० दे० (सं० स्वस) सुषुम्ना नाड़ी । बहन. बहिन | संज्ञा, पु० (दे० ) एक चिड़िया | सुबाध्य - वि० (०) सुव-साध्य, जो सहज या सरलता से किया जा सके, थासानी से हो । " देखि लेहु सुपाय रोगिहिं कबहु तब उपचार -कं० वि० । संज्ञा, स्त्री० - सुसाध्यता । सुमाना- - अ० सिसकना । सुमिद्धि-संज्ञा, त्री० (सं०) एक अलंकार जहाँ करता तो कोई है, और फल दूसरा भोगता है | साहि०), श्रम या उद्योग कोई करे, फल कोई पात्रे | चि० (सं०) सुसिद्ध - सुप्रमाणित । क्रि० दे० ( हि० साँस ) सुसीतलाई* - संज्ञा स्त्री० दे० (सं० सुशीतलता ) सुशीलता, सुन्दर ठंडक, सुसि तलाई (दे० ) । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir " उभयभेद निज रामा० । सुसर-सुसरा - संज्ञा, पु० दे० (सं० श्वशुर) श्वशुर, ससुर, पति या पत्नी का पिता । सुसराल सुसुराल - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० श्वशुरालय) ससुर का घर या गाँव, ससुरार, ससुरारि (दे० ) । सुसरित-सुसरिता - संज्ञा, स्त्री० (सं०) गंगा नदी, अच्छी नदी । सुस्त सामुझि साधी " - सुसरी - संज्ञा, खो० दे० ( हि० ससुरी ) सासु पत्नी या पति की माता । संज्ञा, स्त्रो० दे० (सं० सुरसरी ) गंगा नदी । ܕܕ For Private and Personal Use Only सुसुकना ० कि० दे० ( हि० सिसकना ) सिसकना, रोना, सुकना (दे० ) । सुसुभिः संज्ञा, स्त्री० (दे०) सुप्ति (सं०) गहारी निद्रा | वि० (दे०) सुसुप्त । सुसेन - संज्ञा, ५० दे० ( सं० सुंपण ) अंगद का नाना, सुग्रीव का वैद्य, सुपेण, सुखेन (दे०) । सुस्त - वि० (का० ) मंदगति वाला, श्रालसी, ढीला, चितादि से निस्तेज, उदासीन,
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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