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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org लगनि में कुछ होना किसी वस्तु का चुनचुनाहट या जलन उत्पन्न करना, खाद्य वस्तु का बरतन के तल में जम जाना, प्रारंभ होना, चलना या जारी होना, प्रभाव या असर पड़ना, सड़ना, गलना, " प्राप्त होना, रहना । जैसे भूत, भेड़िया लगना. हानि करना । स० रूप-लगाना. प्रे० रूप-लगावना, लगवाना । लागे श्रति पहार कर पानी" - रामा० । मुहा०लगती बात कहना- मर्मभेदी कड़ी बात कहना, चुटकी लेना। आरोप होना, हिसाब या गणित होना, साथ-साथ या पीछे-पीछे चलना. गायादि पशुओं के दूध होना या दुहा जाना, अँसना, चुभना, गड़ना, छेड़छाड़ या छेड़खानी करना, बंद होना, सुंदना, बदना या दाँव पर रखा जाना, होना, घात या ताक में रहना, पीड़ा या कष्ट देना | नोट- यह क्रिया अनेक शब्दों के साथ arat fन भिन्न अनेक अर्थ देती हैं। संज्ञा, पु० (दे०) जंगली जंतु । वि० (दे०) लगने वाला। लगनि * संज्ञा स्त्री० ० (हि० लगन ) स्नेह, प्रेम, लगाव, संबंध | १५१३ लगार = सिलसिला ) निरंतर, एक के पीछे एक, मिलित, बराबर, एक चाल, एक साँ, क्रमशः । लगान - संज्ञा, पु० ( हि० लगना या लगाना ) भूमिकर, राजस्व, सरकारी महसूल, पोत, जमाबंदी लगने या लगाने का भाव । लगाना - स० क्रि० (हि० लगना का सत्र रूप ) मिलाना, सटाना, जोड़ना, मलना, रगड़ना, चिपकाना, गिराना जमाना, पेड़ पौधे श्रारोपित करना, फेंकना क्रम से रखना या सजाना, चुनना उचित स्थान पर पहुँचना व्यय या खर्च कराना, अनुभव या ज्ञात कराना, नई प्रवृत्ति आदि पैदा करना, चोट पहुँचाना या आघात करना, उपयोग या काम में लाना, श्रारोपित करना या अभियोग लगाना, प्रज्वलित करना, जलाना, जड़ना, गणित या हिसाब करना, कान भरना, ठीक जगह पर बैठाना, नियुक्त करना । यौ-लगानाबुझाना -- लड़ाई-झगड़ा कराना, वैमनस्य करा देना । ( किसी को कुछ ) लग कर कुछ कहना ( गाली देना) -बीच में संबंध स्थापित कर कुछ आरोप करना पशु दुहना, गाड़ना, ठोंकना, धँसाना, घुलाना स्पर्श कराना, दाँव या बाजी पर रखना, श्रभिमान करना, पहिनना, श्रोदना, करना, सम्मिलित करना | नोट - लगने के समान इसका प्रयोग भी विविध क्रियाओं के साथ भिन्न भिन्न अर्थों में होता है । लगाम संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) घोड़े का दहाना, करियारी ( प्रान्ती०), रास, बाग, दोनों ओर रस्सी या चमड़े का तस्मादार घोड़े के मुह में रखने का लोहे का कँटीला ढाँचा, तथा इसकी रस्सी या तस्मा जो सवार पकड़े रहता है । ७ लगार - सज्ञा, खो० दे० ( हि० लगना + प्रार- प्रत्य० ) नियमित रूप से कुछ देना या करना, बंधेज, बंधी, प्रांति, लगाव, संबंध, सिलसिला, लगन, क्रम. तार, भेदिया, मेली सम्बंधी । “ घर आवत है पाहुना, बनज न लाभ लगार "-- स्फुट० । लगनी - संज्ञा, स्त्री० ( का० लगन = थाली ) थाली, परात. रकाबी । वि० (दे०) लगने वाली या फबती | लगभग - क्रि० वि० ६ि० लग = पास | भगअनु० ) करीब करीब, प्रायः । लगमात -- संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० (हि० लगना + मात्रा सं०) व्यंजनों में मिले स्वरों के सूक्ष्म रूप मात्रा | लगर - संज्ञा, पु० (दे०) लग्बड़ पक्षी | **लगलग - वि० दे० ( श्र० लकलक ) बहुत पतला-दुबला, अति सुकुमार । लगवां - वि० दे० । ० लग़ो ) अनृत, मिथ्या, झूठ, असत्य, बेकार, व्यर्थ निस्सार । लगवारों संज्ञा, पु० द० ( हि० लगना ) यार, प्रेमी, उपपत्ति | लगातार - क्रि० वि० ( हिं० लगना -+-तार भा० श० को० -१६० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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