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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संयम संलक्ष्य-क्रम व्यंग्य उचित सीमा के अंदर रोका हुधा. मन-सहित संयागी-संज्ञा, पु. ( सं० संयोगिन् ) संयोग इन्द्रियजित, निग्रही । “न संयतः तस्य या मेल करने वाला, जो व्यक्ति अपनी बभूव रक्षितः"-रघु०। | प्रिया के साथ हो, संजोगी, सँजोगी संयम--संज्ञा, पु० (सं०) रोक, परहेज़ (फा०) (दे०) । स्त्री० --संयोगिनि। निग्रह, दाब, इन्द्रिय निग्रह. चित्तवृत्ति का संयोजक-संज्ञा, पु. (सं०) जोड़ने या निरोध, बंधन, बंद करना. बुरी बातों या मिलाने वाला, दो या अधिक शब्दों या वस्तुओं से बचना, ध्यान, धारणा और वाक्यों का मिलाने वाला शब्द या अव्यय समाधि का साधन योग.)। वि०-संयमी, ( व्याक० )। संयमित, संयत। । संयोजित-वि० (६०) मिला या मिलाया संयमनी-संज्ञा, स्त्री० (स.) यम-लोक, हुआ या गया, संयुक्त । यम-पुरी, यम-नगरी। संयोजन-संज्ञा, पु. (सं०) जोड़ने और संयमी-वि० ( सं० संयभिन ) मनेन्द्रियों मिलाने की क्रिया। वि० संयोगी, संयोजको वश में रखने वाला, इन्द्रियजित, प्रारम नाय, संयोज्य, संयोजित । निग्रही, इन्द्रियनिग्रही, ओगी, रोक या सँयोना--सं० क्रि० दे० ( हि० संजोना ) दबाव रखने वाला, परहेज़गार । " तस्यां सँजोना, सजाना, रक्षित कर रखना। जागति संयमी"-- भ० गी। संयात-वि० (सं०) साथ साथ गया हुआ । संरंभ---संज्ञा, पु० (२०) क्रोध, कोप, मान सिक श्रावेग, प्राक्रोश । संयुक्त-वि० (सं०) सम्मिलित, जुड़ा. या संरक्षक-संज्ञा, पु. ( सं० ) रत्तक, रक्षा लगा हुआ, मिला हुआ, युक्त मिश्रित, करने वाला, देख-रेख और पालन-पोषण सहित, साथ, सम्बद्ध । संज्ञा, को०-संयुक्तता। करने वाला, श्राश्रय या अभय देने वाला। संयुक्ता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) राजा पृथ्वीराज की रानी और जयचंद की पुत्री, एक छंद स्त्री-संरक्षिका ( पिं०)। संरक्षण-संज्ञा, पु. (सं० ) रक्षा करना, संयुग --- संज्ञा, पु. (सं०) मेल मिलाप, बचाना. हानि या बुराई श्रादि से बचाना, संयोग, युद्ध, संग्राम, लड़ाई निगरानी देख-रेख, अधिकार, स्वत्व । वि०संयुत-वि० (सं०) जुड़ा या मिला हुआ, . संरक्षणीय, संरती, संरक्षित, संरक्ष्य । सहित, संयुक्त, साथ । संज्ञा, पु. (सं०) संरक्षित-वि० (सं०) हिफाजत से रखा एक सगण, दो जगण और एक गुरु का एक हुश्रा, भली भाँति बचाया हुश्रा । छंद (पिं०)। | संरक्ष्य--वि० (सं०) रक्षा करने योग्य । संयोग-संज्ञा, पु. (सं०) मेल, मिलाप, सँरसी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) मछली फँसाने मिलान, मिश्रण, मिलावट, लगाव, समागम, या गरम चीज़ों के पकड़ कर उठाने की संबंध, स्त्री प्रसंग, सहवास, विवाह-संबंध, कटिया, सडेंसी, सन्सी (ग्रा०)। योग, जोड़, मीज़ान, मौका, अवसर, संराधन-संज्ञा, पु. (सं०) सेवा करना। इत्तफाक, संजोग, सँजोग (दे०), दो या । चिन्तन करना, समाराधन । कई बातों का एकत्र होना । "जो विधि वश संराघ-संज्ञा, पु० (सं०) पक्षियों का शब्द । अस होइ सँयोगू"-रामा० । मुहा०-- ! संलक्ष्य-वि० (सं०) जो लखा या देखा संयोग से-दैववशात्, इत्तफ़ाक़ से, बिना जावे, लचय, उद्देश्य । पूर्व निश्चय के, बिना विचारे । संलक्ष्य-क्रम व्यंग्य-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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