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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org शिद्दत १६४२ शिलान्यास स० क्रि० (दे०) शिथिल करना सिथिलाना शिरा - संज्ञा, स्रो० (सं०) रक्तवाही नाही, रक्त नलिका, पानी का स्रोत या धार । शिराकृत- संज्ञा, स्त्री० (०) शिरकत, साझा, मेल । शिरीष- संज्ञा, उ० (सं०) सिरस पेड़ | कोमलं शिरीष-पुष्पं " पदं सहेत भ्रमरस्य (दे०) । शिद्दत - संज्ञा, स्त्री० ( प्र०) उग्रता, तीव्रता तेजी, जोर, श्रधिकता ज़्यादती, प्रचुरता । शिनाख्त -संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) पहचान, तमीज़ परख, यह निश्चय कि अमुक व्यक्ति या वस्तु यही है, सिनाखत (दे० ) । शिफ़र + * - संज्ञा, पु० ( फ़ा० सिपर ) ढाल, शून्य, विन्दु, सिफ़र (दे० ) । शिया - संज्ञा, पु० दे० ( अ० शीया ) एक मुसलमानी संप्रदाय, जो हरज़त अली को पैगंबर का उत्तराधिकारी मानता है । विलो०- सुन्नी । शिर - संज्ञा, पु० (सं० शिरस ) सिर, सर, खोपड़ा, कपाल, शीश, माथा, मस्तक, शिखर, सिरा, चोटी । " शिर धरि श्रायसु करिय तुम्हारा - रामा० । " शिरकत - संज्ञा, स्त्री० (अ०) साझा हिस्सा, किसी कार्य में संमिलित होना, किसी वस्तु के अधिकार में भाग लेना । शिरत्राण - संज्ञा, पु० दे० यौ० (स० शिरत्राण) शिर-रक्षा के लिये लोहे की टोपी. खोद. कँडी, शिरत्रान, सिरत्रान । शिरनेत - संज्ञा, पु० (दे० ) एक प्रदेश, ( श्री नगर या गढ़वाल के आस-पास ) क्षत्रियों की एक शाखा, सिरन्यात (ग्रा० ) । शिरफूल - संज्ञा, पु० दे० मौ० (सं० शिरस् 46 + पुष्प ) शीश - फूल नामक एक गहना । शिरमौर संज्ञा, पु० दे० यौ० ( सं० शिरस् + मौलि ) सिर की मौर, शिरोमणि, सिरताज प्रधान, शिरोभूषण, मुकुट, सिर मौर (दे० ) । ताहि कहते हैं खंडिता, afara के शिरमौर " --मति० । शिरस्त्राण – संज्ञा, पु० यौ० (सं०) युद्ध में शीश-रक्षार्थ लोहे की टोपी. खोद कँड़ी । शिरहन - संज्ञा, पु० दे० (सं० शिरस् + प्रधान ) तकिया, उसीपा, सिरहाना, सिरहना (दे० ) । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -कुमार० । न पुनः पतत्रिणः " शिरोधरा - संज्ञा स्त्री० (सं०) गर्दन, ग्रीवा, गला, चोंच । शिरोधार्य - वि० यौ० (सं० शिरसि + धार्य) शिर पर धरने योग्य, साक्षर स्वीकार करने योग्य | " शिरोधार्य श्रादेश थाप का कौन टाल सकता है - वासु० । शिरोभूषण संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) शिरोमणि, सिर का गहना, मुकुट, श्रेष्ठ पुरुष, शीशफूल | शिरोमणि संज्ञा, पु० (सं०) शिर की मणि, सिर का गहना, मुकुट, श्रेष्ठ व्यक्ति, चूड़ामणि, सिरोमनि (दे०) | शिरोरुह -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) बाल, केश । शिल- संज्ञा, पु० (सं०) उंछ, शीला | संज्ञा, स्त्री० - शिला, सिलौटी, सिल (दे० ) । शिला- संज्ञा, स्रो० (सं०) पाषाण, प्रस्तरखंड, पत्थर की चट्टान, या सिलौटी, पत्थर का बड़ा लंबा-चौड़ा टुकड़ा, शिलाजीत, उँछ, वृत्ति शीला, सिला (दे० ) । " पूछा मुनिहि शिला प्रभु देखी ' - रामा० । शिलाजतु - संज्ञा, पु० (सं०) शिलाजीत | $6 न चास्ति रोगो भुवि मानवानां शिल जतुर्य न जयेत् प्रसह्यम् " - चर० ! शिलाजीत—संज्ञा, पु० स्त्री० दे० (सं० शिलाजतु ) काले रंग का शिलाधों का रस (एक पौष्टिक श्रौषधि) भोमियाई ( प्रान्ती०) । "पुष्ट होय संशय नाहीं है, शोधि शिलाजतु खाये " कं० वि० । शिलादित्य - संज्ञा, ५० (सं०) एक प्राचीन राजा, हर्ष वर्धन । शिलान्यास -संज्ञा, पु० (सं०) किसी मकान For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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