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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सिफ़ारिश सियार-सियाल सिफ़ारिश --संज्ञा, स्त्री० (फा०) किमी का सिमेटनास-१० कि० दे० हि० समेटना) अपराध के क्षमा कराने या किसी की भलाई समेटना, इकट्ठा करना, लपेटना, बटोरना, कराने के हेतु किसी से उसके विषय में कुछ तह करना। प्रशंगा या भलाई की बातें कहना-सुनना, सिमत -संज्ञा, स्त्री० [फा०) दिशा । अनुरोध मित्र--संज्ञा, स्त्री. द. (सं० सीता) सिफारशी वि० (फा०) जिसकी सिफ़ारिश | सीताजी, जानकीजी। "जो पिय भवन की गई हो. जिसमें सिफ़ारिश हो। रहे कह अंवा "-रामा० : सिफ़ारशी दट्ट ---- संज्ञा, पु. यौ० ( फा० सियना*-अ. क्रि० दे० (सं० सृजन ) सिफारशी+टट्ट, हि०) फ़िरिश से किसी उत्पन्न करना. रचना, बनाना । स० क्रि० ऊँचे पद को प्राप्त प्रायोग्य व्यक्ति । दे० (हि.सीना ) मीना मिना, सिवना सिबिका* -- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शिविका सिप्रना (दे०)। पालकी । “तत्तद्विरागमुदितं शिविका लिया ---वि० दे० • शीतल ) शीतल, धरस्थाः"... नैप० । " सिबिका सुभग ठंढा, कच्चा स्त्री० सियरी! "मियरे सुखासन याना"-रामा० ।। बचन अगिन सम लागे "...वामु० : सिमंत-संज्ञा, पु० दे० सं० सीमंत ) स्त्रियों सियराई -संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० मिया ) की मांग, हड्डियों का संधि स्थान, सीमांतो शीतलता । " यश गावत रसना पियराई" नयन । सिमटना---अ० क्रि० दे० (सं) समित - ना ...शि. गो। हि० ) संकुचित या इकट्ठा होना, सिकुड़ना, पियराना* --अ० क्रि० दे० ( हि० निबटना, पूरा होना, लज्जित होना, बटुरना, सियराना प्रत्य. ) शीतल या ठंढा होना जुटाना, बीतना, समाप्त होना । 'मियरानी सहमना, शिकन या सिलवट पड़ना, क्रम कौ देखि सबै सियरानी"-सरस। से व्यवस्थित होना, समिटना । स० कि० सिमटाना, प्रे० रूप सिमरवाना। सिया-- ज्ञा, स्त्री० दे० ( स० सीता) सिमर-संज्ञा, पु० दे० ( स० शाल्मली ) सीताजी, जानकीजो । सियाराम मय सब जग जानी"--रामा । स० भू० क्रि० सेमर वृक्ष विशेष । " चंदन भस्म सिमर स० (हि. सियना ) सिला हुआ। श्रालिंगन सालि रहल हिय काँट".---- विद्या०। सियाना-वि० द० (सं० सज्ञान) सयाना सिमरन-संज्ञा, पु० दे० (सं० स्मरण ) (दे०) चतुर, प्रवीण, निपुण, दक्ष, अभिज्ञ । सुमिरन, स्मरण, याद ।। लो० -- " काजर की कोठरी मैं कैसहू सिमरना--स० क्रि० दे० ( सं० स्मरण) लियानो जाय'- स्फु० । स० कि० दे० स्मरण, याद, ध्यान, सुमिरना। (हि० सिलाना; पिलाना,सिगारना (दे०)। सिमाना-संज्ञा, पु० दे० (सं० सीमांत) सिगाई-संज्ञा, स्त्री. ६० ( हि० सीना) सिलाई, लिवाना. सीमा का चिह्न, हददो। *-R० मीना, सीने का काम या मज़दूरी । क्रि० दे० ( हि० सिलाना ) सिलाना। सियापा -- संज्ञा, पु० द० (फ़ा० सियाहपोश) सिमिटना, सिमटना*-० क्रि० दे० कई एक स्त्रियों का किसी को मृत्यु पर मिल (हि. सिमटना ) सिमटना, इकट्ठा होना, कर शोक-सूचनार्थ रोना । समिटना (दे०)। सियार-निवाल --- हाज्ञा, पु० दे० सं० शृगाल) सिमृति* - संज्ञा, स्त्री० दे० सं० स्मृति ) जंबुक, शृगाल, गीदड़, स्यार । स्त्री०स्मृति, सुधि, याद, सुमिरण, स्मरण । । सियारी, सियारिन । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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