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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - शांतनु शाख शांतनु- संज्ञा, पु. (सं०) द्वापर के चंद्र- शाकटायन--संज्ञा, पु. (सं०) एक बहुत वंशीय २१ वें गजा, भीष्मपितामह के पुराने व्याकरण कार इनका उल्लेख पाणिनि पिता (महा०) । "शांतनु की शांति कुल- ने किया है, एक अर्वाचीन वैद्याकरण । क्रांति चित्र अंगद को' - रत्ना० । "त्रिप्रभृतिषु शाकटायनस्य'-कौ० व्या० । शांता--संज्ञा, स्त्री० (सं.) राजा दशरथ की शाकद्वीप -- संज्ञा, पु० सं०) सात द्वीपों में कन्या जो ऋष्यशृंग को व्याही थी, रेणुका । से एक ( पुरा. ), ईरान और तुर्किस्तान के शांति--संज्ञा, स्त्री० (सं०) नीरवता, मौनता, बीच में पार्टी और शकों का देश । स्तब्धता. स्थिरता, सौम्यता, उपशम, शाकद्वीपीय-वि० (सं०) शाकद्वीप का। विराग, सन्नाटा, रोगादि नाश तथा चित्त संज्ञा, पु.---ब्राह्मणों का एक भेद, मग का ठिकाने होना, स्वस्थता, मरण, धीरता, ब्रह्माण । गंभीरता, विरागता, अमंगल या विघ्न वाधादि के मिटाने का उपचार, दुर्गा, वासनादि शाकल संज्ञा, पु. (सं०) टुकडा, खंड, ऋग्वेद की एक शाखा या संहिता, मद्र देश विहीनता । " शांतिरापः शांति रोषधयः" का एक शहर, हवन-सामग्री, शाकल्य । -- य. वे। शाकल्य -- संज्ञा, पु. (सं०) होम या हवन शांतिकर्म-संज्ञा, पु. यो. (सं०) पाप की वस्तु या सामग्री, एक प्राचीन वैयाग्रहादि-जन्य अमंगल के निवारण का उप. करण । " लोपः शाकल्यस्य" - सि. कौ० चार । ( व्या०)। शांतिकारी-शौतिकारक-संज्ञा, पु० (सं०) शाका-संज्ञा, धु० (सं०) शालिवाहन का शांति करने वाला । स्त्री०-गांतिकारिणी। शांतिदायक शातिदायी-शांतिप्रद-वि. संवत् , लाका (दे०)। शाकाहार--- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) निरामिष (सं०) शांति देने वाला। सी०-शांति भोजन, अन्न, तरकारी और फलों का भोजन । दायिनी। वि० - शाकाहारी। शांति-पाठ-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) वेद के शाकाहारी-- वि० यौ० (सं०) शलाहारी, शांति कारक मंत्र। निरामिष भोजी। विलो०-मांसाहारी । शांबरी-संज्ञा, स्त्री० (पं०) इन्द्रजाल, जादू शाकिनी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) चुडैल, डाइन। गरनी । संज्ञा, पु०-लाध पेड़ । शांबुक-शावूक-संज्ञा, पु० दे० (सं० शंबुक शाकुन-वि० (सं०) शकुन-संबंधी, पक्षियों के संबंध का। शंबूक ) घोंघा, छोटा, शंख, एक शूद्र तपस्वी ( राम राज्य-वाल्मी० )। शाकुनि- संज्ञा, पु० (सं०) व्याधा, बहेलिया। शाँभर-- संज्ञा, स्त्री०, पु. (दे०) नमक की शाक्त-वि० (सं०) शक्ति-संबंधी । संज्ञा, पु. सांभर झील, ( राज.)। -शक्ति का उपासक, तांत्रिक। शाइस्तगी-संज्ञा, स्त्री. (फा०) सभ्यता, शाक्य-संज्ञा, पु. (सं०) नेपाल की तराई शिता, भलमनसी आदमीयत । की एक प्राचीन क्षत्रिय-जाति, बुद्ध देव शाइस्ता-वि० दे० ( फा० शाइस्तः ) सभ्य, की जाति । शिष्ट, भलामानुष, विनम्र विनीत । शाक्य पनि-शाक्यसिंह-संज्ञा, पु. यौ० शाक-संज्ञा, पु. ( सं०) भाजी, साग, (सं०) गौतम बुद्ध जी। तरकारी । वि०-- शक जाति संबंधी, शकों शाव-संज्ञा, स्त्री. (फ़ा०) शाखा, (सं०) __डाली, टहनी मुहा० --शाख निकालना का। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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