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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सटकना १६८६ । सठियाना धीरे से चंपत होना, तंबाकू पीने का लच- सटाना-स० क्रि० दे० (सं० स+स्था या स कीला लंबा नैचा, पतली लचकीली छड़ी, +निष्ट ) मिलाना, दो वस्तुओं के पार्यों सटिया, साँटी (दे०)। को परस्पर मिलाना, लाठी श्रादि से लड़ाई सटकना-अ० क्रि० ( अनु० सट से ) धीरे करना, (गुंडा० ) चिपकाना, मिला कर से भाग या खिसक जाना, चंपत हो जाना। रखना । प्रे० रूप० -सटवाना । सटकाना--- २० क्रि० दे० ( अनु० सट से ) सटासट-संज्ञा, स्त्री० (दे०) तर-ऊपर, एक छड़ी या कोड़े आदि से पीटना, चुपके से पर एक, लगातार, भिड़ाभिड़, ठसाठस, भगा देना, निगलना, खिसकाना । सटसट शब्द के साथ, रेल-पेल । सटकार-संज्ञा, स्त्री० (अनु० सट) साटकाने सटिया-संज्ञा, स्त्री० (दे०) बाँस की पतली की क्रिया या भाव. पशुओं के हाँकने की छड़ी, लम्बी पतली छड़ी, एक गहना, एक क्रिया, सटकार (दे०)। प्रकार की चूड़ी। सटकारना-स० क्रि० (अनु० सट से ) | सटीक-वि० (सं०) वह पुस्तक जिसमें मूल छड़ी या कोड़े आदि से सट सट मारना। के साथ उसकी टीका भी हो, व्याख्या या सटकारा–वि० (अनु०) लंबा और चिकना अर्थ-सहित । क्रि० वि० (हि०) पूर्णतया। साफ़, बाँसादि। मुहा०-सटोक करना (होना)-यथो. सटकारी-संज्ञा, स्त्री. ( अनु० ) पतली चित रूप से पूर्ण करना या होना। और लंबी छड़ी, छोटी कंकड़ी, सिट- सहक - संज्ञा, पु० (सं०) प्राकृत भाषा में कारी (दे०)। विरचित छोटा रूपक । सटना-अ० कि० (सं० सस्था ) दो चीजों सट्टा--संज्ञा, पु. (दे०) इकरारनामा, एक का पार्श्व लगा कर मिलना, चिपकना, मार- प्रकार का व्यापारिक जुआ, अनुमान । यौ० पीट होना, समाना, घुसना । स० रूप०-- | सट्टा-काटका ( व्यापार )। सटाना, प्रे० रूप०--प्टवाना। सट्टाबट्टा- संज्ञा, पु० यौ० हि० सटना+बट्टासटपट-संज्ञा, स्त्रो० (अनु०) सिट-पिटाने । अनु० ) हेल-मेल, मेल-मिलाप, चालाकी की क्रिया, चकपकाहट, शील, संकोच, अस्स धूर्तता-पूर्ण युक्ति, चालबाज़ी, सट्टे में हानि । मंजस, दुविधा, अंड-बंड, सट्ट-पट्ट (ग्रा०) । सट्टी-- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० हाट या हट्टी) सटपटाना--अ० क्रि० दे० ( अनु० ) सकुचना, सिकुड़जाना, डर जाना, दब जाना, एक ही मेल की वस्तुओं का बाजार, हाट। भौचक्का होना, संशय में पड़ जाना, सिपिटाना (दे०)। सठ-संज्ञा, पु० दे० ( सं० शठ ) धूर्त, मूर्ख, सटरपटर- वि० ( अनु० ) मामूली, छोटा दुष्ट, अपढ़, कुपढ़, निद्धि , कमसमझ, मोटा. तुच्छ, व्यर्थ की चीजें, व्यर्थ का काम, खल, पाजी, लुच्चा, बदमाश । "सठ सुधरहि बखेड़ा, अंड-बंड, अटर-सटर, सट्टपट्ट। सतसंगति पाई "-- रामा० । सटसट-क्रि० वि० (अनु० ) शीघ्र, जलदी सठता-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शठता) दुष्टता, सटासट, सट सट शब्द के साथ, चटपट । मूर्खता, कमसमझी। सटा-वि० (दे०) (हि. सटना ) मिलित, सठियाना....अ. क्रि० दे० (हि. साठ+ मिला हुश्रा । संज्ञा, स्त्री० (सं०) जटा, घोड़े, इयाना -प्ररूप ) साठ वर्ष का होना, की अयाल । “जटा-सटा-भिन्न धनेन विभूतः" । बुड्ढा या बुड़ा होना, वृद्धावस्था से मंद -माघ। बुद्धि होना। भा० श० को०-२१२ For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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