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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लुगाड़ा लुचई, लुचुई जिसने अपने नाम (लीलावती) से गणित की चमकदार रोग़न, वानिश, पालिश भाग की एक पुस्तक रची थी, ३२ मात्राओं का ज्वाला या लपट. ली, छिपना । एक मात्रिक छंद (पि.)। वि. स्त्री० -- लुकठी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. लुक ) जलती लीलायुक्ता। लकड़ी, लाठी। लुगाड़ा-संज्ञा, पु. (दे०) लुच्चा, शोहदा, लुकना-अ० कि० दे० ( सं० लुक = लोप) गंडा । स्त्री०-लंगाडी।। छिपना, थोट या आड़ में होना, लोप लंगी, लँगी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० लँगोट, होना । स० रूप०-लुकावना, लुकाना, लाँग ) धोती के बदले कमर में लपेटने का प्रे०-लुकवाना। "खड्भ्यः लुक''-अष्टा० । कपड़े का छोटा टुकड़ा, तहमत । लुकमा-संज्ञा, पु. (अ.) ग्रास, कौर ।। लंचन--संज्ञा, पु. (सं०) नोचना, उखेड़ना, लुकाट --- संज्ञा, पु० (दे०) एक पेड़ और उत्पाटन, चुटकी से उखाड़ना । उसका फल। लुंज, लंजा-वि० दे० (सं० लंचन) लँगडा, लुकाना-स० कि० दे० ( हि० लुकना ) लूला, बिना पत्ते का पेड़, Zट । छिपाना, श्राड़ या प्रोट में करना । अ० लंठना-स० क्रि० दे० (सं०) लूटना, लुढ़- क्रि० (दे०) छिपना, लुकना । प्रे० रूपकना, चुराना, लुठना (दे०) । वि० लुकवाना। लंठित, लंठनीय । संज्ञा, पु. लंठन ।। लुकेठा-संज्ञा, पु० दे० ( सं० लोक -- काष्ट) लंड-संज्ञा, पु० (सं० लंड ) रुड, कबंध, सुलगती हुई लकड़ी, चुग्राती (प्रान्ती.)। बिना सिर का धड़ । वि० पु० - लंडा, स्त्री० तुखिया - संज्ञा, स्त्री० (दे०) कुलटा या चाललुंडी। बाज़ स्त्री। लंडमंड-वि० यौ० दे० (सं. हड+मंड) लुगड़ा, लुभग---संज्ञा, पु. (दे०) वस्त्र, सिर और हाथ-पैर कटा धड़, धड़ और सिर, कपड़ा, अोदनी । यौ०-लहँगा-लुगरा । लगदी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) गीली वस्तु का पत्रहीन वृक्ष, ठ । निस्सार लोंदा, निस्सार वस्तु का पिंड या लंडा-वि० दे० (सं० रुड ) ऐसा पक्षी गोला, निस्तत्व गूदा। जिसके पर और पूंछ भी झड़ गयी हो, लुगगी-संज्ञा, पु० दे० ( हि० लूगा+ड़ारुड, कबंध । स्त्री०-लंडी। प्रत्य०) कपड़ा, श्रोदनी, फटा-पुराना वस्त्र , लेविनी-संज्ञा, स्त्री. (सं०) कपिलवस्तु के छोटी चादर, लत्ता। यौ०-लॅहगा-लुगरा। समीप का वह वन जहाँ गौतम बुद्ध उत्पन्न लुगरी- संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० लुगरा ) फटी पुरानी धोती। लुाठा -- संज्ञा, पु. दे० (सं० लेाक = काष्ठ) लुगाई -- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० लोग) लोगाई, सुलगती या जलती हुई लकड़ी, चुयाती स्त्री, औरत, नारी। (प्रान्ती०) । स्त्री० अल्या.---'नुअाठी।। लुगी---- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० लूगा) पुराना लुआब-संज्ञा, पु. (अ.) चिपचिपा या वस, घाँघरे या लँहने की संजान या फटा लसदार गूदा, लासा, लबाब (दे०)। चौड़ा किनारा । लुकंजन*-संज्ञा, पु० दे० (सं० लोपांजन) लुग्गा--संज्ञा, पु. द० (हि० लूगा) लुगरा, एक अंजन जिसका लगाने वाला अदृश्य हो लूगा। जाता है, लोपांजन, सिद्धांजन । लुच-वि० (दे०) निरा, केवल, नंगा, उघाड़ा। लुक-संज्ञा, पु० दे० ( सं० ले क = चमकना) लुचई, लचुई।-- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० रुचि) For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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