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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - सुधानिकेत, सुधानिकेतन १७८८ सुनबहरी किसी दूसरे से कराना, दुरुस्त या ठीक सुधासदन-सुधासम-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) चन्द्रमा। कराना, लग्न या जन्मपत्र लीक कराना, सोधाना। | सुधि-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शुद्धबुद्धि) याद, सुधानिकेत, सुधानिकेतन-ज्ञा, पु० यौ। स्मृति, स्मरण, समाचार, ख़बर, पता, सुध (सं०) चन्द्रमा, सागर। (दे०)। " खेलत रहे तहाँ सुधि पाई "सुधानिधि-संज्ञा, पु० यौ० (०) सुधा रामा। निकेत, चन्द्रमा, समुद्र, क्रमले १६ बार सुधियाना-स० क्रि० दे० (हि. सुधि) सुधि गुरु और लघु वर्ण वाला, दंडक छंद का एक करना, याद करना। "मानौ सुधियात कोज भेद, (पिं०) । "प्रकटी सुधानिधि सों यह भावना भुलाई है"---रामा। सुधानिधि साथ सुधानिधि सुखी भई | सुधी-संज्ञा, पु. (सं०) बुद्धिमान, विद्वान, पंडित । वि० (सं०) चतुर, प्रवीण, बुद्धिमान, सुधानिधिवाम है"-कु० वि०। समझदार, धार्मिक । सुधापाणि-संज्ञा, पु. यौ० (०) पीयूषपाणि, धन्वंतरि । वि० यौ० (सं०) जिसके | सुधेश- संज्ञा, पु० यौ० (सं० सुधा - ईश) हाथ में सुधा की सी शक्ति हो। चन्द्रमा, सुधेश्वर। सुनंदिनी-संज्ञा, खो० (सं०) स, ज, स, न सुधामयूख-संज्ञा, पु० यौ० (सं.) सुधाकर, चन्द्रमा, सुधामरीची। (गण) और एक गुरु वर्ण वाला एक वर्णिक छंद, प्रवोधिता, मंजुभाषिणी (पिं०)। सुधायोनि-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चन्द्रमा । सुधार-संज्ञा, पु० दे० (हि सुधारना) सुनकातर-संज्ञा, पु. (दे०) एक प्रकार का मटमैला साँप। संस्कार, संशोधन, सुधारने का भाव । संज्ञा, वि० दे० (हि. सीधा) सीधा-त्री० (हि.) सुनकिरवा- संज्ञा, पु० दे० यौ० (हि. सोना---किरवा = कीड़ा ) एक कीड़ा जिसके सुन्दर धारा, सुधारा।। पंख सोने के रंग से होते हैं। सुधारक --संज्ञा, पु० (हि० सुधार - क-प्रत्य०)। सुनखी-वि० (सं०) सुन्दर नख वाला। दोषों और अटियों का सुधार करने वाला, सुनगुन-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. सुनना--गुन) संशोधक, धार्मिक या सामाजिक सुधारों में भेदभाव, सुराग, खोज, टोह, कानाफूसी। प्रयत्नशील। सुधारना-स० क्रि० (हि. सुधरना) दोषों या सुनत-सुनति*-संज्ञा, स्त्री० दे० (अ. सुन्नत) सुन्नत, मुसलमानी। “सेवा बीन अटियों का मिटाना, बुराई दूर करना, संशो होतो तो सुनति होति सब की"-भूष० । धन करना, ठीक करना, बिगड़े को बनाना। सुनना-स० क्रि० दे० (सं० श्रवणा) श्रवण वि०-सुधारने वाला । स्रो०-सुधारनी। करना, कानों से किसी की बात पर ध्यान सुधारश्मि-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सुधाकर, देना, भली बुरी बातें सुन कर मह लेना, चन्द्रमा। शब्द-ज्ञान करना। मुहा०-सुनी-अन. सुधारा-वि० दे० (हि० सूधा ) सीधा, सुनी करना या कर देना-सुन कर भी सरल, निष्कपट । संज्ञा, स्त्री. (हि०) सुन्दर उसकी ओर ध्यान न देना। स० रूपधारा, सुधार। सुनाना, सुनावना, सुनवाना। सुधालय-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सुधाकर, सुनका--संज्ञा, पु० दि०) एक ग्रह योग चन्द्रमा। (ज्यो०)। विलो०-अनफा। सुधाश्रवा--संज्ञा, पु० दे० (सं० सुधा + स्रवण) सुनवहरी-संज्ञा, स्रो० ३० यौ० (हि० सुन्न+ अमृत की वर्षा करने वाला, सुधावर्षी। बहरी) यह रोग जिसमें सारा शरीर शून्य हो For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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